अकीदत के साथ शादी का पहला कार्ड ख्वाजा साहब के नाम पर दरगाह में दिया जाता है
मोहम्मद हासम अली : अजमेर
हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह शरीफ में अकीदतमंद परिवार में होने वाली शादी का पहला दावतनामा ख्वाजा साहब के नाम से दरगाह में देते हैं। दरगाह के खादिम डा. सैय्यद नजमुल हसन चिश्ती ने बताया कि हर साल शादी के मौसम में बड़ी तादाद में दरगाह पहुंचते हैँ और अकीदत के साथ शादी का पहला कार्ड ख्वाजा साहब के नाम से दरगाह में देते हैं। इस मौके पर बाकायदा दूल्हा-दुल्हन और उनके अहले खाना के लिए दरबार ए ख्वाजा में दुआ की जाती है। उन्होंने बताया कि कई ऐसे लोग भी हैं, जो दरगाह नहीं पहुंच पाते, वे पोस्ट के जरिये ख्वाजा साहब के नाम पर दावतनाम भेज देते हैं। हालांकि खुद हाजिर होकर दावतनामा भेजने वालों की तादाद ज्यादा है।
कोरोना वबा कम होने के बाद बढ़ी दावतनामे की तादाद
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों से कोरोना वबा के चलते लोग शादी को टालते आ रहे थे। मौजूदा दौर में कोरोना वबा में आई कमी के सबब शादी ब्याह में तेजी आ गई है। इसके साथ ही दरबार में दावतनामा लेकर आने वालों की तादाद में भी खासा इजाफा हो गया है।
अवामी बेदारी और तहरीक को तेज करने की जरूरत
रजा एकेडमी के चेयरमैन मोहम्मद सईद नूरी ने हजरत ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैह की मजार मुबारक पर अकीदत ेके फूल और चादर पेश की। इस मौके पर उन्होंने ख्वाजा साहब की बारगाह में तहफूज-ए-नामूसे रिसालत पर हिंदूस्तानी हुकूमत की जानिब से जल्द कानून बनाने की दुआ की। गौरतलब है कि सईद नूरी साठ साल से जायद की उम्र पार करने के बाद भी तहफ्फुज-ए-नामूस-ए-रिसालत के लिए काम कर रहे हंै। उन्होंने बताया कि मुसन्निफ मौलाना खालिद अयूब मिस्बाही ने राजस्थान में मुनाकिद तहफ्फुज-ए-नामूस-ए-रिसालत पर इस्लामी उलेमा और मुख्तलिफ तंजीमों के डेलीगेशन की जामिया नूरिया मोहम्मदिया जयपुर में भी तहफ्फुज-ए-नामूस-ए-रिसालत की तशकील और पैगंबर मुहम्मद बिल की हिमायत में बैठक बुलाई थी। इस मौके पर नूरिया मोहम्मदिया यूनिवर्सिटी के शेख-उल-हदीश अल्लामा सैयद मोहम्मद रफी ने कहा कि जब तक हम इस तरह के मुद्दों की संजीदगी से नहीं समझेंगे, हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे। किसी भी तहरीक के लिए जमीनी बेदारी बहुत अहम है।
वहीं रजा एकेडमी के बानी अल्हाज मुहम्मद सईद नूरी ने अपने दरगाह जियारत के वक्त कहा कि अगर पूरे मुल्क के सुन्नी ओलेमा और शेख खड़े हो गए, तो पैगंबर मुहम्मद ( सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) कानून बनाना आसान होगा। उन्होंने इसके लिए अवामी बेदारी बढ़ाने और तहरीक को मजबूत करने के लिए ज्यादा से ज्यादा मेमोरेंडम भरने की अपील की।