सफर उल मुजफ्फर - 1446 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
तुम कयामत के दिन सबसे बद तरीन उस शख्स को पाओगे जो दोगला है। यानि एक जगह कुछ कहता है और दूसरी जगह कुछ और।
- मिश्कवात शरीफ
✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
वक़्फ़ क़वानीन में तबदीली के लिए पार्लियामेंट में पेश वक़्फ़ तरमीमी बिल 2024 को लेकर इंडिया इत्तिहाद के अरकान ने सख़्ती से मुख़ालिफ़त की। लोक सभा में बिल के पेश होते ही ज़बरदस्त हंगामा हुआ। बिल से मुताल्लिक़ अपोज़ीशन जमातों ने पहले ही अपना रुख साफ़ कर दिया था। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और एआईएमआईएम के सदर असद उद्दीन उवैसी ने हुकूमत के इस क़दम की सख़्त अलफ़ाज़ में मुख़ालिफ़त की।बिल के ज़रीये पुराने क़वानीन में तक़रीबन 40 तब्दीलियां की गईं हैं। बिल में कहा गया है कि 1995 और 2013 के क़वानीन के बावजूद रियास्ती वक़्फ़ बोर्ड के कामकाज में कोई ख़ास बेहतरी नहीं देखी गई है और वक़्फ़ इमलाक के नज़म-ओ-नसक़ में शफ़्फ़ाफ़ियत (पारदर्शिता) का फ़ुक़दान (कमी) है। बिल को लोक सभा में पेश किए जाने के बाद समाजवादी पार्टी, एमआईएम, एनसीपी जैसी इंडिया इत्तिहाद की पार्टियों ने हुकूमत की नीयत पर शक का इज़हार किया। बिल पर बेहस मुकम्मल होने के बाद अक़ल्लीयती उमूर के वज़ीर किरण रिजीजू ने जवाब दिया। उन्होंने बिल के हवाले से उठाए गए तमाम मसाइल का एक-एक करके जवाब देते हुए कहा कि मुझे यक़ीन है कि इस बिल के बारे में सब कुछ जानने के बाद हर कोई उसकी हिमायत करेगा। उन्होंने कहा कि बिल के आर्टीकल 25 से 30 तक जो भी दफ़आत हैं, किसी भी मज़हबी इदारे की आज़ादी में मुदाख़िलत नहीं की जा रही है। ना ही इसमें आईन की किसी भी दफ़ा की ख़िलाफ़वरज़ी की गई है।
तरमीमी बिल 2024 पर लोक सभा में तक़रीर करते हुए उन्होंने दावा किया कि वक़्फ़ तरमीमी बिल सच्चर कमेटी की रिपोर्ट पर मबनी (आधारित) है जो कांग्रेस ने तशकील दी थी। किरण रिजीजू ने कहा कि, ये बिल पहली बार पार्लियामेंट में पेश नहीं किया गया है। आज़ादी के बाद ये सबसे पहला बिल है, जो उन लोगों को हुक़ूक़ देगा, जिन्हें उनके हुक़ूक़ से महरूम रखा गया है। उन्होंने अपोज़ीशन से अपील की कि, इसका साथ दें आपको करोड़ों लोगों की दुआ मिलेगी। रिजीजू ने मज़ीद कहा कि, ये हुक़ूक़ छीनने वाला बिल नहीं, बल्कि हुक़ूक़ देने वाला बिल है, बिल में आईन की किसी भी दफ़ा की ख़िलाफ़वरज़ी नहीं की गई है।
मर्कज़ी वज़ीर ने कहा कि एक तरह से कांग्रेस ने जो भी क़दम उठाया, आप वो नहीं कर सके जो आप चाहते थे और अब हम (हुकूमत) उसी चीज़ को करने के लिए ये तरमीम ला रही हैं। जब मैं इसकी वज़ाहत करूँगा तो आप मुझसे पूरी तरह इत्तिफ़ाक़ करेंगे । मर्कज़ी वज़ीर किरण रिजीजू ने कहा कि, ये बिल पहली बार 1954 में लाया गया था और उसके बाद इसमें कई तरामीम की गई हैं। आज हम जिस तरमीम को लाने जा रहे हैं, वो वक़्फ़ एक्ट 1995 है, जिसमें 2013 में तरमीम की गई थी और ऐसी दफ़ा डाली गई थी जिसकी वजह से हमें ये तरमीम लानी पड़ी। 1995 के वक़्फ़ तरमीमी एक्ट में जो भी शक़ लाई गई थी, बहुत से लोगों ने मुख़्तलिफ़ तरीक़ों से उसका अंदाज़ा लगाया है। कई कमेटियों और लोगों ने इसका तजज़िया किया है लेकिन पता चला है कि 1995 का वक़्फ़ तरमीमी एक्ट मुकम्मल तौर पर ग़ैर मूसिर (अप्रभावी) है।
किरण रिजीजू ने बिल की बहस का जवाब देते हुए कहा कि अगर मुस्लिम बच्चों और ख़वातीन को वक़्फ़ बिल के फ़वाइद नहीं मिलते हैं तो क्या हुकूमत को ख़ामोशी से बैठना चाहिए। इस एवान की ज़िम्मेदारी है कि अगर किसी ग़रीब औरत को इन्साफ़ फ़राहम करने में कोई कमी हो रही है तो उसे पूरा किया जाए। आज हम जो तरमीम ला रहे हैं, उसमें हर चीज़ को मद्द-ए-नज़र रखा गया है।