25 शाअबानुल मोअज्जम 1444 हिजरी
सनीचर, 18 मार्च 2023
काहिरा : आईएनएस, इंडिया
मिस्र में एक बूढ़ी मां 33 साल से अपने चार बेटों की कब्रों के पहलू में बैठी हुई है। गमजदा मां ने अपनी कहानी और बेटों के मरने के बाद कब्रिस्तान में जिंदगी गुजारने की तफसीलात मिस्री मीडीया को सुनाई हैं।
खबर के मुताबिक जुनूबी मिस्र के शहर बनी स्वीफ में गैर-आबाद सहराई इलाके में मिस्री खातून तन्हा जिंदगी गुजार रही हैं। मिस्री खातून नादिया अब्दुल हमीद सय्यद जिन्हें 'उम एमन’ के नाम से भी जाना जाता है, का कहना है कि 'अब उनकी उम्र 75 बरस है और वो पूरा दिन अपने बेटों के कब्रों के पास गुजारती हैं जो शेख रिफअत कब्रिस्तान में हैं। उन्होंने बताया कि 'वो रात गुजारने घर आती हैं और अगले रोज सुब्ह-सवेरे कब्रिस्तान चली जाती हैं।
33 साल से यही मामूल है। अपने जिगर गोशों को याद करते हुए नादिया अब्दुल हमीद सय्यद ने बताया कि उनके पांच बेटे थे जिनमें से चार 1990 में घर में गैस सिलेंडर फटने के बाइस आग लगने से जान की बाजी हार गए थे। उम एमन का दुख भरे लहजे में कहना था कि 'बेटों की हलाकत के बाद से दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है। अब तक समझ में नहीं आया कि चंद लम्हों में अपने चार जिगर गोशों से कैसे महरूम हो गई। मिस्त्री खातून का कहना है कि 'कब्रिस्तान में अबदी नींद सोए हुए अपने बच्चों से बात करती हूँ। उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी की तफसीलात ऐसे बताती हूँ, जैसे वो मेरी बातें सुन रहे हैं। उन्होंने बताया कि कब्रिस्तान के करीब एक छोटा सा कमरा बना लिया है, जहां पूरा दिन गुजारती हूँ। वहीं खाना बनाती हूँ। उन्हें इस बात का यकीन है कि मेरे बच्चे साथ हैं और वो खाब में मिलने आते हैं।
मिस्री खातून की वसीयत है कि 'मरने के बाद उसे बेटे के पहलू में दफन किया जाए।
nai tahreek, naitahreek, tahreek, tahreeke nav