हदीस-ए-नबवी ﷺ
जो कोई अल्लाह और आख़ेरत के दिन पर ईमान रखता हो,
वो अच्छी बात ज़बान से निकाले वरना खामोश रहे।
- सहीह बुखारी
✅ बंग्लुरू : आईएनएस, इंडिया हाईकोर्ट ने एक ख़ातून के उस इक़दाम पर सख़्त एतराज़ ज़ाहिर किया है, जिसमें उसने अपने साबिक़ शौहर से हर माह में 6 लाख रुपय का भत्ता मांगा है। अदालत ने कहा कि अगर वो (ख़ातून) इतना पैसा ख़र्च करना चाहती और उसके इतने महंगे शौक़ हैं तो उसके लिए बेहतर है कि वो ख़ुद काम करे।
ख़ानदानी अदालत की तरफ़ से दी गई कफ़ालत में इज़ाफ़ा करने की बीवी की दरख़ास्त पर समाअत करते हुए अदालत ने ख़बरदार किया कि मौजूदा केस उन लोगों को वाजेह पैग़ाम देगा जो समझते हैं कि अदालती अमल और क़ानून का ग़लत इस्तिमाल किया जा सकता है। क्या दरख़ास्त गुज़ार ख़ातून को अख़राजात के लिए माहाना 6,16,300 रुपय दरकार हैं। अदालत ने कहा, शौहर की कमाई की बुनियाद पर बीवी को भत्ता नहीं दिया जा सकता। गुज़ारा भत्ता इस बुनियाद पर दिया जाता है कि ख़ातून को हर माह कितने रुपय की ज़रूरत होगी। उसकी क्या ज़रूरीयात हैं। गुज़ारा भत्ता इस बुनियाद पर नहीं दिया जाता है कि शौहर कितना कमा रहा है।
अदालत ने मिसाल देकर कहा कि अगर शौहर हर माह 10 करोड़ कमाता है तो क्या अदालत तलाकशुदा बीवी को 5 करोड़ रुपय देने का हुक्म दे सकती है, बंच ने सख़्ती से जवाब दिया कि अगर कोई औरत माहाना अपने ऊपर इतना ख़र्च करती है तो बेहतर होगा कि अपने अख़राजात के लिए वो ख़ुद कमाए। यहां तक कि मुतवक़्क़े अख़राजात की बुनियाद पर देख-भाल हासिल करने की क़ानून में कोई गुंजाइश नहीं है। बीवी ने अपने माहाना अख़राजात के तौर पर ज़ाती अख़राजात की तफ़सीलात बताई हैं। बच्चों और दीगर ज़िम्मेदारीयों का कोई ज़िक्र नहीं है। केस की समाअत 9 सितंबर तक मुल्तवी करते हुए कहा गया कि ख़ातून को असल अख़राजात से मुताल्लिक़ बयान दाख़िल करने का आख़िरी मौक़ा दिया गया है।
समाअत के दौरान अहलिया के वकील ने कहा कि दरख़ास्त गुज़ार को ग़िजाईयत से भरपूर खाना चाहिए, अब उसे बाहर खाना खाना पड़ता है। उसे खाने के लिए हर माह 40,000 रुपय की ज़रूरत होती है। उसका शौहर, जो उसे छोड़ चुका है, हर-रोज़ ब्रांडेड कपड़े पहनता है। उसने जो शर्ट पहनी है, उसकी क़ीमत ही 10,000 हजार रुपय है। लेकिन उस ख़ातून को पुराने कपड़े पहनने होंगे। कपड़े, कॉस्मेटिक्स, अदवियात और दीगर इश्याय ख़रीदने के लिए 60,000 रुपय दरकार है।
बेंच ने इस पर हैरत का इज़हार करते हुए कहा कि अदालत क़ानूनी चारा-जुई का बाज़ार नहीं है, आपके मोवक्किल को समझ नहीं आ रही है, लेकिन आपको उसे समझाना चाहिए और मश्वरा देना चाहिए, वो अदालत को अपने असल अख़राजात के बारे में बताए, ये आख़िरी मौक़ा है। शौहर के वकील ने कहा कि बीवी के बैंक स्टेटमेंट के मुताबिक़, ये देखा गया है कि (ख़ातून) ने मुख़्तलिफ़ जगहों पर 63 लाख रुपय की सरमायाकारी की है। बीवी के वकील ने इस पर एतराज़ किया और कहा कि उसके शौहर की असल आमदनी की बुनियाद पर गठजोड़ का मुतालिबा किया गया है। ये कोई ख़र्चा नहीं है, ये एक मुतवक़्क़े ख़र्च है।
हिन्दुस्तानी बीवी के जुल्म-ओ-सितम से परेशान अमरीकी शौहर को मिली हाईकोर्ट से राहत
बैंगलौर : बैंगलोर के बासवाना गोड़ी की रहने वाली एक हिंदूस्तानी बीवी ने अपने अमरीकी शौहर के ख़िलाफ़ साउथ महिला पुलिस में जहेज़ के लिए जुल्म और हिरासाँ करने का इल्ज़ाम लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामले में पुलिस ने उसके अमरीकी शौहर के ख़िलाफ़ लुक आउट नोटिस भी जारी किया। बाद में ख़ातून ने कर्नाटक हाईकोर्ट में अर्ज़ी भी दाख़िल की जिसकी सुनवाई के बाद अदालत ने शौहर के ख़िलाफ़ कार्रवाई के अहकामात जारी कर दिए।हाईकोर्ट में अर्ज़ी दाख़िल करते हुए ख़ातून ने कहा कि बच्चे को जन्म देने के बाद उसे हाई ब्लड प्रैशर का मसला है। उसके शौहर ने उसे फ़्रैंच फ़राइज़, चावल और गोश्त खाने की इजाज़त नहीं दी क्योंकि उसे ख़दशा था कि इससे उसकी बीवी का वज़न बढ़ जाएगा। शौहर ने अदालत में कहा कि वो बीवी के हमल के दौरान अमरीका में था। उस वक़्त वो घर के तमाम काम करता था। बीवी सिर्फ टीवी देखती थी और फ़ोन पर बात करती थी। शौहर ने ये भी बताया कि वो बर्तन धोता था, झाड़ू देता था और फिर काम पर जाता था।
केस की समाअत के दौरान जज ने कहा कि शौहर के ख़िलाफ़ किसी भी किस्म की तहक़ीक़ात की इजाज़त देना क़ानून का ग़लत इस्तिमाल होगा। शिकायत में घरेलू हिरासानी के तहत कोई जुर्म काबिल-ए-सज़ा नहीं लगता। अदालत ने हैरत का इज़हार किया कि पुलिस ने मामूली बात पर शौहर के ख़िलाफ़ लुक आउट नोटिस जारी कर दिया। ये पुलिस की ताक़त का इस्तिमाल नहीं बल्कि औरत के कहने पर ताक़त का ग़लत इस्तिमाल है। शिकायत का मक़सद शौहर को अमरीका जाने से रोकना मालूम होता है।
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