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12 घंटे 16 मिनट मिनट का होगा पहला रोजा और आखिरी रोजा होगा 12 घंटे 54 मिनट का

12 घंटे 16 मिनट  मिनट का होगा पहला रोजा और आखिरी रोजा होगा 12 घंटे 54 मिनट का
अरब अमीरात में पहला रोजा 23 मार्च को 

दुबई : आईएनएस, इंडिया 
मुत्तहदा अरब अमीरात में फलकियाती अंजुमन के सरबराह इब्राहीम अलजरवान ने कहा है कि इस साल रमजान उल-मुबारक का पहला रोजा जुमेरात 23 मार्च को होने का इमकान है। रोजे का दौरानिया (अवधि) 14 घंटे होगा। ईद उल फितर जुमा 21 अप्रैल को होने की तवक़्को है। अल अमीरातुल यौम के मुताबिक इब्राहीम अलजरवान ने कहा कि रमजान का चांद मंगल 21 मार्च को सूरज गुरूब होने के बाद रात नौ बज कर 23 मिनट पर तलूअ होगा। बुध 22 मार्च को शाबान की 30 तारीख होगी और जुमेरात 23 मार्च को रमजान का पहला रोजा होगा।
    फलकियाती अंजुमन के सरबराह इब्राहीम अलजरवान ने ईद उल फितर के हवाले से बताया कि शवाल का चांद जुमेरात 20 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर तलूअ होगा। गुरूब-ए-आफ़्ताब के वक़्त मगरिबी उफुक (क्षितिज, आसमान) पर चार डिग्री बुलंदी पर नजर आएगा। सूरज गुरूब होने पर तकरीबन 22 मिनट तक देखा जा सकेगा। ईद का पहला दिन जुमा 21 अप्रैल को होगा। उन्होंने मजीद कहा कि इस साल रमजान के पहले और आखिरी रोजे में तकरीबन 40 मिनट का फर्क होगा। पहला रोजा आखिरी रोजे के मुकाबले में छोटा और आखिरी रोजा लंबा होगा। पहला रोजा तकरीबन 12 घंटे 16 मिनट और आखिरी रोजा 12 घंटे 54 मिनट का होगा।

दानिशवरों और फनकारों के लिए सकाफ़्ती मर्कज ‘फना-ए-अल अव्वल’ का आगाज

रियाद : सकाफ़्तों (संस्कृति) के दरमयान तखलीकी इजहार (रचनात्मक अभिव्यक्ति) और मकालमे (संवाद) के लिए मुकाम फराहम करना भी एक आला सकाफ़्ती फजीलत की नुमाइंदगी है। इस सिलसिले में सऊदी वजारत-ए-सकाफत (संस्कृति मंत्रालय) ने दार-उल-हकूमत (राजधानी) रियादइ के सिफारती क्वार्टर में नए सकाफ़्ती मर्कज (सांस्कृतिक केंद्र) ‘फना-ए-अल अव्वल’ का आगाज किया है। 
    ये मर्कज मुफक्किरीन (विचारकों), तखलीककारों (रचनाकारों) और मुख़्तलिफ शोबों के माहिरीन को एक जगह इकट्ठा होने का मौका फराहम करेगा और इल्म के तबादले के प्लेटफार्म के तौर पर काम करेगा। 'पहले सेहन' की इफ़्तिताही तकरीब (उद्घाटन समारोह) को सऊदी वजीर सकाफ़्त (संस्कृति मंत्री) शहजादा बदर बिन अब्दुल्लाह बिन फरहान ने स्पांसर किया था। इस मौका पर मुतअद्दिद दानिश्वर (अनेक बुद्धिजीवि) और फनकार मौजूद थे। ये एक मरबूत सकाफ़्ती मर्कज (एकीकृत सांस्कृति केंद्र) है जो मुख़्तलिफ मुकामात के आर्ट की नुमाइशों और वर्कशॉप्स का इनइकाद करेगा और एक सकाफ़्ती और इल्मी मुकाम के अफराद और तमाम शोबा जिंदगी के अफराद के लिए मर्कज के तौर पर काम करेगा। 
    शहजादा बदर बिन फरहान ने इफ़्तिताही तकरीब के दौरान अपनी तकरीर में कहा कि फना-ए-अल अव्वल सकाफ़्ती और तखलीकी मंजिÞल है और नए सकाफ़्ती मर्कज का इफ़्तिताह वजारत के लिए काबिल फखर है। रियाद शहर के लिए फना-ए-अल अव्वल का कयाम रॉयल कमीशन के तआवुन से अमल में आया है। इसे सकाफ़्ती मुकाम बनाया जाएगा जहां सऊदी विजन 2030 के तहत मुख़्तलिफ सकाफ़्तों के दरमयान तखलीकी इजहार और मुकालमा को जगह दी जाएगी। वजारत-ए-सकाफत की हिक्मत-ए-अमली की बुनियाद पर ये मर्कज सकाफ़्ती और फनकाराना मंजर नामे को आगे बढ़ाएगा और आलमी सकाफ़्ती तबादले के मवाके पैदा करने में मुआविन (मददगार) साबित होगा।
    उन्होंने उम्मीद जताई कि फना-ए-अल अव्वल से सऊदी अरब की हैसियत और इसकी सकाफ़्ती नुमाइंदगी में इजाफा होगा। ये सकाफ़्ती मर्कज डिप्लोमैटिक क्वार्टर में फर्स्ट बैंक की तारीखी इमारत में वाके है। ये इमारत 1988 में डिजाइन की गई थी और ये डिप्लोमैटिक क्वार्टर के नुमायां निशानात में से एक है।
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