Top News

हिन्दोस्तान करेगा यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी की मेज़बानी, पहली बार हासिल किया एज़ाज़

नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया

जी-20 के बाद हिन्दोस्तान ने एक और कामयाबी हासिल कर ली है। यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी की साल 2024 में चेयरमैनशिप और मेज़बानी के हवाले से लिए गए फैसले के मुताबिक 21 से 31 जुलाई 2024 तक नई दिल्ली में हिंदूस्तान पहली बार यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी की सदारत और मेज़बानी करने जा रहा है। यूनेस्को में हिन्दोस्तान के मुस्तक़िल नुमाइंदे विशाल वी वर्मा ने ये इत्तिला दी। 
    यहां ये बात काबिल-ए-ग़ौर है कि ये पहला मौक़ा होगा, जब मुल़्क यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी की कयादत और मेज़बानी करेगा। इससे हिन्दोस्तान को आलमी सतह पर सक़ाफ़्ती और क़ुदरती विरसे के मुक़ामात के तहफ़्फ़ुज़ और पहचान में फ़आल तौर पर तआवुन करने का मौक़ा मिलेगा। ख़्याल रहे कि यूनेस्को का कयाम 16 नवंबर 1945 को हुआ था। यूनेस्को का पूरा नाम अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की तालीमी, साईंसी और सक़ाफ़्ती तंज़ीम (नेशनल एजुकेशनल साइंटिफक एंड कल्चरल आर्गेनाईजेशन) है। यूनेस्को के क़ियाम का मक़सद दुनिया के फन, तालीम, साईंस और सक़ाफ़्त (संस्कृति) में बैन-उल-अक़वामी तआवुन के ज़रीये आलमी अमन-ओ-सलामती के लिए कोशिश करना है। 
    इससे कब्ल 44 ममालिक ने इसमें हिस्सा लिया था और इसी दिन 37 ममालिक ने यूनेस्को के आईन पर दस्तख़त किए जो 4 नवंबर 1946 को नाफ़िज़ हुआ था यूनेस्को की पहली कान्फ्रेंस 10 नवंबर से 10 दिसंबर 1946 तक पेरिस में मुनाक़िद हुई थी। जिसमें 30 ममालिक ने हिस्सा लिया था। हिन्दोस्तान शुरू से ही इसका रुकन रहा है। आहिस्ता-आहिस्ता मज़ीद दूसरे मुल्क भी इसमें शामिल होने लगे। 1951 में जापान, 1953 मैं मग़रिबी जर्मनी और स्पेन और 1954 मैं सोवीयत यूनीयन भी इसके अराकीन बने। 1960 मैं अफ़्रीक़ा के 19 ममालिक ने इसकी रुकनीयत (सदस्यता) हासिल की। आज यूनेस्को के 193 अराकीन ममालिक और 11 एसोसीएट इसके मेंबर हैं। इस का सदर दफ़्तर फ़्रांस के शहर पेरिस में आलमी सक़ाफ़्ती विरसे (राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर) के मर्कज़ में है। इसके 199 मुल्कों में 53 इलाक़ाई दफ्तर और क़ौमी कमीशन हैं जो उसके आलमी चार्टर को नाफ़िज़ करते हैं। यूनेस्को के ज़ेर-ए-एहतिमाम कुल 40 बैन-उल-अक़वामी दिन मनाए जाते हैं। कुछ नुमायां नामों में 8 मार्च को ख़वातीन का आलमी दिन, 3 मई को आज़ादी सहाफ़त का आलमी दिन, 5 अक्तूबर को असातिज़ा (टीचर्स) का आलमी दिन और 18 दिसंबर को आलमी यौम अरबी ज़बान शामिल हैं।
    हिन्दोस्तान की कई तारीख़ी इमारतें और पार्कस भी यूनेस्को के विरसे की फेहरिश्त में शामिल हैं। यूनेस्को के दुनिया-भर में 332 बैन-उल-अक़वामी रज़ाकाराना तन्ज़ीमों के साथ ताल्लुक़ात है।

गाजियाबाद का नाम तबदील करने का मुतालिबा, म्यूनसिंपल कारपोरेशन ने मंजूर की क़रारदाद 

गाजियाबाद का नाम तबदील करने का मुतालिबा

गाजियाबाद : 
गाजियाबाद म्यूनसिंपल कारपोरेशन ने पिछले दिनों गाजियाबाद का नाम तबदील करने की क़रारदाद (प्रस्ताव) मंज़ूर कर ली है। मेयर सुनीता दयाल ने कहा कि गाजियाबाद का नाम तबदील करने के लिए 3 नाम हरनंदी नगर, गंज प्रस्थ और दूधेश्वरनाथ नगर सामने आ है। इन नामों को अब वज़ीर-ए-आला योगी आदित्य नाथ के पास भेजा जाएगा, जो इस मुआमला पर हतमी फ़ैसला लेंगे। हालांकि नाम में ऐसी किसी भी तबदीली के लिए बिलआख़िर मर्कज़ की मंज़ूरी दरकार होगी। 
    मेयर दयाल ने कहा कि काउंसलर्स ने गाजियाबाद का नाम तबदील करने की क़रारदाद को मुकम्मल अक्सरीयत से मंज़ूर किया है। नए नाम का फ़ैसला वज़ीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ करेंगे। गाजियाबाद के लोगों और हिंदू तन्ज़ीमों के मुतालिबे को मद्द-ए-नज़र रखते हुए ये नाम तजवीज़ किए गए हैं। साहिबाबाद हलक़ा से बीजेपी के एमएलए सुनील शर्मा ने कहा कि गुजिश्ता साल उन्होंने इस सिलसिले में रियासत में एक तजवीज़ पेश की थी। असैंबली इसमें गाजियाबाद का नाम बदल कर गज प्रस्थ रखने का मश्वरा दिया गया था। उसी बीच दुधेश्वर नाथ मंदिर के पुरोहित महंत नारायण गिरी ने कहा कि उन्होंने गुजिश्ता साल वज़ीर-ए-आला को 3 नाम तजवीज़ किए थे। गिरी के मुताबिक़ ये नाम महा-भारत से मुताल्लिक़ हैं क्योंकि मौजूदा गाजियाबाद ज़िला पहले हस्तीनापूर का हिस्सा था। गिरी के मुताबिक़, ये इलाक़ा एक घना जंगल हुआ करता था, जिसमें हाथी रहते थे, जिसे हिन्दी में 'गज कहते हैं। गिरी ने दावा किया कि इसी वजह से गाजियाबाद को गज प्रस्थ कहा जाता है। 
    उन्होंने दावा किया कि मुग़ल बादशाह अकबर के क़रीबी साथी ग़ाज़ी उद्दीन ने इसका नाम बदल कर गाजियाबाद कर दिया था।


Post a Comment

if you have any suggetion, please write me

और नया पुराने