ख़ुतबा हज उर्दू समेत 37 ज़बानों में तर्जुमें के साथ एक अरब सामईन तक पहुंचा

जिल हज्ज-1445 हिजरी

हदीस-ए-नबवी ﷺ

जिसने अस्तग़फ़ार को अपने ऊपर लाज़िम कर लिया अल्लाह ताअला उसकी हर परेशानी दूर फरमाएगा और हर तंगी से उसे राहत अता फरमाएगा और ऐसी जगह से रिज़्क़ अता फरमाएगा जहाँ से उसे गुमान भी ना होगा।

- इब्ने माजाह

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ख़ुतबा हज उर्दू समेत 37 ज़बानों में तर्जुमें के साथ एक अरब सामईन तक पहुंचा

✅ रियाद : आईएनएस, इंडिया 

हज के मौके़ पर ख़ुतबा हज जिसे 'ख़ुतबा अर्फ़ात भी कहा जाता है, पूरी इस्लामी दुनिया के लिए अहम पैग़ाम समझा जाता है। सऊदी अरब की हुकूमत ने जहां एक तरफ़ हुज्जाज किराम को जदीद टेक्नोलोजी से लैस बेहतरीन सहूलयात फ़राहम करते हुए मनासिक की अदाई में उनके लिए राहत व आराम का इंतिज़ाम किया वहीं ख़ुतबा हज को पूरी दुनिया में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए ख़ातिर-ख़्वाह इंतिज़ामात किए। 
    ख़ुतबा हज को बराह-ए-रास्त टेलीविज़न चैनलों, एफ़एम रेडियो और इंटरनेट पर नशर किया गया जिसे ज़्यादा से ज़्यादा सामईन तक पहुंचाने के लिए 37 बैन-उल-अक़वामी ज़बानों में तर्जुमा के साथ पेश किया गया। ख़ुतबा हज में ममलकत की तरफ़ से बकाए बाहमी, इन्सानी भाईचारे, मुस्लिम भाईचारे और एतिदाल पसंदी पर मबनी हक़ीक़ी इस्लामी तालीमात का पैग़ाम दिया गया। ख़ुतबा हज का कई आलमी ज़बानों में तर्जुमा ख़ादिम हरमैन शरीफ़ैन के पैग़ाम हज को पूरी दुनिया के लोगों बिल ख़सूस मुस्लमानों तक पहुंचाने की मसाई जलीला का समर है । आज के ख़ुतबा हज में इमाम काअबा ने मज़हबी रवादारी,भाई चारे और आलमी अमन की इक़दार को आम करने पर-ज़ोर दिया । ख़ुतबा अर्फ़ा का तर्जुमा करने का मन्सूबा ख़ादिम हरमैन शरीफ़ैन शाह सलमान बिन अबदुलअज़ीज़ ऑल सऊद की सख़ावत मंदाना रहनुमाई में सिन्हा1439हमें शुरू किया गया । आग़ाज़ में ये पाँच ज़बानों पर मुश्तमिल था मगर अब उस का दायरा50 ज़बानों तक फैल गया है । ख़ुतबा अर्फ़ा का तर्जुमा करने का मन्सूबा हर साल फैल रहा है । इस के सामईन की तादाद में भी तेज़ी के साथ इज़ाफ़ा हो रहा है । जदीद टैक्नोलोजी का इस्तिमाल करते हुए ख़ुतबा हज को टीवी चैनलों ,एफ़ ऐम रेडीयो और दीगर प्लेटफार्म पर नशर किया जाता है

17 साल बाद सर्दियों में आएगा हज का सीज़न 

सऊदी अरब के महकमा-ए-मौसीमीयत ने कहा है कि हम हर साल हज सीज़न को गर्मियों से निकल कर सर्दियों की तरफ़ मुंतक़िल होता देख रहे हैं। उनका कहना था कि सत्रह साल के बाद हज सीज़न सर्दियों में आएगा। 
    ख़्याल रहे कि इस साल हज सीज़न पर ग़ैरमामूली गर्मी देखने में आई है। शदीद गर्म मौसम के पेश-ए-नज़र सऊदी वज़ारत-ए-सेहत ने हुज्जाज कराम को सन स्ट्रोक से बचाने के लिए हरमुमकिन इक़दामात किए थे। उसी हवाले से क़ौमी मर्कज़ बराए मौसमियात के सरकारी तर्जुमान हुसैन अलकहतानी ने इन्किशाफ़ किया कि आइन्दा बरस का हज मौसिम-ए-गर्मा में आख़िरी हज होगा। उन्होंने मज़ीद कहा कि हम 17 साल बाद मौसिम-ए-गर्मा में हज नहीं करेंगे। अलकहतानी ने मज़ीद कहा कि हज अगले साल के बाद 1447 हिज्री से शुरू होकर 8 साल के अर्से के लिए मौसम-ए-बहार में मुंतक़िल होगा और इसके बाद मज़ीद 8 सालों में हज का मौसम सर्दियों के मौसम में आएगा। 
    इस तरह हम 16 साल की मुद्दत के लिए गर्मियों के मौसम में हज को मुकम्मल तौर पर अलविदा करेंगे। याद रहे कि सऊदी अरब में गर्मियों में औसत दर्जा हरारत 45.47 डिग्री सेंटीग्रेड के दरमियान होता है। उसी बीच सऊदी अरब की शूरा काउंसिल के रुकन और मौसमियाती तबदीली के मुहक़्क़िक़ डाक्टर मंसूर अलमज़रूई ने कहा कि हज का मौसम इस वक़्त गर्मियों में आता है, जबकि अगले साल भी मौसिम-ए-गर्मा में होगा। उसके बाद बतदरीज (क्रमश:) हज सीज़न मौसम-ए-बिहार में मुंतक़िल होना शुरू होगा और आठ साल मौसम-ए-बहार में हज जारी रहेगा। 
    अलमज़रूई कहते हैं कि हज का मौसम सर्दियों के मौसम में आने में मज़ीद आठ साल लगेंगे जिसका आग़ाज़ हिज्री साल 1454 हिज्री से शुरू होने वाला हज सीज़न 1461 तक सर्दियों में रहेगा। 1462 और 1469 हिज्री के दरमियान का अरसा ख़िज़ां के हज सीज़न पर मुश्तमिल होगा। इस तरह ये चार मौसम 33 हिज्री सालों में मुकम्मल होकर 1470 हिज्री को एक-बार फिर हज सीज़न गर्मियों में आएगा।



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