कुछ हम झुकें, कुछ तुम झुको, यूं बन जाएगी बात : संत ललित प्रभ


नई तहरीक : दुर्ग

पहले मकान छोटे होते थे पर दिल बड़ा होता था। आज मकान भले ही बड़े हो गए हैं, लेकिन दिल अब छोटा रह गया है। जिस घर में माता-पिता का सम्मान होता है, वह घर हमेशा स्वर्ग से सुंदर होता है। ये उद्गार संबोधी समवशरण में धर्म सभा को संबोधित करते हुए महा उपाध्याय संत ललित प्रभ जी महाराज ने व्यक्त किए। 

बांदा तालाब स्थित संबोधी समवशरण में रविवार को दिव्य सत्संग प्रवचन माला के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए संत ललित प्रभ जी ने आगे कहा, स्वर्ग पाने के लिए मरने की आवश्यकता नहीं होती है, अच्छे पुरुषार्थ और सत्कर्म से परिवारिक एकता को साथ लेकर चलने से परिवार स्वर्ग से सुंदर हो जाता है, घर में फूट वहीं होती है जहां मानसिकता संकीर्ण होती है। घर का छोटा होना अलग होने का एक बहाना मात्र है। 

श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के बैनरतले आयोजित दिव्य सत्संग सभा को रतन मुनि महाराज के सेवा भावी शिष्य श्री आदित्य मुनि जी ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा, चिंता करने के लिए अनेक मौके हैं, चिंतन के लिए समय निकालिए, जीवन संवर जाएगा। शांतिपुरी प्रिय महाराज ने आगे कहा, जीवन में दुआ कभी साथ नहीं छोड़ती और बद्दुआ कभी पीछा नहीं छोड़ती। दुआ की दौलत का संग्रह जीवन पर्यंत करते रहें। दिव्य सत्संग सभा के पाठ पर साध्वी लयस्मिता जी महाराज अपने साध्वी समुदाय के साथ विराजमान थीं।

संघ, समाज और राष्टÑ को जोड़ने वाला ही संत

धर्म सभा को संबोधित करते हुए संत प्रवर श्री ललित प्रभु ने कहा, जुड़े हुए को तोड़ने वाला कभी संत नहीं हो सकता। टूटे संघ, समाज और राष्ट्र को जोड़ने वाला व्यक्ति ही सही मायने में संत है। उन्होंने कहा, पैसे कमा लेने से ही व्यक्ति बड़ा नहीं होता, मन बड़ा होना चाहिए। जीवन में सबसे बड़ा वह है, जिसके घर पर देव तुल्य मां-बाप हंै। सभी इस बात का प्रण करें कि प्रतिदिन सुबह उठकर माता-पिता को प्रणाम करने की आदत डालेंगे। 

अपनी कमाई का एक प्रतिशत सेवा कार्य में लगाएं

उन्होंने कहा कि भले ही हम आज 4जी नेटवर्क चला रहे हैं लेकिन याद रहे, यह नेटवर्क कभी भी फेल हो सकता है। लेकिन प्रभु, गुरु, माता-पिता, धर्म का नेटवर्क जीवन पर्यंत बना रहता है। उन्होंने कहा, अपनी कमाई का कम से कम 1 प्रतिशत हिस्सा धर्म कार्यों में, माता-पिता की सेवा में लगाएं। या माता-पिता के कहने पर उस राशि का सदुपयोग करें जिससे देव, गुरु, धर्म की कृपा बरसती रहे। 

मां-बाप का स्वर्गवास वृÞद्धाश्रम में हो तो

संत प्रवर ने कहा, किसी ने मु­ासे पूछा, जिनके माँ-बाप का स्वर्गवास वृद्धाश्रम में होता है, उन्हें सूतक कितने दिनों का लगता है? मैंने कहा, जिस दिन से उनके माँ-बाप वृद्धाश्रम गए, उसी दिन से उन्हें आजीवन सूतक लग जाता है। जिस घर में बूढ़े माँ-बाप को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है, उसी का नाम नरक है और जिस घर में बूढ़े माँ-बाप को पलकों पर बैठाया जाता है, उसी का नाम स्वर्ग है। 

जिस घर में प्रेम, वहां हर दिन ईद, और रात दीवाली 

संतश्री ने कहा कि साल में एक बार होली-दिवाली और ईद आती है, लेकिन जिस घर में सुबह उठकर भाई-भाई आपस में गले मिलते हैं, उस घर में साल के 365 दिन ईद होती है। जहां देवरानियों-जेठानियां एक थाली में भोजन करती हैं, उस घर में साल में 365 दिन होली होती है। जिस घर में बहुएं रात को अपने बेडरूम में जाने से पहले अपनी दादी के पांव और कमर दबाने जाया करती है, वहां साल के 365 दिन दीवाली होती है। ये ईद, दिवाली और होली जैसे पर्व हमारे घरों में हमेशा मनते रहें। अपने घरों में प्रेम की दौलत बढ़ाते रहो। 

माँ-बाप उपहार में आए हुए चलते-फिरते भगवान

संत प्रवर ने कहा कि किस्मत वाले होते हैं जिनके घर में बड़े-बुजुर्गों का साया होता है। बूढ़ा पेड़ फल तो नहीं देता, छाया जरूर देता है। वे किस्मत वाले होते हैं, जिनके घरों में बुजुर्गों की छाया होती है। यह सही है कि परिवार में पत्नी भगवान का दिया हुआ उपहार है, उसे खूब प्रेम करें पर माँ-बाप उपहार में मिले भगवान हैं, उनकी खूब सेवा करें। अगर संत कभी झूठ नहीं बोलते तो मैं यही कहूंगा कि वे किस्मत वाले होते हैं जिनके घर में माँ-बाप के रूप में जीते-जागते भगवान हैं।

संबोधि ध्यान योग क्लास आज

सोमवार को सुबह 6:15 बजे संबोधि ध्यान योग क्लास और सुबह 9 बजे राष्ट्रसंत के अंतिम प्रवचन सत्संग होंगे। जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बढ़ाने के विषय पर महा मांगलिक प्रदान किया जाएगा। 

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