जिल हज्ज-1445 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
तुम में से सबसे ज्यादा मुझे वो शख्स अजीज है, जिसकी आदत व अखलाख अच्छे हों।
- बुखारी शरीफ
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✅ वाशिंगटन : आईएनएस, इंडिया
मुझे इसराईल के उस ख़्याल से इंतिहाई हमदर्दी है कि आपको हम्मास को ख़त्म करना होगा, हालांकि आप उसका मुकम्मल ख़ातमा नहीं कर सकते। ये कहना था अफ़्ग़ानिस्तान में अमरीकी कमांड के साबिक़ जनरल का, जिन्होंने अमरीकी ज़राइआ इबलाग़ से गुफ़्तगु करते हुए ये एतराफ़ किया।
इस गुफ़्तगु में अफ़्ग़ानिस्तान से अमरीकी फ़ौजों के इन्ख़िला (निकास) के अलावा, यूक्रेन के तनाज़े, और इसराईल हम्मास जंग पर भी बात की गई। साबिक़ जनरल से सवाल किया गया कि क्या हम्मास के ख़िलाफ़ इसराईल की जंग जीती जा सकती है, के जवाब में उन्होंने कहा कि ग़ज़ा में हम्मास के ख़िलाफ़ जंग जीती जा सकती है। हालांकि बाद में ग़ज़ा के अंदर जंग की नहीं, बल्कि एक विज़न की ज़रूरत है जिसमें इसराईली फ़ौजियों के अलावा दीगर फ़ौजी भी शामिल हों। साबिक़ जनरल के बाक़ौल उसके लिए मैं समझता हूँ कि अरब फ़ौजें मुख़्तलिफ़ अक़्वाम से ताल्लुक़ रखने की वजह से बेहतरीन होंगी।
हम्मास एक नज़रिया है, उसे ख़त्म नहीं किया जा सकता, इसराईली फ़ौजी तर्जुमान का एतराफ़
इसराईली फ़ौज के तर्जुमान रीवर ऐडमिर्ल डैनियल ने इसराईल की हम्मास के ख़ातमे के इसराईली अज़ाइम के हवाले से कहा है कि हम्मास को ख़त्म नहीं किया जा सकता। इसराईल पर सात अक्तूबर को हम्मास ने एक बेमिसाल हमला किया था, लेकिन उसके बाद इसराईल की तरफ़ से साढे़ आठ माह से जारी बदतरीन जंग के बावजूद हम्मास के हवाले से अपने एहदाफ़ को पूरा नहीं कर सकी है। हत्ता कि तमाम-तर की गई हलाकतों और तबाही के बावजूद अपने यरग़मालियों को भी हम्मास की क़ैद से छुड़ाने में नाकाम रही है।
उन्होंने कहा कि हम हम्मास को मिटाने जा रहे हैं, लोगों की आँखों में रेत झोंकने के मुतरादिफ़ है। ऐडमिर्ल हगारी ने कहा कि हम्मास एक नज़रिया है उसे ख़त्म नहीं किया जा सकता। इस बयान के सामने आने के बाद इसराईली वज़ीर-ए-आज़म के दफ़्तर ने फ़ौरी जवाब देते हुए इस बयान को मुस्तर्द कर दिया। दफ़्तर ने कहा, हम हम्मास को तबाह करने के लिए पुरअज़म हैं , यक़ीनन इस में इसराईली फ़ौज भी पुर अज़म है। वाज़िह रहे कि ग़ज़ा की वज़ारत-ए-सेहत के मुताबिक़ अब तक 37396 फ़लस्तीनी इसराईली फ़ौज के हाथों हलाक हो चुके हैं। तक़रीबन 23 लाख की आबादी बे-घर हो चुकी है। पूरा ग़ज़ा तबाही का मंज़र पेश करता है, लेकिन इसके बावजूद जंग अभी जारी है।
मस्नूई ज़हानत (एआई) का ग़ज़ा के बारे में हैरानकुन जवाब
दुबई : मस्नूई ज़हानत (आरटीफीशियल इंटेलीजेंस) अक्सर सवालात के उलट-पलट जवाब दे कर सर्च करने वालों को हैरान करती रहती है। इस वक़्त पूरी दुनिया में ज़ेर-ए-बहस फ़लस्तीन का इलाक़ा ग़ज़ा, जहां आठ माह से हम्मास और इसराईल के दरमयान घमसान की जंग हो रही है, मस्नूई ज़हानत के लिए अजनबी है।
गजा के पूछे जाने पर मस्नूई ज़हानत (आरटीफीशियल इंटेलीजेंस) ने जितने भी जवाब दिए, वो सब ग़ज़ा से मेल नहीं खाते। फ़लस्तीन से बाहर ग़ज़ा के नाम के बारे में मस्नूई ज़हानत से पूछने पर मालूम हुआ कि एशिया और अरब ख़ित्ते में लेबनान ही वो वाहिद मुल्क है, जिसमें मशहूर फ़लस्तीनी पट्टी के नाम की कोई जगह मिलती है। ये मग़रिबी किनारे का एक क़स्बा बताया जाता है जो बेरूत से मशरिक़ में 62 किलो मीटर दूर और सतह समुंद्र से 870 मीटर बुलंद है। गोया एक आई के मुताबिक़ फ़लस्तीन में इस नाम की कोई जगह ही नहीं है। जहां तक उसकी आबादी का ताल्लुक़ है, एआई के मुताबिक़ उस आबादी का 60 फ़ीसद ज़्यादातर दूसरे बर्रे-ए-आज़मों और दूसरे ममालिक में जिला वतन हो चुका है। उनमें से 6,150 पिछली मर्दुम-शुमारी के मुताबिक़ रह गए थे। शाम में ख़ाना-जंगी के दौरान हज़ारों बे-घर शामियों ने वहां पनाह ली जिसके बाद उसकी आबादी अब 30,000 से ज़्यादा लोगों पर मुश्तमिल है।
हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ रदिअल्लाहो अन्हू के दौर में उमरा बिन उल्लास के हाथों फ़तह होने वाले ग़ज़ा के बारे में आरटीफीशियल का एक जवाब ये मिलता है कि ये लफ़्ज़ 1917 से 1935 के दरमयान जुनूबी आस्ट्रेलिया के एडीलेड शहर के एक बड़े मज़ाफ़ाती इलाक़े का नाम था। अफ़्रीक़ी बर्रे-ए-आज़म में ग़ज़ा के तीन मुख़्तलिफ़ जगहों के नाम मिलते हैं। मस्नूई ज़हानत के जवाबात के मुताबिक़ एक मौज़म्बीक़ में ग़ज़ा नामी सूबा है। दूसरा अफ़्रीक़ी बर्रे-ए-आज़म के जुनूब मशरिक़ में मौज़म्बीक़ और जिम्बाब्वे के दरमयान 'ग़ज़ा लैंड के नाम से इलाक़ा है, जबकि तीसरे का नाम 'सलतनत ग़ज़ा है जो 1824 से 1895 तक के अर्से में क़ायम रही, ताहम 1895 के बाद ग़ज़ा सलतनत दुनिया के नक़्शे से ग़ायब हो गई और इसका सिर्फ नाम बाक़ी रह गया।
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