नई दिल्ली : मुत्तहदा अरब इमारात (यूएई) के सदर शेख खलीफा बिन जै़द की मौत पर गम का इजहार करते हुए कांग्रेस के साबिक सदर राहुल गांधी ने जुमा को कहा कि उन्हें एक ब बसीरत रहनुमा के तौर पर याद रखा जाएगा। उन्होंने ट्वीट किया है कि शेख खलीफा बिन जाएद के अहल-ए-खाना और मुत्तहदा अरब अमीरात के लोगों से मेरी गहिरी ताजियत। उन्हें एक ब बसीरत रहनुमा के तौर पर याद रखा जाएगा जिन्होंने मुत्तहदा अरब अमीरात में तेजी से तरक़्की की। मुत्तहदा अरब अमीरात के सदर और अबूजहबी के हुकमरान शेख खलीफा बिन जै़द जुमा को इंतिकाल कर गए। उनकी उम्र 73 बरस थी। मुकामी मीडीया ने सदारती उमूर की वजारत के हवाले से शेख खलीफा की मौत की तसदीक की है।
बर्तानिया का सऊदी शहरीयों के लिए ई वीजा का ऐलान
लंदन : बर्तानिया ने यक्म जून से सऊदी अरब के शहरियों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वीजा जारी करने का ऐलान कर दिया है। सऊदी अरब में मुकीम बर्तानवी सफीर ने ट्वीटर पर वीडीयो पैगाम देते हुए कहा कि एक जून से कोई भी सऊदी शहरी आॅनलाइन वीजा की दरखास्त देने का अहल होगा।
इस वीजे से सऊदी शहरी बर्तानिया में 6 माह तक कयाम कर सकेंगे। उन्होंने मजीद कहा कि ये इकदाम एक बड़ी बेहतरी है जो दोनों ममालिक के बाहमी ताल्लुकात को बढ़ाने की खाहिश से हम-आहंग है। बर्तानिया में सऊदी अरब के सिफारत खाने ने कहा है कि यक्म जून से, सऊदी पासपोर्ट के हामिल अफराद 24 घंटे के अंदर 37 डालर में इलेक्ट्रॉनिक वीजा हासिल कर सकेंगे। जिन दरखास्त दहिंदगान के इलेक्ट्रॉनिक वीजा को मंजूर कर लिया गया, उन्हें उस का प्रिंट आउट बर्तानिया एंट्री से पहले हुक्काम को दिखाना होगा। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के डेटा की बुनियाद पर दुनिया के पासपोर्ट की दर्जाबंदी में सऊदी अरब का पासपोर्ट 2022 में 79 वीजा फ्रÞ मुकामात के साथ आलमी सतह पर 66 वेंं नंबर पर है।
इसराईली फोर्स की फायरिंग से अल जजीरा की मुमताज खातून सहाफी शहीद
दुबई। मगरिबी किनारे में इसराईली फोर्सेज की फायरिंग से अल जजीरा की खातून सहाफी शहीद हो गई। उनका ताल्लुक फलस्तीन से था। गैर मुल्की खबर एजेंसी के मुताबिक अल जजीरा और फलस्तीन की वजारत-ए-सेहत ने सहाफी शीरीं अफलाह की मौत की तसदीक कर दी है। अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक इसराईली फोर्सेज की जानिब से खातून सहाफी शीरीं को फायरिंग कर कतल करने की वजूहात तो सामने नहीं आ सकी हैं ताहम सामने आने वाली वीडीयोज के मुताबिक खातून सहाफी के सर पर गोली मारी गई है। सीहोनी फोर्सेज की फायरिंग से जांबाहक शीरीं अल जजीरा की अरबी सर्विस की मुमताज सहाफी थीं। रिपोर्टस के मुताबिक शीरीं मगरिबी किनारे के शहर जेनिन में फलस्तीनेव के घरों पर इसराईली फोर्सेज के छापों को कवरेज कर रही थीं उस दौरान फलस्तीनीयों पर काबिज इसराईली फौजियों की फायरिंग से उन्हें गोली लगी और वे शहीद हो गईं। इस्लामाबाद से खुसूसी नामा निगार के मुताबिक पाकिस्तान ने मकबूजा मगरिबी किनारे के जनीन पनाह गुजीन कैंप में इसराईली छापे की कवरेज के दौरान फलस्तीनी सहाफी शीरीं के कत्ल की शदीद मुजम्मत की है। तजुर्मान दफ़्तर खारजा की जानिब से जारी बयान के मुताबिक पाकिस्तान की हुकूमत और अवाम शीरीं के अहिल-ए-खाना से दिली ताजियत का इजहार करते हैं। बयान में कहा गया है कि इसराईली खिलाफ वरजियों को बे नकाब करने वालों की आवाज को खामोश करने की इसराईली कोशिशें कामयाब नहीं होंगी।
स्वीडिश डाक्टर को ईरान में सजा-ए-मौत
लंदन : पचास साला अहमद रजा जलाली गुजिश्ता छ: बरसों से ईरान की एक जेल में कैद हैं। उन्हें इसराईल के लिए जासूसी के इल्जाम में सजा-ए-मौत सुना दी गई थी, जिस पर इक्कीस मई को अमल दरआमद किया जाएगा। अहमद रजा अपने कलीग्स के लिए एक मुहतरम फिजीशियन हैं, जो आफात में तिब्बी इमदाद के माहिर माने जाते हैं। ये एक ऐसा शोबा है, जिसमें माहिरीन की तादाद ज्यादा नहीं है। आलमी सतह पर ऐसे माहिरीन की मांग भी बहुत ज्यादा है। वे मेहर अनन्या के लिए एक मुहब्बत करने वाले शौहर हैं। मेहर अपने शरीक-ए-हयात की जुदाई को अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा रोग करार देती हैं। वो अपने दस साला बेटे और उन्नीस साला बेटी के साथ स्वीडिश दार-उल-हकूमत स्टाक होम में सुकूनत पजीर हैं। एसोसिएटड प्रेस से गुफ़्तगु में मेहर ने कहा कि ये ख़्याल ही उनके लिए डरावना खाब है कि उनके शौहर को फांसी दी जा रही है। ये फेमिली स्वीडिश शहरीयत की हामिल है लेकिन स्वीडन हुकूमत की कोशिशों के बावजूद अहमद रजा जलाली को सजा सुनाई गई और अब अंदेशा है कि उन्हें फांसी पर भी लटका दिया जाएगा। कई लोगों का ख़्याल है कि जलाली की ईरान में गिरफ़्तारी और सजा की वजह यही है कि वो स्वीडिश शहरी बन चुके हैं। जलाली ईरानी शहर तबरेज में पैदा हुए थे। उन्होंने तिब्ब की तालीम हासिल की और इटली और स्वीडन में अपना शानदार कैरीयर बनाया। उन्होंने मुख़्तलिफ तिब्बी जरीदों में चालीस से जाइद तहकीकाती मकाले तहरीर किए और आलमी तवज्जा हासिल करने में कामयाब हुए।