शअबान उल मोअज्जम -1445 हिजरी
हदीसे नबवी ﷺ
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इस एक रोज़ा सिंपोज़ियम का उनवान ''तालीमी इदारों, कम्यूनिटी और सिविल सोसाइटीज़ के दरमयान शराकतदारी को फ़रोग़ देना: मानो के कैम्पस का किरदार था। मल्टी पर्पज हाल, मानो भोपाल कैम्पस में मुनाक़िदा प्रोग्राम में साबिक़ डीजीपी, आईपीएस एमडब्लयू अंसारी ने इज़हार-ए-ख़याल करते हुए मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनीवर्सिटी की तालीमी सरगर्मियों और ख़िदमात पर तफ़सील से रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि ऐसे तालीमी प्रोग्राम और ख़िदमात तैयार करना चाहिए जो कम्यूनिटी की शिनाख्तशुदा ज़रूरीयात को बराह-ए-रास्त पूरा कर सकें। उन्होंने कहा कि कम्यूनिटी के अंदर मुतनव्वे (विविध) दिलचस्पियों और आबादियात को पूरा करने के लिए कोर्स की पेशकश, वर्कशॉप्स और ईवेंटस को हस्ब-ए-ज़रूरत करना चाहिए। यहा तक कि कैम्पस से बाहर की सरगर्मियों और इक़दामात के लिए मंसूबाबंदी और फ़ैसला साज़ी के अमल में कम्यूनिटी के अराकीन को शामिल करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस बात को यक़ीनी बनाएँ कि कैम्पस से बाहर मराकज़ सक़ाफ़्ती तौर पर हस्सास और जामा जगहें हैं, जो कम्यूनिटी के तनव्वो का एहतिराम करते हो। मुक़ामी सक़ाफ़्तों, ज़बानों और रवायात को मनाने वाले प्रोग्राम और वसाइल पेश करें। उन्होंने तालीम के ताल्लुक़ से एक नक़ल किया :
"Education is an instruments in prosperity and a great refuge in adversity" (Chinese Proverb)
तक़रीब में बड़ी तादाद में अवाम-ओ-ख़वास मौजूद रहे। खासतौर पर प्रोफेसर नोमान ख़ान, अहमद हुसैन, प्रोफेसर नौशाद हुसैन, डाक्टर भानू प्रताप प्रीतम, प्रोफेसर आसिफ़ा यासीन, प्रोफेसर मुर्तज़ा रिज़वी, नितिन सक्सेना, डाक्टर ऊषा खरे और कुमुद सिंह वग़ैरा मौजूद थे।