ख्वाजा सराओं को नमाज पढ़ने से अब नहीं रोक सकेगा कोई

 हदीस-ए-नबवी ﷺ

'' मेरी रहमत हर चीज को घेरे हुए है तो अनकरीब मैं अपनी रहमत उनके लिए लिख दूंगा जो मुझ से डरते और जकात देते हैं ओर जो हमारी आयतों पर ईमान लाते हैं। ''
- सूरह अल बकरा

-------------------------------------

बंगला देश में ख़्वाजा-सराओं ने आपसी तआवुन से
तामीर कराई पहली मस्जिद 
ख्वाजा सराओं को नमाज पढ़ने से अब नहीं रोक सकेगा कोई
file photo

✅ ढाका : आईएनएस, इंडिया 
चारदीवारी पर टिन की चादरें डाल कर बनाई गई एक कमरे की इस मस्जिद की इमारत तो भले ही छोटी है लेकिन मुक़ामी ख़्वाजा-सराओं (ट्रांसजेंडर्स) के लिए ये बहुत बड़ी बात है। अब वो यहां किसी इमतियाज़ और तफ़रीक़ (भेदभाव) का निशाना बने बग़ैर नमाज़ अदा कर सकेंगे। 
    ख़्वाजा-सराओं के लिए ये मस्जिद ढाका के शुमाल में ब्रह्मा पुत्र दरिया के किनारे आबाद मैमन सिंह के नज़दीक बनाई गई है। इसके लिए हुकूमत ने उन्हें जमीन फ़राहम की है। मस्जिद के इफ़्तिताह (उदघाटन) के मौक़ा पर मुक़ामी ख़वाजासरा कम्यूनिटी की लीडर ने कहा कि अब हमें मस्जिद में नमाज़ पढ़ने से कोई नहीं रोक सकता, अब यहां कोई हमारा मज़ाक़ नहीं उड़ाएगा। 

    ख़्याल रहे कि मसाजिद में ख़्वाजा-सराओं और ख़वातीन के दाख़िला पर पाबंदी है। एक 42 साला ख़वाजासरा सोनिया का कहना है कि उन्होंने ख़ाब में भी नहीं सोचा था वो कभी ज़िंदगी में मस्जिद के अंदर नमाज़ अदा कर पाएँगी। सोनीया बताती हैं कि उन्हें बचपन से मदरसे में जा कर क़ुरआन की तालीम हासिल करने का शौक़ था। लेकिन बढ़ती उम्र के साथ जैसे ही लोगों को पता चला कि वो ख़वाजासरा हैं, उन्हें मस्जिद में नमाज़ अदा करने से रोक दिया गया था। वो बताती हैं कि लोग हमें कहते थे कि तुम हिजड़े हो कर मस्जिद में क्या कर रहे हो, तुम्हें घर में नमाज़ पढ़नी चाहिए। आइन्दा मस्जिद में मत आना। 
    सोनीया का कहना है कि इसी सुलूक की वजह से हमने मस्जिद जाना छोड़ दिया था लेकिन अब हमारे लिए बनने वाली इस मस्जिद में आने से हमें कोई नहीं रोक सकता। गौरतलब है कि वक़्त के साथ साथ बंगला देश में ख़्वाजा-सराओं के हुक़ूक़ और उनकी क़ानूनी हैसियत को तस्लीम किया जा रहा है। 2013 मैं सरकारी तौर पर इस कम्यूनिटी से ताल्लुक़ रखने वाले को अपनी शिनाख़्त अपने जेंडर के एतबार से कराने की इजाज़त दी गई थी। कई ख़वाजासरा बंगला देश की सियासत में भी हिस्सा ले रहे हैं। 2021 में एक ख़वाजासरा एक क़स्बे का मेयर भी मुंतख़ब हो चुका है। ख़्वाजा-सराओं को मुलाज़मत में तफ़रीक़ (भेदभाव) का सामना करना पड़ता है और वो आम बंगला देशियों के मुक़ाबले में कई गुना ज़्यादा पुर तशद्दुद वाक़ियात और ग़ुर्बत का शिकार हैं। 
    इस सिलसिले में ख़वाजासरा कम्यूनिटी की लीडर कहती हैं कि इस छोटी सी मस्जिद को मज़ीद तौसीअ दी जाएगी ताकि ये मुक़ामी नमाज़ियों के लिए भी काफ़ी हो। वो कहती हैं कि ख़ुदा ने चाहा तो एक दिन आएगा, जब यहां सैंकड़ों लोग नमाज़ अदा कर पाएँगे।

For the latest updates of islam

Please Click to join our whatsappgroup & Whatsapp channel


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ