नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
राज्य सभा के चेयरमैन जगदीप धनखर ने चाइल्ड मैरिज ममनू तरमीमी बिल (बाल विवाह निषेध संशोधन बिल) 2021 पर गौर करने के लिए पार्लियामेंट की स्टैंडिंग कमेटी की मीयाद (समय सीमा) 24 अक्तूबर से तीन माह तक बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। लोक सभा सेक्रेटेरियट के बुलेटिन के मुताबिक पार्लियामेंट की कायमा कमेटी बराए तालीम, खवातीन, इतफाल (नवजाद), नौजवान और स्पोर्टस ने चाइल्ड मैरिज तरमीमी बिल 2021 पर गौर करते हुए रिपोर्ट पेश करने के लिए तीन माह की बढ़ोतरी दी है। ये 24 अक्तूबर 2022 से लागू होगी।
काबिल-ए-जिÞक्र है कि चाइल्ड मैरिज ममनूआ तरमीमी बिल 2021 गुजिश्ता साल पार्लियामेंट के सरमाई इजलास (शीतकालीन सत्र) के दौरान पेश किया गया था। कई अपोजीशन जमातों ने इस की मुखालिफत की और मुतालिबा किया कि इस बिल को कायमा कमेटी को भेजा जाए जिसके बाद उसे गौर करने के लिए पार्लियामेंट की स्टैंडिंग कमेटी के पास भेज दिया गया। बिल में खवातीन की शादी की उम्र बढ़ा कर 21 साल करने की कोशिश की गई है ताकि उसे मर्दों के बराबर बनाया जा सके। इस वक़्त लड़कियों की शादी की कम अज कम उमर 18 साल है।
इसके अलावा सात पर्सनल लॉज में तरमीम (संशोधन) करने का कहा गया है। उनमें इंडियन क्रिस्चियन मैरिज एक्ट 1872, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954, पार्सी मैरिज एंड डीवोर्स एक्ट 1936, मुस्लिम (प्राईवेट ला एक्ट 1937 का इतलाक, तलाक आफ मैरिज एक्ट 1954, हिंदू मैरिज एक्ट 1955 और फौरन मैरिज एक्ट 1969 शामिल हैं। बिल में कहा गया है कि आईन (कानून) बुनियादी हुकूक के एक हिस्से के तौर पर सनफी मुसावात (लैंगिक समानता) और जिन्स की बुनियाद पर इमतियाजी सुलूक को रोकने की जमानत देता है। इसलिए मौजूदा कवानीन मर्दों और औरतों के दरमियान शादी की उम्र के सनफी मुसावात के आईनी मैंडियट को मुनासिब तौर पर यकीनी नहीं बनाते हैं। इसमें कहा गया है कि खवातीन अक्सर आला तालीम, पेशावराना तालीम, नफसियाती पुख़्तगी के हुसूल के हवाले से ना-मुवाफिक पोजीशन में रहती हैं और ऐसी सूरत-ए-हाल मर्दों पर औरतों के इन्हिसार को जन्म देती है। बिल के मुताबिक सेहत की बहबूद और खवातीन को बाइखतियार बनाने और बहबूद के नुक़्ता-ए-नजर से मर्दों को मुसावी मवाके की फराहमी को यकीनी बनाना जरूरी है।