सफर उल मुजफ्फर - 1446 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
'जो शख्स ये चाहता है कि उसके रिज्क में इजाफा हो, और उसकी उम्र दराज हो, उसे चाहिए कि रिश्तेदारों के साथ हुस्न सुलूक और एहसान करे।'
- मिश्कवात शरीफ
✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
एक ओर मुस्लिम हल्कों में मोदी सरकार के वक़्फ़ एक्ट तरमीमी बिल की मुखालफत कर रही है तो दूसरी ओर मौलाना अमीर इलयासी जैसे आलिम भी हैं, जो हुकूमत के इस क़दम की हिमायत कर रहे हैं।अमीर अहमद इलयासी, चीफ़, ऑल इंडिया इमाम आर्गेनाईज़ेशन का कहना है कि तरमीम उस अमल का एक हिस्सा है, जो वक़तन-फ़-वक़तन होता रहता है। वक़्फ़ एक्ट में पहले भी तरामीम की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि तरमीम वक्त की जरूरत है लेकिन इस बात का ख़्याल रखा जाए कि वक़्फ़ के वक़ार (गरिमा) को मजरूह (कम) ना किया जाए। वक्फ एक्ट में तरमीम हो लेकिन इस पर सियासत न हो। इस पर बहस होनी चाहिए। अपोजिशन को इस पर एहतिजाज नहीं करना चाहिए।
वक्फ एक्ट को समझने की जरूरत : मौलाना साजिद रशीदी
ऑल इंडिया इमाम एसोसीएशन के सदर मौलाना साजिद रशीदी ने वक़्फ़ बोर्ड तरमीमी बिल पर कहा कि वक़्फ़ को समझना ज़रूरी है, ये हमारी भलाई के लिए है और हुकूमत ने आईनी तौर पर हमें वक़्फ़ का हक़ दिया है, लेकिन मुसलमान खामोश हैं। हमारी बहुत सी जायदादें इस वक़्त रियास्ती हुकूमत की मिल्कियत हैं और मर्कज़ी हुकूमत को ये डर है कि अगर मुस्लमान अपने हुक़ूक़ का मुतालिबा करने लगे तो मुस्लमान जाग जाएंगे। ज़राइआ (सूत्रों) के मुताबिक़, 2 अगस्त को केबिनेट ने वक़्फ़ एक्ट में तक़रीबन 40 तरामीम (सुधारों) को मंज़ूरी दी है। मुजव्वज़ा (प्रस्तावित) तरामीम के मुताबिक़ वक़्फ़ बोर्ड की मुतनाज़ा (विवादित) जायदादों के लिए लाज़िमी तसदीक़ की तजवीज़ दी गई है। इसके अलावा अगर वक़्फ़ बोर्ड और किसी शख़्स के दरमयान किसी जायदाद को लेकर कोई तनाज़ा चल रहा है तो उसकी भी तसदीक़ की जाएगी।-------------------------------------
➧➧ रूहानी ईलाज
﷽
या ग़फ़ूरू:
जिसे सिर में दर्दे हो, कोई बीमारी या ग़म पेश आ जाए 3 बार 'या ग़फ़ूरू' की मुक़त्तआ़त लिख कर (यानी इस इस्मे पाक को काग़ज़ पर लिख कर इसकी गीली सियाही पर रोटी का टुकड़ा लगा कर वो नक़्श रोटी में जज़्ब कर ले और) खा ले। इन्शा अल्लाह शिफ़ा पाएगा।