बगदाद : आईएनएस, इंडिया
इराकी माहिरीन आसारे-ए-कदीमा (पुरातत्व विशेषज्ञ) ने 2700 साल कब्ल मसीह (ईसा पूर्व) पुराना रेस्तोराँ और 5 हजार साल पुराना फ्रीज मिला है। सीएनएन न्यूज चैनल के मुताबिक माहिरीन को यह तारीखी रेस्तोराँ शहर में खुदाई के दौरान मिला है। दरयाफतकरदा रेस्तोराँ कई हिस्सों पर बंटा हुआ है। इसका एक हिस्सा खुली हवा में खाना खाने के लिए रखा गया था। उसके तहत एक कमरा है, जिसमें कुर्सियाँ रखी हुई हैं। एक तंदूर है। बचा हुआ पुराना खाना भी है। एक फ्रीज है जो पाँच हजार बरस पुराना है। रेस्तोराँ में एक ऐसी जगह मिली है जिसकी शक्ल तंदूर जैसी है। इसकी खासीयत ये है कि ये खाने को ठंडा रखने के लिए रतूबत जज्ब कर लेता है। यहां मखरूती शक्ल के दसियों बर्तन भी मिले हैं। बड़ी तादाद में बची हुई मछलियाँ रखी हुई हैं, जिससे पता चलता है कि उस जमाने में खुली हवा में खाना खाने के लिए बाकायदा जगह हुआ करती थी। कहा जाता है कि इराक में जो जगह इन दिनों तलवल अलाबा के नाम से मशहूर है, और जिसे मशरिक-ए-वुसता का सबसे पुराना तारीखी मुकाम माना जाता है और जो जीकार कमिशनरी के शुमाल मशरिक में वाके है, उसका पुराना नाम लगश हुआ करता था। ये मुकाम 600 हेक्टेयर से ज्यादा बड़े रकबे में फैला हुआ है। ये अलनहरीन के जुनूब (दक्षिण) में बड़े तारीखी मुकामात में से एक है। यहां पाँच हजार कब्ल मसीह (ईसा पूर्व) आबादी थी। जिसका सिलसिला 2 हजार कब्ल मसीह तक जारी रहा। इराक, अमरीका और बर्तानिया के माहिरीन आसारे-ए-कदीमा ने 2019 के दौरान तारीखी खुदाई का मुशतर्का (सााा) मन्सूबा बनाया था। नई दरयाफत इसी सिलसिले की एक कड़ी है। अमरीका की पेंसिलवेनिया यूनीवर्सिटी के मातहत आसारे-ए-कदीमा अजाइब घर, बर्तानिया की कैंब्रिज यूनीवर्सिटी और बगदाद में आसारे-ए-कदीमा की रियास्ती काउंसिल जदीद (आधुनिक) टेक्नोलोजी की मदद से तारीखी मुकामात की दरयाफत का काम कर रही हैं।
इराकी माहिरीन आसारे-ए-कदीमा (पुरातत्व विशेषज्ञ) ने 2700 साल कब्ल मसीह (ईसा पूर्व) पुराना रेस्तोराँ और 5 हजार साल पुराना फ्रीज मिला है। सीएनएन न्यूज चैनल के मुताबिक माहिरीन को यह तारीखी रेस्तोराँ शहर में खुदाई के दौरान मिला है। दरयाफतकरदा रेस्तोराँ कई हिस्सों पर बंटा हुआ है। इसका एक हिस्सा खुली हवा में खाना खाने के लिए रखा गया था। उसके तहत एक कमरा है, जिसमें कुर्सियाँ रखी हुई हैं। एक तंदूर है। बचा हुआ पुराना खाना भी है। एक फ्रीज है जो पाँच हजार बरस पुराना है। रेस्तोराँ में एक ऐसी जगह मिली है जिसकी शक्ल तंदूर जैसी है। इसकी खासीयत ये है कि ये खाने को ठंडा रखने के लिए रतूबत जज्ब कर लेता है। यहां मखरूती शक्ल के दसियों बर्तन भी मिले हैं। बड़ी तादाद में बची हुई मछलियाँ रखी हुई हैं, जिससे पता चलता है कि उस जमाने में खुली हवा में खाना खाने के लिए बाकायदा जगह हुआ करती थी। कहा जाता है कि इराक में जो जगह इन दिनों तलवल अलाबा के नाम से मशहूर है, और जिसे मशरिक-ए-वुसता का सबसे पुराना तारीखी मुकाम माना जाता है और जो जीकार कमिशनरी के शुमाल मशरिक में वाके है, उसका पुराना नाम लगश हुआ करता था। ये मुकाम 600 हेक्टेयर से ज्यादा बड़े रकबे में फैला हुआ है। ये अलनहरीन के जुनूब (दक्षिण) में बड़े तारीखी मुकामात में से एक है। यहां पाँच हजार कब्ल मसीह (ईसा पूर्व) आबादी थी। जिसका सिलसिला 2 हजार कब्ल मसीह तक जारी रहा। इराक, अमरीका और बर्तानिया के माहिरीन आसारे-ए-कदीमा ने 2019 के दौरान तारीखी खुदाई का मुशतर्का (सााा) मन्सूबा बनाया था। नई दरयाफत इसी सिलसिले की एक कड़ी है। अमरीका की पेंसिलवेनिया यूनीवर्सिटी के मातहत आसारे-ए-कदीमा अजाइब घर, बर्तानिया की कैंब्रिज यूनीवर्सिटी और बगदाद में आसारे-ए-कदीमा की रियास्ती काउंसिल जदीद (आधुनिक) टेक्नोलोजी की मदद से तारीखी मुकामात की दरयाफत का काम कर रही हैं।
22 रज्जबुल मुरज्जब 1444 हिजरी
14 फरवरी 2023
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