प्रोफेसर मौलाना बरकतउल्ला भोपाली की 95 वीं बरसी के मौके पर बरकतुल्लाह एजुकेशन सोसाइटी ने किया इजलास का एहतेमाम
बड़ी तादाद में नगर के मोअज्जिज हजरात ने की शिरकत
नई तहरीक : भोपाल
मुल्क की जिला वतनी हुकूमत (निर्वासित सरकार) के वजीरे आजम फ्रीडम फाईटर, भोपाल के नामवर सपूत प्रोफेसर मौलाना बरकतउल्ला भोपाली की 95 वीं बरसी के मौके पर मौलाना बरकतउल्ला भोपाली एजुकेशन एंड सोशल सर्विस सोसायटी भोपाल के जेरे एहतेमाम इजलास का इनएकाद किया गया जिसमें मुल्क के तंई बरकतउल्ला भोपाली की अजीम कुर्बानी को याद कर उन्हें खेराजे अकीदत पेश की गई।
बरकतउल्ला पब्लिक स्कूल, गांधी नगर में मुनाकिद इजलास की शुरुआत तिलावते कुरआन से हुई। जिसके बाद शहर के मोअज्जिज हजरात ने प्रोफेसर मौलाना बरकत उल्ला भोपाली की जिंदगी पर रोशनी डालते हुए मुल्क के तंई की गई उनकी लासानी खिदमात को याद किया गया। जलसे से खिताब करते हुए सोसायटी के सदर हाजी मोहम्मद हारून ने कहा, मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली ने मुल्क के लिए अजीम कुर्बानियां दीं। उन्होंने मुल्क की आजादी के लिए अपनी पूरी जिंदगी वक्फ कर दी थी। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर बरकतउल्ला ने उस वक्त की साम्राज्यवादी हुकूमत के खिलाफ जिला वतनी सरकार कायम की जिसके वे वजीरे आजम बने और राजा महेंद्र प्रताप सदर हुए। मुल्क की आजादी के लिए ये उस वक्त की जालिम साम्राज्यवादी सरकार के खिलाफ उनकी बड़ी कोशिश थी।
कुर्बानियों को भुला दिया गया
सोसायटी के सदर हाजी हारुन ने जलसे को खिताब करते हुए इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि मुल्क के अजीम रहनुमा प्रोफेसर मौलाना बरकतउल्ला की कुर्बानियों को भुला दिया गया है। यहां तक कि सरकारी सतह पर भी उनकी कुर्बानियों को फरामोश कर दिया गया है। उन्होंने भारत सरकार और खास तौर पर मध्यप्रदेश सरकार से इस बात का मुतालबा किया कि शहरे भोपाल की अजीम शख्सियत बरकतउल्ला भोपाली की मुल्क के तंई की गई खिदमात को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि उनकी जीवनी को स्कूली निसाब (पाठ्यक्रम) में शामिल किया जाए ताकि मौजूद और आने वाली पीढ़ी उनकी महान कुर्बानियों को जान सकें। इस दौरान मौलाना बरकतुल्लाह भोपाली के नाम से एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी के गठन की भी मांग उठी। मुकर्ररीन ने कहा, चूंकि प्रोफेसर मौलाना बरकतउल्ला भोपाली का भोपाल के सुलेमानिया स्कूल से खास नाता रहा है, इसलिए सुलेमानिया स्कूल में उनके नाम की शिलालेख लगाई जाए और उनके नाम से वाबस्ता एक रिसर्च सेंटर खोला जाना चाहिए।
इजलास को खासतौर पर राजेंद्र कोठारी, प्रोफेसर नोमान, हजरत मौलाना मुफ्ती अब्दुल रहीम, महेंद्र शर्मा, एमडबल्यू अंसारी, ज्ञानी गुरविंदर सिंह, फादर मारिया स्टीफन, शैलेंद्र शैली, हजरत मौलाना अजहर, मुफ्ती मोहम्मद सईद अख्तर, मोहम्मद कलीम खान एडवोकेट, हाजी इमरान हारून, मौलाना इस्माइल बेग, हाजी हनीफ अय्यूबी, मौलाना यासिर, मुजाहिद मोहम्मद खान, मौलाना राफे अली, मौलाना हनीफ वगैरह ने खिताब किया। इजलास की कार्रवाई बरकतउल्ला एजुकेशन सोसायटी के सेक्रेटरी मोहम्मद कलीम खान एडवोकेट ने चलाई। इजलास में बड़ी तादाद में सभी मजहब के लोगों ने शिरकत की। इजलास का इख्तेताम कौमी तराने जन-गन-मन... के साथ हुआ।