✒ न्यूयार्क : आईएनएस, इंडिया आलमी इदारा सेहत (डब्लयूएओ) के सरबराह टेडरोस गाजा मसले पर बोलते हुए रो पड़े। वे जिनेवा में गाजा हेल्थ इमरजेंसी के इजलास में गाजा के हालात पर बोल रहे थे। इस दौरान उनका गला रुंध गया था। इसकी वजह से थोड़ी देर तक वे कुछ भी बोल नहीं पाए। बाद में अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, कोशिशों के बावजूद कहने को अलफ़ाज़ नहीं है, ग़ज़ा के हालात नाक़ाबिल बयान हैं।
दूसरी जानिब आलमी अदालत इन्साफ़ ने इसराईल के ख़िलाफ़ नसल कुशी का मुक़द्दमा चलाने का ऐलान करते हुए मुक़द्दमा ना सुनने की इसराईल की दरख़ास्त मुस्तर्द कर दी है। आलमी अदालत ने हुक्म दिया कि इसराईल गाजा में नसल कुशी रोकने के लिए इक़दामात करे, अदालत ने कहा, जीनो साइड कनवेनशन के तहत केस सुनने का इख़तियार है, इसराईल के ख़िलाफ़ नसल कुशी केस ख़ारिज नहीं करेंगे। आलमी अदालत इन्साफ़ में केस का फ़ैसला सुनाने के दौरान 17 रुकनी पैनल में से 16 जजेस मौजूद थे जिनमें से 15 जजों ने इस फ़ैसले की ताईद (समर्थन) की। अदालत ने नसल कुशी कनवेनशन पर अमल दरआमद के लिए इसराईल को हंगामी अहकामात इसराईली हुकूमत को नसल कुशी की रोक-थाम और इस की तशहीर करने वालों के ख़िलाफ़ सज़ा देने के इक़दामात और एक माह के अंदर अदालती अहकामात पर अमल दरआमद के शवाहिद पेश करने का हुक्म देने के साथ-साथ इसराईल को गाजा में इन्सानी इमदाद की रसाई में रुकावट ख़त्म करने का हुक्म भी दिया।
मुक़द्दमे के मुख़्तसर फ़ैसले पर अलग-अलग रद्द-ए-अमल
लंदन : अक़वाम-ए-मुत्तहिदा (संयुक्त राष्ट्र) की आला तरीन अदालत ने जुमे के रोज़ इसराईल को हुक्म दिया है कि वो गाजा में मौत, तबाही और नसल कुशी जैसे किसी भी इक़दाम को रोकने के लिए हर मुम्किन कार्रवाई करे। हालांकि अदालती पैनल ने इसराईल को जंग बंदी का हुक्म देने से गुरेज़ किया जो फ़लस्तीनीयों के महसूर (घेराबंदी) इलाक़े में बड़े पैमाने पर तबाही का सबब बनी है। इस फ़ैसले पर दुनिया-भर के मुल्कों और इदारों ने अपने रद्द-ए-अमल का इज़हार किया है जिनमें से बेशतर ने फ़ैसले का ख़ैर-मक़्दम किया है। इस मुख़्तसर हुक्म के बाद इमकान है कि ये मुक़द्दमा आइन्दा कई बरसों तक आलमी अदालत में ज़ेर-ए-समाआत रहेगा। अदालत के फ़ैसले पर इसराईल, फ़लस्तीनीयों के साथ-साथ दुनिया-भर के मुल्कों, इदारों और सरबराहान की जानिब से रद्द-ए-अमल सामने आया है। इसराईल के वज़ीर-ए-आज़म नेतन्याहू ने जुनूबी अफ़्रीक़ा के नसल कुशी के दावे को बे-बुनियाद क़रार देते हुए मुस्तर्द कर दिया है और कहा है कि अपने मुल्क और लोगों के दिफ़ा के लिए जो ज़रूरी है, हम वो जारी रखेंगे। अस्करीयत पसंद तहरीक हम्मास ने फ़ैसले का ख़ैर-मक़्दम करते हुए बैन-उल-अक़वामी बिरादरी से अपील की है कि वो इसराईल से अदालत के फ़ैसलों पर अमल दरआमद का तक़ाज़ा करे। फ़लस्तीनी अथार्टी के वज़ीर-ए-ख़ारजा रियाज़ मालकी ने कहा कि आईसीजे के जजेस ने हक़ायक़ और क़ानून का जायज़ा लिया और इन्सानियत और बैन-उल-अक़वामी क़ानून के हक़ में फ़ैसला दिया। जबकि अमरीका ने कहा कि इलजाम बेबुनियाद है। अमरीकी महकमा-ए-ख़ारजा के एक तर्जुमान ने कहा कि हमारा ख़्याल है कि नसल कुशी के इल्ज़ामात बे-बुनियाद हैं और अदालत को नसल कुशी के बारे में कोई शवाहिद नहीं मिले हैं और ना ही उसने अपने फ़ैसले में जंग बंदी के लिए कहा है। योरपी यूनीयन ने कहा कि उसे तवक़्क़ो है कि इसराईल और हम्मास बैन-उल-अक़वामी अदालत इन्साफ़ के फ़ैसले की पूरी तरह से तामील करेंगे। तुरकिया के सदर रजब तुय्यब अर्दगान ने सोशल मीडीया पर एक बयान में कहा कि, मैं ग़ज़ा में ग़ैर इन्सानी हमलों के हवाले से इंटरनैशनल कोर्ट आफ़ जस्टिस की जानिब से किए गए उबूरी फ़ैसले को काबिल-ए-क़दर पाता हूँ और इस का ख़ैर-मक़्दम करता हूँ।
सऊदी अरब की वज़ारत-ए-ख़ारजा ने एक बयान में बैन-उल-अक़वामी अदालत के फ़ैसले का ख़ैर-मक़्दम किया। सऊदी अरब ने बैन-उल-अक़वामी बिरादरी से मुतालिबा किया कि वो बैन-उल-अक़वामी क़वानीन की ख़िलाफ़ वरज़ीयों के लिए इसराईल को जवाबदेह ठहराए। ख़लीजी मुल्क कतर की वज़ारत-ए-ख़ारजा ने इन्सानियत और बैन-उल-अक़वामी इन्साफ़ की फ़तह क़रार दिया।