26 अक्टूबर तक होगा उत्तराध्ययन सूत्र स्वाध्याय का वाचन
उत्तराध्ययन सूत्र स्वाध्याय एवं भावार्थ की होगी व्याख्या
नई तहरीक : दुर्ग
आनंद समवशरण में विगत दिनों युवाचार्य भगवंत श्री महेंद्र ऋषि जी महाराज द्वारा भगवान महावीर की अंतिम देशना उत्तराध्ययन सूत्र स्वाध्याय का वाचन प्रारंभ हुआ। 11 से 26 अक्टूबर तक चलने वाले इस प्रोग्राम के तहत उत्तर धन उत्तराध्ययन सूत्र स्वाध्याय एवं उसके भावार्थ को समझाया जाएगा।
युवाचार्य भगवंत श्री महेंद्र ऋषि जी महाराज द्वारा भगवान महावीर की
अंतिम देशना उत्तराध्ययन सूत्र स्वाध्याय का वाचन
पहले दिन उत्तराघ्यन की तीन स्वाध्याय गाथा भावार्थ सहित सुनाई गई। उत्तर ध्यान सूत्र जैन धर्म के श्वेतांबर ग्रंथ का धर्म ग्रंथ हैं। भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के कुछ समय पहले दिए गए उपदेश इसमें संग्रहित हैं। इस शब्द को जैन जगत में भगवान महावीर स्वामी की अंतिम वाणी के रूप में याद किया जाता है उत्तराध्यन सूत्र में 36 गाथा का स्वाध्याय है जो 15 दिन तक चलने वाले स्वाध्याय के तहत सुनाया और समझाया जाएगा।
स्वाध्याय सुनाते हुए युवाचार्य भगवन श्री महेंद्र ऋषि ने कहा, जीवन का सौभाग्य विनय है। विनय से जीवन में सारे सत्य कृत सभी साधना साकार हो जाती है। उन्होंने आगे कहा, साधक जब साधना मार्ग पर अपने कदम बढ़ाता है तो गुरु कृपा उस पर बरसती है। जिनेश्वर देव का मंगलकारी अनुग्रह प्राप्त इन सभी अनुकूलता में, वह जब चलता है तो कुछ परिस्थितियों में साधक विनय गुण गुरु की प्रेरणा से परिस्थितियों पर विजय पा लेता है।
उन्होंने कहा, चार परम अंग धर्म से प्राप्त होते हैं, मानवता,श्रुति, श्रद्धा और संयम। परम अंग बहुत दुर्लभ है। उन्होंने कहा, मनुष्य शरीर कर्म से मिलता है, पर मानवता कर्म से नहीं मिलती। इसके लिए व्यक्ति को स्वयं पुरुषार्थ करना पड़ता है। जहां मानवता है, वहां श्रुति, श्रद्धा, संयम की साधना फलित होती है।
11 अक्टूबर को उतराध्यन सूत्र स्वाध्याय के पहले दिन जैन धर्म के अनुयायियों ने बड़ी संख्या में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उत्तर ध्यान सूत्र स्वाध्याय के लाभार्थी परिवार स्वर्गीय अचल दास जी, निखिल जी पारख परिवार हैं जो लगातार 15 दिन तक इस तप के लाभार्थी रहेंगे। आयोजन के दौरान प्रतिदिन लकी ड्रॉ निकाले जा रहे हैं जिसके लाभार्थी माता जमुना देवी निर्मल कुमार, सौरव कुमार बाफना परिवार है।