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हाइल में पुराने अरबी रस्मुल खत में 'इस्म-ए-मोहम्मद’ का पहला नविश्ता मिला

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रियाद : सऊदी अरब के शुमाली इलाके हाइल में जलफ पहाड़ों में पाए जानेवाले नविश्ता जात (शिलालेख) में पहली बार एक ऐसा नविश्ता मिला है, जिस पर इस्म-ए-मुहम्मद’ लिखा हुआ है। ये इलाका समूद्री बाकियात (अवशेष) मिलने के हवाले से जाना जाता है और वहां कदीम अरबी रस्म-उल-खत में कई चट्टाने मौजूद है। सऊदी मुहक़्किक (शोधकर्ता) मशारी अलनिशमी ने इन पहाड़ों के मुताला (अध्ययन) के दौरान एक ऐसा नविश्ता पाया, जिसमें 'मुहम्मद’ नाम का जिÞक्र है। उन्होंने बताया कि ये नविश्ता 'मुहम्मद’ बिन तबा के पूरे नाम के साथ मौजूद है। कदीम मोअर्रिख (इतिहासकार) ने उन लोगों के सात नाम बताए हैं जिन्हें इस्लाम से पहले मुहम्मद कहा जाता था। कहा जाता है कि वो चौदह आदमी थे, लेकिन उन नामों में मुहम्मद बिन तबा मौजूद नहीं थे, इसलिए ये एक नया तारीखी इजाफा है। 

उन्होंने मजीद कहा कि सबसे तवील समूद्री मतन (अध्याय) मिला है जो उस दौर में पेश आने वाली एक कहानी को बयान करता है। इससे जाहिर होता है कि उस इलाके में रहने वाले एक अरब खानदान के अफराद पर एक बीमारी ने हमला किया, जिनका ताल्लुक उलिससमत कबीले से था। एक बच्चा जिसके माँ बाप उस बीमारी से फौत हो गए सिर्फ उनका बेटा बच गया। उसके चचाजाद भाई ने उसे एक ऊंट तोहफे में दिया जिस पर 'असहम सालिम' नाम दर्ज है। ये कहानी एक बड़े गार के पास एक चट्टान पर लिखी गई थी। मुहक़्किक (शोधकर्ता) मशारी अलनिशमी और प्रोफेसर सुलेमान अलजीब के दरमयान पाँच साल से जाइद अर्से तक जारी रहने वाले तआवुन के नतीजे में इस खित्ते में समूदी दौर की तहरीरों के एक बड़े हिस्से का तर्जुमा हुआ। शाह सऊद यूनीवर्सिटी में कदीम जबानों के प्रोफेसर सुलेमान अलजीब ने इससे कब्ल तसदीक की थी कि खलीज के पहाड़ों में पुराने दौर की तहरीरें और नविश्ता जात मिले हैं। इन तहरीरों में प्रोपेगंडा और समाजी तहरीरों के साथ साथ आरजू और मुहब्बत की कहानियां भी मिलती हैं। 

उन्होंने मजीद कहा कि जलफ पहाड़ी सिलसिला हाइल के इलाके के शुमाल में वाके आसारे-ए-कदीमा (पुरातत्व) के सबसे अहम मुकामात में से एक है जिसमें मुख़्तलिफ राक आर्ट और ड्राइंग्ज हैं जिनमें सबसे अहम ऊंट और आई बेकस ड्राइंग, इन्सानी ड्राइंग के अलावा खजूर की तसावीर भी मिलती हैं। उन्होंने वजाहत की कि खलीजी पहाड़ दीगर आसारे-ए-कदीमा के मुकामात से मुमताज हैं, क्योंकि ये शहर हाइल से करीब है जो कि सिर्फ 40 किलोमीटर के फासले पर है और पहाड़ों, मैदानों और दरियाओं के मुख़्तलिफ खित्तों पर मुश्तमिल एक खूबसूरत मुकाम है।


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