✒ लंदन : आईएनएस, इंडिया
मारूफ साईंसदानों ने खबरदार किया है कि मौसमियाती तबदीली जमीन पर जिंदगी के वजूद के लिए खतरा बनती जा रही है। न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 अब तक रिकार्ड गर्मतरीन साल के तौर पर रिकार्ड होने जा रहा है। इस साल जमीन के तमाम हिस्से शदीद गर्मी की लहरों की लपेट में रहे या कई इलाके सैलाब का शिकार हुए । साईंसी पर्चे बायो साईंस में शाइआ एक नई रिपोर्ट में तहकीककारों (शोधकर्ताओं) के ग्रुप ने कहा कि हकीकत ये है कि हम 2023 में मौसमी तबदीली के बदतरीन वाकियात से हैरान हैं, हम इस नामालूम खित्ते से खौफजदा हैं जिसमें हम अब दाखिल हो चुके हैं।उनका कहना था कि इन्सानों ने जमीन को गर्म करने वाले गैसेज का इखराज रोकने में कोई खास पेशरफ़्त नहीं की, जहां ग्रीन हाऊस गैसेज रिकार्ड सतह पर हैं। वाजेह रहे कि ये तशवीशनाक तशखीस तेल की दौलत से माला-माल मुत्तहदा अरब अमीरात में होने वाले मौसमियाती तबदीली की आलमी कान्फें्रस में मौसमियाती मुजाकरात से सिर्फ एक माह कब्ल सामने आई है। तहकीककारों ने कहा कि हमें आब-ओ-हवा की हंगामी सूरत-ए-हाल के बारे में अपने नुक्ता-ए-नजर को माहौलियाती (पर्यावरण) मसले, जिंदगी के वजूद को दरपेश खतरे से निकालने के लिए इकदामात करने चाहिए। आब-ओ-हवा से मुताल्लिक इसमें 35 सय्यारों की अहम अलामात के हालिया आदाद-ओ-शुमार पर गौर किया गया और मालूम हुआ कि उनमें से 20 इस साल रिकार्ड हद से ज्यादा हैं।
योरपी यूनीयन की कोपरनेक्स क्लाईमेट चेंज सर्विस ने कहा कि सितंबर से पहले तीन महीने अब तक रिकार्ड गर्मतरीन थे जो तकरीबन एक लाख 20 हजार बरसों में सबसे ज्यादा गर्मतरीन थे। रिपोर्ट में कहा गया कि 2023 में आब-ओ-हवा से मुताल्लिक बहुत से रिकार्ड खासतौर पर समुंद्रों में दर्जा हरारत ज्यादा मार्जिन से टूट गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि मुम्किना तौर पर संगीन असरात में समुंद्री जिंदगी और मर्जान की चटानों को लाहक खतरात और बड़े तूफानों की शिद्दत में इजाफा शामिल है। सय्यारे के लोगों को इस साल गर्मी की लहरों और खुश्कसाली का सामना करना पड़ा है जबकि अमरीका, चीन, •ाारत और दीगर ममालिक में शदीद सैलाब ने तबाही मचाई। रिपोर्ट में कहा गया कि कैनेडा में जंगल में लगी आग •ाी अब तक की •ायानक आग रही।
रिपोर्ट में माहिरीन ने कहा कि 2023 से पहले आलमी दर्जा हरारत के दिन सनअती सतह से 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड से ज्यादा थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि पैरिस मुआहिदे में 1.5 सेंटीग्रेड का दहाईयों में जायजा लिया जाएगा। लेकिन औरेगोन स्टेट यूनीवर्सिटी के प्रोफेसर और रिपोर्ट के अव्वलीन मुसन्निफ विलियम रिपल ने कहा कि हम एक ऐसे दौर में दाखिल हो रहे हैं, जहां हर साल दर्जा हरारत उस सतह या इससे ज्यादा होने का खदशा है जो कि मौसमियाती फीडबैक लोप्स और टपनग प्वाईंटस को खतरात से दो-चार करेगा। उन्होंने कहा कि दर्जा हरारत एक-बार उबूर होने के बाद टिपिंग प्वाईंटस हमारी आब-ओ-हवा को ऐसे तबदील कर सकता है, जिन्हें तबदील करना मुश्किल या नामुमकिन हो सकता है।
एक्सीटर यूनीवर्सिटी में ग्लोबल सिस्टम्ज इंस्टीटियूट के डायरेक्टर और रिपोर्ट के शरीक मुसन्निफ (सह लेखक) टिम लेंटन ने कुछ टिपनिंग प्वाईंटस का हवाला देते हुए कहा कि हम अब उनसे नहीं बच सकते और ये नुक़्सान को कम करने से ज्यादा है, ताहम ऐसा करने के लिए गेसों का इखराज (निकास) कम करना चाहिए और दर्जा हरारत में इजाफा रोकना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेंटीग्रेड का हर हिस्सा एहमीयत रखता है और अब •ाी बहुत कुछ करना बाकी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सदी के इखतेताम (अंत) तक 3 से 6 अरब लोग के लिए हालात मश्क हो सकते हैं। शरीक मुसन्निफ ने कहा कि बहुत से आलमी रहनुमाओं ने मौसमियाती तबदीलीयों को रोकने और जमीन पर जिंदगी बरकरार रखने के लिए पालिसीयां बनाने के बजाय मामूल के मुताबिक सरगर्मियां जारी रखने की हिमायत की है।