नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
आॅल इंडिया माइनोरेटीज फ्रंट के बानी डाक्टर सय्यद मुहम्मद आसिफ ने कहा है कि कश्मीर फाईल फिल्म का हर जी शऊर तबका मुजम्मत कर रहा है। बेशतर सिनेमा हाल में फिल्म देखते हुए अक्सरीयती तबका मुस्लमानों के खिलाफ नारे लगा रहे हैं और मुस्लमानों से बदला लेने के लिए धमकी दे रहे हैं। हर जी शऊर तबका का कहना है कि इस फिल्म से समाज के अंदर नफरत फैलाई जा रही है। 1990 में दहश्तगरदों ने कश्मीर में जो कुछ किया, हम उसकी मुजम्मत करते हैं और उसका अफसोस है लेकिन इस फिल्म के जरीये दिखाया गया है कि मुस्लमानों ने कश्मीरी पंडितों के साथ जोर जुल्म किया है, जिसकी वजह से हिंदूओं को कश्मीर छोड़ना पड़ा।
फिल्म में इस बात को छुपाया गया कि दहश्तगरदों ने कश्मीरी पंडितों के साथ मुस्लमानों पर भी जोर जुल्म और उनका कत्ल किया और बहुत सारे मुस्लमानों ने हिंदूओं की जान बचाई। फिल्म में ये क्यों नहीं दिखाया गया कि जिस वक़्त कश्मीरी पंडितों पर जोर जुल्म हो रहा था, उस वक़्त मर्कज में बीपी सिंह की हुकूमत थी और उस हुकूमत में बीजेपी पार्टी भी शामिल थी और कश्मीर में सदर राज नाफिज था और गवर्नर जग मोहन थे। उस वक़्त बीजेपी ने कश्मीरी पंडितों की हिमायत में हुकूमत सियासी हिमायत वापिस क्यों नहीं ली। 8 साल से मर्कज में बीजेपी बरसर-ए-इकतिदार है, तो कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में क्यों नहीं दुबारा बसाया गया। तीन साल कब्ल दफा 370 खत्म कर दी गई। उनको बसाने की जगह कश्मीर फाईल बना कर नफरत फैलाई जा रही है।
फिल्म के बनने से कश्मीरी पंडितों को क्या फायदा हुआ बल्कि कश्मीरी मुस्लमान जम्मू और कश्मीरी पंडितों के दरमयान नफरत की खाई और बढ़ गई। डाक्टर आसिफ ने कहा कि आज भी कश्मीरी पण्डित जिस कश्मीर में कयाम पजीर हैं, वो भी इस फिल्म की मुजम्मत करते हुए कह रहे हैं कि जो फिल्म बनाई गई है, सच्च से परे है। हकीकत छुपाई गई है। ये दो फिर्काें के दरमयान नफरत फैलाने वाली फिल्म है।
तो आपसी रंजिश बढ़ेगी
कश्मीर से बदतर और भी कई वाकिये हुए हैं। आसाम फसाद, अहमदाबाद फसाद, मुरादाबाद फसाद, भिवंडी फसाद, 2002 में गुजरात फसाद, मेरठ फसाद, मुजफ़्फरपुर फसाद, दलितों का नर संहार जैसे मामलों अगर फाईल खोली जाए तो आपसी रंजिश में और इजाफा होगा। फिल्में ऐसी बनाई जानी चाहिए जिससे आपसी इत्तिहाद बना रहे और मुल्क मजबूत रहे।