✒ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडियाफ़्रांसीसी सदर एमान्यो मेक्रोन जो हिन्दुस्तानी दौरे पर थे, गुजिश्ता जुमा की शाम दरगाह हजरत निज़ाम उद्दीन औलिया पहुंचे। यहां उन्होंने दरगाह की तमाम अहम बारीकियों को समझा। इस दौरान दरगाह के मुंतज़मीन उनके साथ रहे और दरगाह के बारे में उन्हें मालूमात फ़राहम करते रहे। उनके साथ फ़्रांसीसी दस्ता और वज़ीर-ए-ख़ारजा एसजे शंकर भी मौजूद थे।
उन्होंने महबूब इलाही हज़रत निज़ाम उद्दीन औलिया रहमतुल्लाह अलैह की मज़ार पर फूल चढ़ाए और कुछ देर क़व्वाली भी सुनी। मुजावरों की तरफ़ से फ़्रांसीसी सदर की दस्तारबन्दी की गई और एज़ाज़ में उन्हें शाल पहनाई गई। पीरज़ादा सय्यद अल्तमिश निज़ामी ने बताया कि फ़्रांसीसी सदर मेक्रोन तक़रीबन एक घंटे तक दरगाह में मौजूद रहे। और ग़ुलाम रसूल क़व्वाल एंड ग्रुप की क़व्वाली की शक्ल में पेश किए गए अमीर ख़ुसरो की क़व्वाली से लुतफ़ अंदोज़ हुए। निज़ामी ने मज़ीद कहा कि सदर मेक्रोन ने दरगाह के ओहदेदारों और फूल फ़रोशों से एक-एक कर मुलाक़ात की। गौरतलब है कि सदर मेक्रोन 75 वें यौमे जमहूरीया की तक़रीबात में मेहमान-ए-खुसूसी थे। वे रात पौने दस बजे मुल्क में सूफ़ी सकाफत के 700 साल पुराने मर्कज़ पहुंचे और आधे घंटे से ज़ाइद तक वहां ठहरे। उनके हम मन्सब ने उनका खैरमकदम किया और उनके एज़ाज़ में जियाफ़त का एहतिमाम किया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि ये कई तरीक़ों से एक तारीख़ी और यादगार लम्हा है। ऐसा शाज़-ओ-नादिर ही हुआ होगा कि दो मुल्कों के रहनुमा यके बाद दीगरे एक-दूसरे की क़ौमी तक़रीबात में मेहमान-ए-खुसूसी हो। इस दिन, आज़ादी हासिल करने के दो साल बाद, हिन्दोस्तान ने दुनिया का सबसे बड़ा हाथ से लिखा आईन जारी किया। सदर जमहूरीया हिंद मुर्मू ने कहा कि खाने के मुआमले में हिन्दोस्तान और फ़्रांस अपनी अपनी ख़सुसीआत के साथ एक-दूसरे पर-असर अंदाज़ होते हैं। जिस तरह फ़्रांस में क़दीम हिन्दुस्तानी ज़बानों और वैदिक उलूम के स्कालर्ज हैं, उसी तरह फ़्रांसीसी ज़बान हिन्दुस्तानी तलबा में बहुत मक़बूल है। अगर हम सिनेमा को देखें तो वहां भी हिन्दोस्तान और फ़्रांस आपस में जुड़े दिखाई देते हैं।