तुरकिया : जलजला मुतास्सिर मुसलमान कैसे गुजार रहे रमजान

 4 रमजान-उल मुबारक, 1444 हिजरी
पीर, 27 मार्च, 2023
 ---------------------------------

तुरकिया : जलजला मुतास्सिर मुसलमान कैसे गुजार रहे रमजान

इस्तांबोल : आईएनएस, इंडिया

तुरकिया में छ: फरवरी को आने वाले कयामत-खेज जलजले के बाद मुतास्सिरा इलाकों के मुस्लमानों का ये पहला रमजान है। ये रमजान मुतास्सिरा इलाकों के मुस्लमानों के लिए बिलकुल मुख़्तलिफ है। अगरचे रमजान के महीने की आमद ने बाअज दुकानों के मालिकान की हौसला-अफजाई की कि वो गुजशता छ: फरवरी को जुनूबी तुरकिया में आने वाले जलजले से मुतास्सिरा इलाकों में अपने दरवाजे खोल दें, लेकिन इससे उन इलाकों के मकीनों की जरूरीयात पूरी नहीं हुईं, खासतौर पर इस जलजले से सबसे ज्यादा मुतास्सिर होने वाले इसमें 50,000 से ज्यादा लोग मारे गए और इनफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर नुक़्सान पहुंचा है। 


    जलजले ने हजारों खानदानों को जैसा कि वो हर साल करते थे, माह रमजान की तैयारियों से रोक दिया। पहले तो जलजले से उनके घर तबाह हुए, उसके बाद मार्च में मूसलाधार बारिशों ने रही सही कसर निकाल दी। बारिशों और सैलाब से भी 14 अफराद लुकमा-ए-अजल बन गए। सिकंदर वन से ताल्लुक रखने वाली एक 50 साला खातून ने कहा कि इस साल रमजान के महीने ने हमारे दिलों पर एक और असर डाला है। हम अपने घरों से महरूम होने और खेमों में रहने पर मजबूर होने के बाद मजीद रमजान की तैयारी नहीं कर सकते। ना तो हम अपनी जरूरत की चीजें हासिल कर सकते हैं और ना हमारे पास मुनासिब जगह है। 
    उन्होंने मजीद बताया कि रमजान के महीने की आमद ने दुकानों और खाने-पीने की दुकानों के मालिकान को अपने दरवाजे खोलने की तरगीब दी, लेकिन इसके बावजूद खानदान महफूज नहीं रह सकते। उनकी तमाम जरूरीयात माली वजूहात की बिना पर पूरी होती हैं और इसके लिए हम उनके तैयार करदा खाने पर इन्हिसार करते हैं। खातून ने मजीद कहा कि कुछ खानदान जो रमजान के महीने की तमाम जरूरीयात को पूरा करने के काबिल थे, खाना पकाने के लिए मुनासिब जगह की कमी का शिकार हैं, क्योंकि उनके लिए खेमों में उनके छोटे साइज की वजह से ऐसा करना मुश्किल है।

nai tahreek, naitahreek, tahreek, tahreeke nav

Post a Comment

if you have any suggetion, please write me

और नया पुराने