ट्रस्टी चंद्रहास केतकर ने कहा, सियासी मुफ़ाद के लिए किया जा रहा दावा
✒ मुंबई : आईएनएस, इंडिया
महाराष्ट्र के वज़ीर-ए-आला एकनाथ शिंदे ने सदियों पुरानी हाजी मलंग शाह दरगाह की आज़ादी के लिए पुरअज्म होने की बात कह कर नया तनाजा (विवाद) खड़ा कर दिया है। दाएं बाज़ू के गिरोह इस दरगाह को मंदिर होने का दावा करते हैं। ये दरगाह माथेरान की पहाड़ियों पर मलंग गढ़ क़िले के क़रीब है।यहां यमन के 12वीं सदी के सूफ़ी बुज़ुर्ग हाजी अबदुर्रहमान का मज़ार है, जिन्हें मुक़ामी लोग हाजी मलंग बाबा के नाम से जानते हैं। यहां 20 फरवरी को हाजी मलंग के यौम-ए-पैदाइश की ख़ुसूसी तैयारीयां की जा रही हैं। कल्याण में वाके सूफ़ी बुज़ुर्ग की आख़िरी आरामगाह तक पहुंचने के लिए दो घंटे का सफ़र तै करना पड़ता है। दरगाह के ट्रस्टियों में से एक, चंद्रहास केतकर ने कहा कि जो कोई दावा कर रहा है कि हाजी मलंग दरगाह एक मंदिर है, वो सियासी फ़ायदे के लिए ऐसा कर रहा है।
चंद्रहास केतकर का परिवार गुजिश्ता 14 नसलों से इस दरगाह की देख-भाल कर रहा है। 1980 की दहाई के वस्त (बीच) में, मुक़ामी शिवसेना रहनुमा आनंद देगे ने इस जगह को नाथ फ़िरक़े से ताल्लुक़ रखने वाला एक क़दीम हिंदू मंदिर क़रार देकर दरगाह की मुख़ालिफ़त शुरू की थी। चीफ़ मिनिस्टर एकनाथ शिंदे ने थाने ज़िला में मलंग गढ़ हरीनाम महोत्सव में अपने ख़िताब के दौरान कहा कि मैं मलंग गढ़ के तईं आपके जज़बात से बख़ूबी वाक़िफ़ हूँ। ये आनंद देगे थे, जिन्होंने मलंगगढ़ की आज़ादी की तहरीक शुरू की, जिससे हमने जय मलंग श्री मलंग का नारा लगाना शुरू किया। ताहम, में आपको बताना चाहता हूँ कि कुछ मुआमलात ऐसे हैं, जिन पर अवामी सतह पर बात नहीं की जाती। में मलंगगढ़ की आज़ादी के बारे में आपके गहरे यक़ीन से वाक़िफ़ हूँ। मैं आपको बताता चलूं कि एकनाथ शिंदे उस वक़्त तक चुप नहीं बैठेगा जब तक वो आपकी ख़ाहिश पूरी नहीं कर देता।
चंद्रहास केतकर के मुताबिक़, '1954 में हाजी मलंग के इंतिज़ाम पर केतकर ख़ानदान के कंट्रोल से मुताल्लिक़ एक केस में, सुप्रीमकोर्ट ने तबसरा किया था कि दरगाह एक जामा ढांचा है, जिस पर हिंदू या मुस्लिम क़ानून नहीं चल सकता। ये सिर्फ उसके अपने मख़सूस रस्म-ओ-रिवाज या ट्रस्ट के मुक़र्रर करदा उसूलों के तहत चल सकता है। पार्टियां और उनके रहनुमा अब उसे सिर्फ अपने वोट बैंक को राग़िब करने और सियासी ईशू बनाने के लिए उठा रहे हैं।