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मस्जिदों के खिलाफ अर्जी मजहबी इबादत-गाह एक्ट 1991 की खिलाफवरजी

अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद ने ज्ञान वापी केस पर सुप्रीमकोर्ट में पेश की दलील 


नई दिल्ली :
ज्ञान वापी तनाजा केस में अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने सुप्रीमकोर्ट में अर्जी दाखिल करते हुए कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1991 में दायर असल मुकद्दमे पर पहले ही रोक लगा दी है लेकिन दूसरी तरफ से 2021 मेंं इस मुआमले को नजरअंदाज करने के लिए दूसरी दरखास्त दायर की गई। इस मुआमले में दोनों दरखास्तें इबादत-गाहों के एक्ट 1991 के खिलाफ हैं। अर्जी में कहा गया है कि अयोध्या मुआमले में सुप्रीमकोर्ट की पाँच जजों की बंच ने अपने फैसले के जरीये इस कानून पर अपनी मुहर भी लगाई थी। वाराणसी कोर्ट ने ज्ञान वापी और श्रीनगर गौरी केस में सर्वे करने से पहले कमेटी के एतराजात पर गौर नहीं किया। मंदिर के वकीलों ने 1991 में दायर दरखास्त को नजरअंदाज करते हुए ये नई दरखास्त दायर की है। दरखास्त में कहा गया है कि जब सुप्रीमकोर्ट के फैसले में प्लेसेज आफ वार्शिप एक्ट की भी तसदीक की गई है कि आयोध्या में राम मंदिर के अलावा और अगर हालात में कोई तबदीली नहीं की जाएगी। काबिल-ए-जिÞक्र बात ये है कि निचली अदालत ने कोर्ट कमिशनर को ज्ञानवापी मस्जिद में वीडीयो सर्वे करने के लिए मुकर्रर किया था। हाईकोर्ट ने मस्जिद कमेटी की दरखास्त मुस्तर्द कर दी थी। अब कमेटी ने सुप्रीमकोर्ट में अपील दायर की है।


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