सफर उल मुजफ्फर - 1446 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
अल्लाह ताअला जिसके साथ खैर व भलाई करना चाहता है, उसे बीमारी की तकलीफ और दीगर मुसीबतों में मुब्तिला कर देता है।
- सहीह बुख़ारी
✅ नई तहरीक : भोपाल
दुनिया में मुख़्तलिफ़ किस्म के खेल खेले जाते हैं और हर खिलाड़ी अपने खेल का माहिर होता है लेकिन क्या कोई शख़्स भी हो सकता है, जो एक साथ कई खेलों में माहिर हो।
जी हाँ, आपको जानकर ताअज्जुब होगा कि मुल्क में एक ऐसा खिलाड़ी भी हुआ है, जो ब-यक वक्त सात मुख्तलिफ खेलों में महारत रखता थी। ख़ुदादाद सलाहीयत के मालिक सैयद मुहम्मद हादी (एसएम हादी) को मुल्क का रेनबो मैन भी कहा जाता है जिन्होंने एक-दो नहीं बल्कि सात खेलों में महारत हासिल की और मुल्क की नुमाइंदगी की।
सय्यद मुहम्मद हादी की पैदाइश 12 अगस्त 1899 को हुई और 14 जुलाई 1971 को उन्होंने वफ़ात पाई। वे मुल्क के ब सलाहीयत सरकरदा एथलीट खिलाड़ियों में से एक थे। उन्होंने ना सिर्फ क्रिकेट और टेनिस में हिन्दोस्तान की नुमाइंदगी की बल्कि फ़ील्ड हाकी, फुटबाल, टेबल टेनिस, शतरंज और पोलो में भी महारत हासिल की।
यक़ीनन बहुत कम खिलाड़ी ऐसे होंगे जिनमें इतनी सिफ़ात पाई जाती हो। कोई फुटबॉल में महारत रखता है तो कोई हाकी में। अलबत्ता क्रिकेट एक ऐसा खेल है, जिसमें एक से ज्यादा ऑल राउंडर हो सकते हैं, जिन्हें बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी में महारत है लेकिन एक साथ सात खेलों में माहिर होना, सिर्फ हादी के ही मुकद्दर में था। यही वजह थी कि उन्हें 'हादी' का लकब मिला।
उनके वालिद, कैप्टन सय्यद मुहम्मद, रियासत हैदराबाद में आर्मी में अफ़्सर थे। जब हादी ब मुश्किल दो बरस के थे, वालिद का इंतिक़ाल हो गया। हादी ने जवानी में घुड़सवारी और पोलो सीखा और निज़ाम कॉलेज के लिए फूटबाल भी खेला। उनकी ग़ैर मामूली एथलेटिक सलाहीयतों को तस्लीम करते हुए इंगलैंड में उनकी तालीम का बंद-ओ-बस्त किया गया। उन्होंने बहुत तेजी से खुद को एक माहिर घुड़सवार और पोलो खिलाड़ी साबित किया और ख़ुद को अपनी मुक़ामी निज़ाम कॉलेज फूटबाल टीम में बाक़ायदा तौर पर किया। ये और बात है कि कौम के नौजवान हादी की जिंदगी और उनके कारनामों से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। न हुकूमते हिंद ऐसे अज़ीम खिलाड़ी के नाम पर जिन्होंने कई खेलों में मुल्क की नुमाइंदगी की और मुल्क का नाम रोशन किया, उनके नाम से कोई खेल अकेडमी कायम करने की सोची।
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