22 शाअबानुल मोअज्जम 1444 हिजरी
बुध, 15 मार्च 2023
नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
हाल ही में एक पीआईएल दायर की गई, जिसमें गोश्त के इस्तिमाल पर पाबंदी का मुतालिबा किया गया था। दरखास्त में जानवरों के कत्ल पर पाबंदी लगाने और लोगों को लेबोरेटरी में तैयार करदा गोश्त की तरफ जाने की हिदायत मांगी गई थी। सुप्रीमकोर्ट ने दरखास्त की समाअत से इनकार करते हुए कहा कि मुल्क में बड़ी आबादी के पेश-ए-नजर गोश्त के इस्तिमाल पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती। जस्टिस केएम जोजफ और जस्टिस बीवी नागारत्ना के डिवीजन ने कहा कि खाने के लिए जानवरों का कत्ल कानून के तहत जायज है। इसलिए उसे रोका नहीं जा सकता। सुप्रीमकोर्ट ने लेबोरेटरी में पैदा किए गए गोश्त को तबदील करने की अर्जी पर गौर करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आपकी उसूली बुनियाद ये है कि जानवरों के साथ कोई जुल्म नहीं होना चाहिए। कानून में, ये जानवरों पर जुलम की रोक-थाम के एक्ट के तहत आता है। सेक्शन 11 (जानवरों के साथ जालिमाना सुलूक (जानवरों के खाने की इजाजत देता है।) आप अदालत से क्या पूछ रहे हैं, क्या हुकूमत ऐसी पालिसी बना सकती है जो उसके बरअक्स हो। ये उन बुनियादों में से एक है, जिसमें किसी पालिसी को मनमानी, गैर आईनी या बुनियादी हुकूक के मुनाफी होने के अलावा चैलेंज किया जा सकता है। अदालत ने मजीद कहा कि एग्जीक्यूटिव एक्शन किसी कानून के खिलाफ नहीं हो सकता।
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