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कोई भी मदरसा जाली, फर्जी या गै़रकानूनी नहीं : इफ़्तिखार अहमद

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लखनऊ : आईएनएस, इंडिया

यूपी मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डाक्टर इफ़्तिखार अहमद जावेद ने कहा है कि मदारिस का सर्वे किसी किस्म की तहकीकात नहीं थी। कोई भी मुदर्रिसा जाली, फर्जी या गै़रकानूनी नहीं है। तमाम मदरसों की इंतेजामिया को भेजे गए पैगाम में उन्होंने कहा है कि हुकूमतें वकतन-फ-वकतन सर्वे करती हैं और मौसूल होने वाले डेटा की बुनियाद पर मंसूबाबंदी की जाती है। सर्वे की चर्चा इसलिए ज्यादा हुई कि पिछली हुकूमतों ने मदारिस की इस्लाह की सिम्त में कोई काम नहीं किया। उन्होंने कहा कि मदारिस के सर्वे को आम सर्वे समझा जाए, ये किसी किस्म की तहकीकात नहीं थी। 

मुदर्रिसा परिषद की सिफारिश पर रियासत में गैर तस्लीमशुदा मदारिस के सर्वे का तारीखी काम मदरसों के मुहतमिम और मुंतजमीन के तआवुन से मुकम्मल किया गया है। इसके लिए उस की जितनी तारीफ की जाए कम होगी। 


हुकूमत चाहे तो तरक़्की की पालिसी व अमन के लिए उलमा का तआवुन ले सकती है : मौलाना मदनी

नई दिल्ली : जमई उलमा हिंद के सदर महमूद मदनी ने कहा है कि मुल्क की हुकूमत को फिरकावाराना हम-आहंगी (सांप्रदायिक सौहार्द), अमन और मुल्क की तरक़्की के लिए पालिसी बनाने में उलमाए कराम का तआवुन लेना चाहिए। 

महमूद मदनी इंडोनेशिया के सियासी, कानूनी और सिक्योरिटी उमूर के राबिताकार वजीर डाक्टर मुहम्मद महफूज पर रद्द-ए-अमल का इजहार कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुल्क की पालिसी बनाने और अमन फिरकावाराना हम-आहंगी को बरकरार रखने में उलमाए किराम की मदद ली जाती है। उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया में फिरकावाराना और मजहबी तनाजआत (विवाद) के हल के लिए एक कमेटी कायम की गई है। इंडोनेशिया के सियासी, कानूनी और सलामती उमूर के राबिताकार वजीर डाक्टर मुहम्मद महफूद ने ये बात इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में मुनाकिदा हिन्दोस्तान और इंडोनेशिया में बैन उल मजाहिब अमन और समाजी हम-आहंगी के कल्चर को तेज करने में उलमाए किराम का किरदार के मौजू पर मुनाकिदा एक सेमीनार के दौरान कही। 

सेमीनार में जमई उल्मा हिंद के सदर महमूद मदनी भी मौजूद थे। डाक्टर मुहम्मद महफूज के इस बयान पर फौरी रद्द-ए-अमल में महमूद मदनी ने कहा कि हिन्दोस्तान में भी उलमाए किराम फिरकावाराना हम-आहंगी को बरकरार रखने के लिए बहुत काम कर रहे हैं। हाल ही में जमई उलमा की जानिब से मुल्क के कई शहरों में बैन उल मजाहिब सेमीनार्ज भी मुनाकिद किए गए। ऐसा प्रोग्राम आॅल इंडिया सूफी काउंसिल ने भी मुनाकिद किया था। महमूद मदनी ने कहा कि अगर हकूमत-ए-हिन्द इंडोनेशिया की तरह मुल्क की तरक़्की और फिरकावाराना हम-आहंगी के लिए पालीसियां बनाने में उलमाए किराम की मदद लेती है तो उलमाए किराम पीछे नहीं हटेंगे। ‘आवाज दी वाइस’ से बात करते हुए उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें इस बात का इल्म नहीं कि इंडोनेशिया में इस सिम्त में और क्या काम हो रहा है। अगर ऐसा कुछ हो रहा है तो ये वाकई काबिल-ए-तारीफ है।


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