नई दिल्ली : आईएपएस, इंडिया
पिछले दिनों इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर नई दिल्ली में हिन्दोस्तान और इंडोनेशिया में बैनुल मजाहिब अमन और समाजी हम-आहंगी की सकाफत को फरोग देने में ‘उलमाए किराम का किरदार’ मौजू पर सरबराही इजलास का इनइकाद किया गया था।
जहां इंडोनेशिया के राबिताकार, वजीर बराए सियासी, कानूनी और सलामती उमूर मुहम्मद महफूज और हिन्दोस्तान के कौमी सलामती मुशीर (एडवाइजर) अजीत डोभाल ने सरबराही इजलास में खिताब किया। अपनी तकरीर के दौरान अजीत डोभाल ने कहा था कि जमहूरीयत में नफरत अंगेज बयानात की कोई जगह नहीं है और इंतिहापसंदी और दहश्तगर्दी इस्लाम के खिलाफ है क्योंकि इस्लाम का मतलब अमन है। मुहम्मद महफूज ने कहा कि मजहब को अमन का जरीया होना चाहिए, इखतिलाफ, तनाजा या तशद्दुद का सबब नहीं होना चाहिए, और उसे मुत्तहिद करने वाले आले के तौर पर इस्तिमाल किया जाना चाहिए।
आॅल इंडिया उलमा-ओ-मशाइख बोर्ड के कौमी सदर और वर्ल्ड सूफी फोरम के चेयरमैन अशरफ किछोछवी ने एनएसए के दफ़्तर में इंडोनेशिया के वजीर जनाब मुहम्मद महफूज से मुलाकात के दौरान उन्हें ‘इक्कीसवीं सदी में तसव्वुफ आलमी बोहरान के हल की तलाश' किताब पेश की। कौमी सलामती मुशीर अजीत डोवाल ने बोर्ड के सदर और वर्ल्ड सूफी फोरम के चेयरमैन का तआरुफ हिन्दोस्तान के एक मारूफ सूफी रहनुमा के तौर पर कराया, जो हिन्दोस्तान में सोफिया के पैगाम मुहब्बत की इशाअत कर रहे हैं। आॅल इंडिया उलमा-ओ-मशाइख बोर्ड और वर्ल्ड सूफी फोरम के जनरल सैक्रेटरी सलमान चिशती ने अमन सरबराही इजलास में हिन्दुस्तानी सूफी मुस्लमानों की नुमाइंदगी की। उन्होंने अपनी गुफ़्तगु के दौरान कहा कि हिन्दोस्तान सोफिया की सरजमीन है और हिन्दुस्तानी मुस्लमान सोफिया की मीरास ‘मुहब्बत सबसे, नफरत किसी से नहीं, गैर मशरूत मुहब्बत, सबकी खिदमत’ पर अमल करते हुए अमन और हम-आहंगी के साथ रहते हैं। ख़्याल रहे कि गुजिश्ता उल्मा मशाइख बोर्ड और वर्ल्ड सूफी फोरम के ओहदेदारान की कौमी सलामती मुशीर अजीत डोभाल से मुलाकात में पापूलर फ्रंट आफ इंडिया जैसी तन्जीमों पर पाबंदी की अपील की गई थी, जिसके बाद पीएफआई पर पाबंदी लगा दी गई थी।