सर सय्यद डे पर ब वकार तकरीब का इनएकाद
किसी भी समाज के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए तालीम ही एक ऐसा हथियार है, जिसे इखतियार कर इन्सान सही माअनों में इन्सान बन सकता है और मुल्क-ओ-मिल्लत की तरक़्की में वही शख्स तआवुन कर सकता है जो तालीमयाफ्ता हो। नीज ये भी याद रखना चाहिए कि तालीम से दूरी ही इन्सान की पस्ती का सबब हुआ करती है।
मजकूरा ख़्यालात का इजहार सर सय्यद डे के मौका पर मुनाकिदा एक तकरीब के दौरान मजहबी रहनुमाओं ने किया। मौके पर तकरीबन तमामी मजहब के मजहबी रहनुमा मौजूद थे। सभी ने अलीग्स बिरादरी को ललकारा। उन्होंने कहा, बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन बातों से कोई फायदा होता दिखाई नहीं दे रहा है। फकत बातें अंधेरों की, महज किस्से उजालों के
चिराग-ए-आरजू लेकर ना तुम निकले, हम निकले।
प्रोग्राम से खिताब करते हुए मेहमान-ए-खुसूसी महंत विजए दास जी महाराज ने तालीम की अहमीयत पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा, इस्लाम ही एक ऐसा मजहब है, जिसकी मजहबी किताब कुरआन की शुरुआत ही में पढ़ने की तरगीब दी गई है। इससे इस्लाम में तालीम की अहमियत और साथ ही इस्लामी ताअलीमात का पता चलता है।
हैरत है कि तालीम-ओ-तरक़्की में है पीछे,
जिस कौम का आगाज ही ‘इकरा’ हुआ था।
"The first requisite for the progress of a nation is the brothehodd and unity amongst sections of the society" and
Hindus and Muslims are the two eyes of the beautiful bride that is Hindustan (Bharat). The weakness or any one of them will spoil the beauty of the bride (Dulhan).
तकरीब को भंते शाक्य पत्र सागर थेरो और शहर काजी सय्यद मुश्ताक अली नदवी ने भी मुखातिब किया। काजी साहिब ने बहुत ही मुख़्तसर मगर जामा अलफाज में नसीहत फरमाई। उन्होंने कहा, रब के फरमान में दो बातें काबिल-ए-जिÞक्र है, एक ये कि अपने रब का नाम लेकर पढ़ और दूसरा ये कि इन्सान को ये बात हमेशा जहन नशीं होनी चाहिए कि इंसान की तख्लीक करने वाला खुदा है। इन्सान कुछ भी नहीं था, खुदा ने उसे अशरफ-उल-मखलूक बनाया।
एएमयू ओल्ड ब्वॉयज एसोसीएशन के सदर आजम अली खान ने मेहमानों के तंई इजहार-ए-तशक्कुर करते हुए अपने खिताब में तालीम पर जोर दिया। आलमी शोहरतयाफता शायर, मंजर भोपाली ने खूबसूरत कलाम पेश किया। इनके अलावा मौलाना डाक्टर रजी उल हसन हैदरी, डाक्टर महताब आलम, एमडब्लयू अंसारी वगैरा ने भी तकरीब से खिताब किया। निजामत के फराइज तसनीम हबीब ने अंजाम दिए। एएमयू के तराने और राष्ट्रगान जन-गण-मन के साथ तकरीब का इख्तेताम हुआ।