अलीगढ़ : खलीक अहमद निजामी सेंटर फार क्रॉनिक स्टडीज, अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी (एएमयू) के एजाजी डायरेक्टर प्रोफेसर एआर किदवाई ने कुरान-ए-पाक के मुख़्तलिफ अंग्रेजी तराजुम और तफसीर के मुवाजना के इबतिदाई उसूलों पर बात की। वे जवाहर लाल नेहरू यूनीवर्सिटी, नई दिल्ली के सेंटर फार अरेबिक एंड अफ्रीकन स्टडीज के जेर-ए-एहतिमाम ''कुरआन के तराजुम: रुजहानात और मसाइल' मौजू पर शाह वली अल्लाह मेमोरियल में लेक्चर दे रहे थे। प्रोफेसर किदवाई ने 1649 से 2022 तक के कुरआन-ए-मजीद के अंग्रेजी तराजुम की तारीख पर गुफ़्तगु करते हुए तराजुम के मुख़्तलिफ पहलुओं पर रोशनी डाली। उन्होंने मुख़्तलिफ मजहबी फिकही स्कालरों, मुस्तश्रिकीन और मगरिबी मुस्लिम स्कालरों के तराजुम पर बात की है। प्रोफेसर किदवाई ने ऐलन जोज और एजे ड्रोग के ताजा-तरीन तराजुम में मुस्तश्रिकीन की गलत-फहमियों पर मुसलसल इसरार पर अफसोस का इजहार किया। उन्होंने मजीद कहा, ''थॉमस कुलेरी और डेविड हंगर फोर्ड की कोशिशों में कुरानी पैगाम को वाजेह करने के संजीदा रुजहान को महसूस किया जा सकता है' प्रोफेसर किदवाई ने अहमद जकी हम्माद, तारिक खालदी और मुस्तफा खिताब की मुदल्लिल तशरीहात पर भी गुफ़्तगु की और इल्मी और मुहावराती अंग्रेजी में तर्जुमें की जरूरत पर जोर दिया।
एजाजी डायरेक्टर- सम्मानीय निर्देशक
मवाजना - तुलना