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नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
जुनूबी (दक्षिण) कश्मीर के शोपिया जिÞला से 12 किलोमीटर दूर गांव चोटीगाम के मुकामी मुस्लमानों ने मंगल की सुबह एक मुकामी कश्मीरी हिंदू की शवयात्रा के दौरान दहश्तगरदों के हाथों बे-गुनाहों की हलाकत के खिलाफ एहतिजाज किया।
लोगों ने इस तरह की हलाकतों के खिलाफ पहले भी अपना गुस्सा जाहिर किया है, लेकिन गांव वालों ने कभी पाकिस्तान के हिमायतयाफताह दहश्तगरदों के खिलाफ इतनी खुलकर आवाज उठाने की जुरात नहीं की। जब सुनील कुमार की शव यात्रा का जलूस श्मशानघाट की तरफ बढ़ रहा था, सोगवारों ने जिनमें से ज्यादातर कश्मीरी मुस्लमान थे, ने 'कत्ल-ए-नाहक नामंजूर, और 'खूनखराबा नामंजूर,’ जैसे नारे लगाए। सुनील कुमार और उनके भाई पिताम्बर कुमार उर्फ पिंटो, डोगरी बोलने वाले कश्मीरी तबके से ताल्लुक रखते थे। ये तबका बरसों से कश्मीर में रह रहा है। दहश्तगरदों ने उन पर तब हमला किया, जब वो मंगल की सुबह अपने बाग का दौरा कर रहे थे। ये हमला उस हालत में हुआ कि गांव में गैरमुस्लिमों को खतरे के पेश-ए-नजर उनके घर को पुलिस ने तहफ़्फुज फराहम किया हुआ है।
सुनील कुमार मौका पर ही हलाक हो गए जबकि पीताम्बर कुमार को गोली लगने से जखम आने के बाद हस्पताल में दाखिल कराया गया था। हमले की मुजम्मत में, समाजी कारकुनों के एक ग्रुप ने मेगरे मंसूर की कयादत में शोपियां क्लाक टावर के करीब मोम बत्तियों के साथ एहतिजाज किया। देहात वालों ने मुकामी मीडीया को बताया कि कश्मीरी पण्डित बिरादरी के अफराद पर हमला फौरन बंद होना चाहिए। हम अम्न पसंद हैं और सदियों से फिरकावाराना हम आहंगी (सांप्रदायिक सौहार्द्र) के बीच रह रहे हैं। हम इस तरह के हमलों की शदीद मुजम्मत करते हैं। एक समाजी कारकुन याणा मीर ने ट्वीटर पर लिखा कि जब भी कश्मीरी हिंदू मारा जाता है, तो मुस्लमानों की जिंदगियों को भी खतरा लाहक होता है। मुस्लमानों और इस्लाम का नाम इस्तिमाल करने वाले कातिलों के नाम उन्होंने सख़्त किस्म का पैगाम दिया।
कश्मीरी पण्डित संघर्ष समीती (केपीएसएस) की जानिब से एक हफ़्ते के अंदर वादी छोड़ने के मुतालिबे के बाद कश्मीर का आम मुस्लमान इंतिहाई परेशान है। वो ना सिर्फ उन्हें रोकने के लिए आगे आए हैं बल्कि जुलूस की शक्ल में घरों से सड़कों पर निकल कर दहश्तगरदों की टार्गेट किलिंग की मुखालिफत करने का हौसला दिखा रहे हैं।