22 शाअबानुल मोअज्जम 1444 हिजरी
बुध, 15 मार्च 2023
नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
सुप्रीमकोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के अहाते से मस्जिद को हटाने के 2017 के फैसले में मुदाखिलत करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में मुदाखिलत की कोई वजह नहीं है। सुप्रीमकोर्ट ने दरखास्त गुजार को जगह खाली करने के लिए तीन माह का वक़्त दिया। सुप्रीमकोर्ट ने दरखास्त गुजार को मस्जिद के लिए दूसरी जगह पर जमीन की मांग के लिए रियास्ती हुकूमत के सामने अपना केस पेश करने की इजाजत दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालत के अहाते में वाके मस्जिद को खाली करने का हुक्म दिया था। हाईकोर्ट वक़्फ मस्जिद और यूपी सुन्नी सेंट्रर्ल वक़्फ बोर्ड की दरखास्तों को मुस्तर्द करते हुए जस्टिस एमआर शाह और सीटी रवी कुमार की बेंच ने अर्ज गुजार को मस्जिद को हटाने के लिए तीन माह का वक़्त दिया और कहा कि अगर आज से तीन माह के अंदर तामीरात ना हटाई गईं तो उन्हें हटाने या गिराने का रास्ता हाईकोर्ट समेत हुक्काम के सामने होगा। बेंच ने अर्ज गुजार को ये भी इजाजत दी कि वो करीबी इलाके में मुतबादिल अराजी के अलाटमैंट के लिए उतर प्रदेश हुकूमत से मुतालिबा करें। वक़्फ मस्जिद की तरफ से पेश होने वाले सीनीयर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की इमारत 1861 में तामीर की गई थी। उसके बाद से मुस्लिम वुकला, मुस्लिम क्लर्क, मुस्लिम मुवक्किल जुमा के दिन शुमाली कोने में नमाज पढ़ते थे, वहां वुजू का भी इंतिजाम था। बादअजां बरामदे के करीब जजों का चैंबर बनाया गया, जहां नमाज अदा की जा रही थी। मुस्लिम वुकला के वफद की दरखास्त पर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने नमाज की अदायगी के लिए जुनूबी जानिब एक और जगह फराहम की। उस वक़्त एक शख़्स ने, जिसके पास सरकारी ग्रांट की जमीन थी, उन्हें अहाते में एक निजी मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए जगह दी, इस तरह निजी मस्जिद अवामी मस्जिद में बदल गई।
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