अपने अंदर इखलास पैदा करें : मौलाना फैसल रहमानी
पटना : दार-उल-उलूम अल सलामिया इमारत शरयह में खत्म बुखारी शरीफ का इजलास मुनाकिद हुआ। इजलास के सदर मुफक्किरे मिल्लत हजरत मौलाना सैय्यद अहमद वली फैसल रहमानी, अमीर शरीयत बिहार, उड़ीसा व ाारखंड, सज्जादा नशीं खानकाह रहमानी मुंगेर ने दार-उल-उलूम सलामिया से फारिग होने वाले तलबा को बुखारी शरीफ की आखिरी हदीस का दर्स देते हुए, अपनी सनद के साथ अहादीस बयान करने और पढ़ने, पढ़ाने की इजाजत दी।
अपनी सनद बयान करते हुए उन्होंने फरमाया कि मुझे हदीस पढ़ाने और बयान करने की इजाजत हासिल है, हजरत मौलाना मुहम्मद नदवी को इजाजत हासिल है, हजरत मौलाना अब्दुल लतीफ रहमानी रहमतुल्लाह अलैहि से उन्होंने हदीस पढ़ी है। हजरत शाह फजल रहमान गंज मुरादाबादी से और उन्होंने शाह अब्दुल अजीज मुहद्दिस देहलवी से और उन्होंने अपने वालिद हजरत शाह वली अल्लाह मुहद्दिस देहलवी रहमतुल्ला अलैहि से अहादीस बयान करने और पढ़ने, पढ़ाने की सनद हासिल की है। बर्रे सगीर में अहादीस की तमाम अस्नाद हजरत शाह वली अल्लाह देहलवी से ही मिलती हैं।
हजरत अमीर शरीयत ने तलबा को नसीहत करते हुए फरमाया कि हम सब अपने अंदर इखलास पैदा करें, जब तक दिल साफ नहीं होगा और खुलूस के साथ कामों को नहीं कर सकेंगे, सब काम बेकार है, अल्लाह के दरबार में किसी भी अमल को कबूलीयत तब ही मिलेगी, जब उसमें इखलास का सरमाया होगा। बगैर इखलास के इल्म, शहादत और सखावत जैसे जन्नत में ले जाने का बाइस बनने वाले खैर के आमाल भी अल्लाह के दरबार में रायगां हो जाएंगे। दार-उल-उलूम अल सलामिया के सदरुल मुदर्रसीन और शेखुल हदीस हजरत मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद मिन्नत अल्लाह कासिमी ने बुखारी शरीफ की आखिरी हदीस पर मुहदिदसाना व मुहक्किकाना कलाम करते हुए फरमाया कि बुखारी शरीफ कुरआन-ए-मजीद के बाद सबसे ज्यादा सही किताब है, इसलिए कि इसमें इमाम बुखारी ने सनद के लिहाज से पहूंचने वाली लाखों हदीसों में से चंद हजार हदीसों को जमा किया है। आपने भी अपनी सनद के साथ तलबा को हदीस बयान करने की इजाजत दी।
इजलास के मेहमाने खुसूसी हजरत मौलाना मुहम्मद शमशाद रहमानी, नायब अमीर शरीयत बिहार, उड़ीसा व ाारखंड ने फरमाया कि हमारे अकाबिरीन ने दार-उल-उलूम अल सलामिया को परवान चढ़ाने के लिए जो खाब देखा था, वो इंशा अल्लाह ताबीर होगा, आज जो तलबा हमारे यहां से फारिग होकर जा रहे हैं, वो कौम के मुअम्मार हैं, और कौम को उन पर बहुत भरोसा है। उन्होंने तलबा से दीन की सर बुलंदी के लिए खिदमत करने का अपना मिजाज बनाने कहा।
टीन की शेड में रहते हैँ तलबा
दार-उल-उलूम अल सलामिया के सेके्रटरी हजरत मौलाना सुहेल अहमद नदवी मुदर्रिसा का तआरुफ और इसकी जरूरीयात को पेश करते हुए फरमाया कि अभी मुदर्रिसा की सबसे बड़ी जरूरत हॉस्टल की तामीर है, तलबा टीन की शेड में रहते हैं ,जो परेशानी का बाइस है, उन्होंने हास्टल की तामीर के लिए लोगों को आगे आने कहा। इजलास से खिताब करने वालों में इमारत शरयह के कायम नाजिम हजरत मौलाना मुहम्मद शिबली अल कासिमी, मौलाना खुरशीद मदनी, मौलाना तकी उद्दीन फिरदौशी, डाक्टर शकील अहमद कासिमी, काजी अंजार आलिम कासिमी, काबिल-ए-जिÞक्र हैं।
किताबों का हुआ इजरा
इजलास खत्म बुखारी के मौका पर मौलाना डाक्टर फारूक आजम कासिमी की मुरत्तिबकर्दा किताब अल्लामा मुनाजिर अहसन गिलानी, अहवाल-ओ-आसार और मौलाना नय्यर इस्लाम कासिमी की किताब अरकान खम्सा के अलावा मौलाना मुफ़्ती आफताब आलम कासिमी की किताब तहफ़्फुल अफादात फी शरह मुकद्दमा मिशकात का इजरा (विमोचन) हजरत अमीर शरीयत और दीगर उल्मा किराम के हाथों अमल आया। हदीस शरीफ की तकमील करने वाले तलबा को हजरत अमीर शरीयत ने अपने हाथों से सनद फजीलत अता की। इदारा की तरफ से उन्हें बुखारी शरीफ की दोनों जिल्दें इनायत की गईं, जबकि एक साहिबे खैर नीलम अब्बास चौधरी की तरफ से एक एक जोड़ा कपड़ा फारगीन को दिया गया। आखिर में हजरत अमीर शरीयत की दुआ पर मजलिस का इखतताम हुआ।