65 हजार जईफुर्रहमान (बुजुर्गों) को तिब्बी सहूलतें फराहम की गई अमराज-ए-कल्ब (दिल की बीमारी) में मुबतला 108 हुज्जाज की एंजोप्लास्टी की गईगुर्दे के अमराज में मुबतला 313 हुज्जाज को डायलासिस की सहूलत फराहम की गई जबकि 177 की सर्जरी की गई। 1831 हुज्जाज ने आॅनलाइन क्लीनिक के जरीये तिब्बी मश्वरे लिए
रियाद : सऊदी वजारत-ए-सेहत के तर्जुमान डाक्टर मुहम्मद अब्दुल आली ने कहा कि रवां बरस हज के दौरान हुज्जाज की सेहत के हवाले से मजमूई तौर पर हालात तसल्ली बखश हैं, किसी किस्म के वबाई मर्ज की कोई इत्तिला मौसूल नहीं हुई।
सऊदी खबररसां इदारे के मुताबिक तर्जुमान वजारत-ए-सेहत (स्वास्थ्य मंत्रालाय) ने प्रेस कान्फ्रेंस से खिताब करते हुए बताया कि हुज्जाज की सेहत तसल्ली बखश है, वबाई मर्ज रिकार्ड नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि हुज्जाज किराम को हमारी नसीहत है कि वो खुली धूप से बचने के लिए छतरी का इस्तिमाल लाजिÞमी करें ताकि 'लू’ से महफूज रहे सकें। इसके अलावा पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तिमाल करें ताकि जिस्म पानी की किल्लत का शिकार ना हो। तर्जुमान सेहत का मजीद कहना था कि अब तक 65 हजार जईफुर्रहमान को तिब्बी सहूलतें फराहम की गई जबकि अमराज-ए-कल्ब में मुबतला 108 हुज्जाज की एंजोप्लास्टी की गई। गुर्दे के अमराज में मुबतला 313 हुज्जाज को डायलासिस की सहूलत फराहम की गई जबकि 177 की सर्जरी की गई। इसके अलावा 1831 हुज्जाज ने आॅनलाइन क्लीनिक के जरीये तिब्बी मश्वरे लिए हैं।
टूटे बाजू के साथ गुमशुदा हाजियों की रहनुमाई में मसरूफ रजाकार
रियाद : सऊदी अरब में मुख़्तलिफ शोबों से ताल्लुक रखने वाले रजाकार (स्वयंसेवक) हुज्जाज किराम की खिदमत जारी रखे हुए हैं। जिस्मानी तकालीफ भी उन्हें हुज्जाज किराम की खिदमत से दूर नहीं कर पा रही है। जराइआ इबलाग में शाइआ होने वाली मुतअद्दिद तसावीर में एक ऐसे स्काउट को हुज्जाज किराम की रहनुमाई करते देखा जा सकता है, जिसका एक बाजू टूटा हुआ है। टूटे बाजू के साथ हुज्जाज की रहनुमाई करने वाले ये रजाकार सऊदी अरब की हाइल यूनीवर्सिटी के नवाफ बिन अलशमरी हैं। उनके बाजू में ये चोट उस वक़्त लगी, जब वो मिना में हुज्जाज किराम के लिए रजा काराना खिदमात अंजाम दे रहे थे। तफसीलात में मोबाइल फोन आपरेटर नवाफ ने अपनी चोट के बारे में कहा कि मिना में सर्वे के दौरान काम करते हुए अपना तवाजुन (संतुलन) खो बैठा, जिसकी वजह से मेरा हाथ फ्रैक्चर हो गया। उन्होंने कहा कि मैं काम और पैगाम पर यकीन रखता हूँ। जईफुर्रहमान (बुजुर्गों) की रहनुमाई और खिदमत मेरा जजबा और शौक है और मैं इस के लिए हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार हूँ। उनका कहना था कि हुज्जाज की खिदमत एक अजीम काम है और कोई मुश्किल इसमें रुकावट नहीं बन सकती।