7/11 मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाका मुआमले के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दाखिल अपीलों को समाअत के लिए मिली मंजूरी
मुंबई : 7/11 मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाका मुआमले में खुसूसी मकोका अदालत की जानिब से पांच मुल्जिमीन को फांसी और सात मुल्जिमीन को उम्र कैद की सजा दिए जाने वाले फैसले के खिलाफ दाखिल अपीलों को मुंबई हाईकोर्ट ने गुजिशता रोज समाअत के लिए मंजूर कर लिया।
मुंबई हाईकोर्ट की दो रुकनी बैंच के जस्टिस एसएस जाधव और जस्टिस सारंग कुमार ने मुल्जिमीन एहतिशाम कुतुब उद्दीन सिद्दीकी, फैसल अता अर रहमान शेख, आसिफ बशीर और नवेद हुसैन, मुहम्मद अली शेख, सुहेल शेख, जमीर लतीफ अल रहमान, डाक्टर तनवीर, मुजम्मिल अता अल रहमान शेख, माजिद शफी, साजिद मर्ग़ूब अंसारी की जानिब से दाखिल अपीलों को समाअत के लिए मंजूर कर लिया, यही नहीं, अदालत ने अपील दाखिल करने में होने वाली गैरमामूली ताखीर को भी कबूल कर लिया। दो रुकनी बैंच ने जमई उल्मा महाराष्ट्र अरशद मदनी के तवस्सुत से मुल्जिमीन के दिफा में मुकर्रर करदा दिफाई वुकला की जानिब से सीआरपीसी की दफा 294 के तहत दाखिल अर्जदाशत को भी समाअत के लिए कबूल करते हुए इस्तिगासा को हुक्म दिया कि वो मुआमले की अगली समाअत पर अपना जवाब दाखिल करें।
दिफा ने अर्जदाशत में इस्तिगासा से मुतालिबा किया है कि वो इस मुकद्दमा का हिस्सा बनने वाले चंद दस्तावेजात को कबूल करें या उन्हें मुस्तर्द करें, अगर इस्तिगासा इन दस्तावेजात को कबूल कर लेता है तो वो अदालत के रिकार्ड का हिस्सा हो जाएंगे। और अगर इस्तिगासा इन दस्तावेजात को कबूल करने से इनकार कर देता है तो दौराने बहस दिफाई वुकला को इन दस्तावेजात को अदालत में साबित करना पड़ेगा। 26 ऐसे दस्तावेजात हैं जिन पर दिफाई वुकला भरोसा करने वाले हैं। इस्तिगासा का जवाब आने के बाद अदालत दिफा की अर्जदाशत पर फैसला करेगी।
गौरतलब है कि इस से कबल की समाअत पर दिफाई वुकला ने बॉम्बे हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार से मुलाकात करते हुए उन्हें एक दरखास्त भी दी थी जिसमें तहरीर है कि इस मुकद्दमा की समाअत के लिए खुसूसी बैंच की तशकील करना जरूरी है क्योंकि ये मुकद्दमा इतना बड़ा है कि फरीकैन को बहस मुकम्मल करने में कम अज कम चार माह का वक़्त दरकार होगा। हालाँकि खुसूसी बैंच की तशकील के ताल्लुक से अभी तक रजिस्ट्रार की जानिब से फरीकैन को नोटिस नहीं मिला है। मुंबई हाईकोर्ट में जमई उल्मा की जानिब से एडवोकेट अंसार तंबोली, एडवोकेट गुरू भिवानी, एडवोकेट अदित्य मेहता और दीगर मौजूद थे जबकि इस्तिगासा की जानिब से सीनीयर एडवोकेट राजा ठाकरे और उनके मुआवनीन भी मौजूद थे। वाजेह रहे कि खुसूसी मकोका अदालत के जज वाईडी शिंदे ने मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाका का फैसला सुनाते हुए पाँच मुल्जिमीन को फांसी और बाकी को उम्र कैद की सजा सुनाई थी जबकि एक मुल्जिम अब्दुल वाहिद को बाइज्जत बरी कर दिया था, गुजिशता बरस कोरोना की वजह से कमाल अंसारी की नागपुर जेल में मौत हो चुकी है।
गैर मामूली ताखीर-असमान्य विलंब
समाअत-सुनवाई
वुकला-वकील
तवस्सुत-द्वारा
दिफा- बचाव
इस्तगाशा-अभियोक्ता