तलाक हसना गैर मुंसिफाना नहीं, खवातीन को है खुला का इखतियार : सुप्रीमकोर्ट


नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
 

सुप्रीमकोर्ट में तलाक हसना के खिलाफ मुस्लिम खातून की दरखास्त की समाअत के दौरान सुप्रीमकोर्ट ने जबानी रिमार्कस देते हुए कहा कि पहली नजर में तलाक हसना इतना गैर मुंसिफाना नहीं लगता। इसमें खवातीन के पास भी खुला का आॅपशन मौजूद है। हम नहीं चाहते कि ये किसी और वजह से एजेंडा बन जाए। अदालत ने दरखास्त गुजार खातून से कहा कि वो बताएं कि वो रजामंदी से तलाक के लिए तैयार हैं या नहीं। क्या इस तरह के मजीद केसिज जेरे इलतिवा (लंबित) हैं। 

अब अगली समाअत 29 अगस्त को होगी। समाअत के दौरान जस्टिस एसके कौल ने कहा कि पहली नजर में ये इतना गैर मुंसिफाना नहीं लगता। खवातीन के पास भी खुला का इखतियार मौजूद है। पहली नजर में मैं दरखास्त गुजार से मुत्तफिक नहीं हूँ। दूसरी जानिब दरखास्त गुजार की वकील पिंकी आनंद ने कहा कि खातून का 8.5 माह का बेटा है। सुप्रीमकोर्ट दरखास्त की समाअत करे। तलाक सलासा के मुआमले में कुछ सवालात को छोड़ दिया गया था। अहम बात ये है कि सुप्रीमकोर्ट ने तलाक हसना के खिलाफ एक मुस्लिम खातून की दरखास्त पर समाअत की। अर्जी में सब के लिए तलाक के लिए यकसाँ तरीका-ए-कार के लिए रहनुमा खुतूत वजा करने के लिए मर्कज को हिदायत देने की मांग की गई है। ये दरखास्त गाजीयाबाद की खातून ने दायर की थी। उसने दरखास्त में इल्जाम लगाया है कि उसका शौहर और शौहर के अहिले खाना उसे जहेज के लिए तशद्दुद का निशाना बनाते थे, जब उसने इनकार किया तो उसने वकील के जरीये यकतरफा तौर पर उसे तलाक हसना दे दिया। दरखास्त गुजार की जानिब से पिंकी आनंद ने कहा था कि उसका 8.5 साल का बेटा है। पहला नोटिस 20 अप्रैल को मौसूल हुआ। इससे कबल सुप्रीमकोर्ट ने जल्द समाअत से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि दरखास्त गुजार आइन्दा हफ़्ते समाअत के लिए जिÞक्र करे। मुस्लिम खातून की जानिब से पिंकी आनंद ने सुप्रीमकोर्ट को बताया कि 19 अप्रैल को शौहर ने उन्हें तलाक हसना के तहत पहला नोटिस जारी किया। उसके बाद 20 मई को दूसरा नोटिस जारी किया गया। अगर अदालत मुदाखिलत नहीं करती है तो 20 जून तक तलाक की कार्रवाई मुकम्मल हो जाएगी। लेकिन जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ ने कहा था कि पहला नोटिस 19 अप्रैल को जारी किया गया था, लेकिन आपने दूसरे नोटिस तक इंतिजार किया। खातून की तलाक को चैलेंज करने वाली दरखास्त पर फौरी समाअत की जरूरत नहीं है। जज ने ये भी पूछा था कि इस मुआमले में पीआईएल क्यों दाखिल की गई, हालाँकि अर्ज गुजार की इस्तिदा के बाद अदालत ने कहा कि वो अगले हफ़्ते उसका जिÞक्र करें। खातून ने तलाक हसना को यकतरफा, और बराबरी के हक के खिलाफ करार देते हुए दरखास्त दायर की है। दरखास्त गुजार के मुताबिक ये रिवायत इस्लाम के बुनियादी उसूल में शामिल नहीं है। दरखास्त गुजार ने अदालत से इस्तिदा की कि उसके ससुराल वालों ने उसे शादी के बाद जहेज के लिए हिरासाँ किया, जहेज का बढ़ता हुआ मुतालिबा पूरा ना करने पर उसे तलाक दे दी। ये रिवाज सती की तरह एक समाजी बुराई है। अदालतें इसे खत्म करने के लिए उसे गै़रकानूनी करार देती हैं, क्योंकि हजारों मुस्लमान खवातीन इस बुराई की शिकार होती हैं।


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