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मजहबी रहनुमाओं ने अलीग्स को ललकारा, कहा, महज बातें करने से नहीं होगा सर सय्यद का मिशन पूरा

सर सय्यद अहमद खान डे पर अलीग्स ने किया आयोजन

सर सय्यद डे पर ब वकार तकरीब का इनएकाद

किसी भी समाज के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए तालीम ही एक ऐसा हथियार है, जिसे इखतियार कर इन्सान सही माअनों में इन्सान बन सकता है और मुल्क-ओ-मिल्लत की तरक़्की में वही शख्स तआवुन कर सकता है जो तालीमयाफ्ता हो। नीज ये भी याद रखना चाहिए कि तालीम से दूरी ही इन्सान की पस्ती का सबब हुआ करती है। 
    मजकूरा ख़्यालात का इजहार सर सय्यद डे के मौका पर मुनाकिदा एक तकरीब के दौरान मजहबी रहनुमाओं ने किया। मौके पर तकरीबन तमामी मजहब के मजहबी रहनुमा मौजूद थे। सभी ने अलीग्स बिरादरी को ललकारा। उन्होंने कहा, बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन बातों से कोई फायदा होता दिखाई नहीं दे रहा है। 

फकत बातें अंधेरों की, महज किस्से उजालों के
चिराग-ए-आरजू लेकर ना तुम निकले, हम निकले।

अगर वाकई अलीग्स सर सय्यद के सच्चे जां नशीन बनना चाहते हैं तो उन्हें वो काम करने होंगे, जिसे लेकर सर सय्यद आगे बढ़े थे। वाजेह रहे कि हर साल 17 अक्टूबर को तमाम अलीग्स यौम-ए-सर सय्यद के नाम पर एक बावकार तकरीब का इनएकाद करते हैं। इमसाल तकरीब का इनइकाद अहमदाबाद पैलेस रोड, कोहे फिजा में वाके नवाब राजा के बंगले पर हुआ। 
    प्रोग्राम से खिताब करते हुए मेहमान-ए-खुसूसी महंत विजए दास जी महाराज ने तालीम की अहमीयत पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा, इस्लाम ही एक ऐसा मजहब है, जिसकी मजहबी किताब कुरआन की शुरुआत ही में पढ़ने की तरगीब दी गई है। इससे इस्लाम में तालीम की अहमियत और साथ ही इस्लामी ताअलीमात का पता चलता है।

हैरत है कि तालीम-ओ-तरक़्की में है पीछे,
जिस कौम का आगाज ही ‘इकरा’ हुआ था।

    प्रोग्राम में तशरीफ लाए आर्च बिशप भोपाल, जनाब सेबा सतन ने सर सय्यद को याद करते हुए कहा कि वो वाकई में एक महान और अजीम शख़्सियत थे। लेकिन सवाल ये है कि उनके बाद कोई दूसरा सर सय्यद क्यों पैदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, यूनीवर्सिटीयां, कॉलेज और इदारे क्यों कायम नहीं किए गए, इसलिए कि किसी ने भी उनके मिशन की रूह को नहीं समझा। जब कई स्कूल, कॉलेज और यूनीवर्सिटीयां होंगी तो लोग मजहबी तालीम को भी इखतियार करेंगे। उन्होंने मजीद कहा कि सर सय्यद अहमद खान एक आलिम-ए-दीन होने के साथ साथ मुफक्किर-ओ-मुदब्बिर और देशभक्त भी थे। उन्होंने हमेशा भाईचारगी, आपसदारी की बात कही है। मैं आप लोगों के सामने उनके दो खास अकवाल पेश करना चाहूँगा। 

"The first requisite for the progress of a nation is the brothehodd and unity amongst sections of the society" and 
Hindus and Muslims are the two eyes of the beautiful bride that is Hindustan (Bharat). The weakness or any one of them will spoil the beauty of the bride (Dulhan). 

    गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी भोपाल के प्रेसीडेंट, सरदार परमवीर सिंघ वजीर ने भी आपसी भाईचारे पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस वक़्त फिर्कापरस्त ताकतें नफरत का माहौल पैदा कर रही हैं। आज हम सब एक मंच और प्लेटफार्म पर जमा हैं, यही इस मुल्क की गंगा-जमुनी तहजीब है और यही इसका हुस्न है। नीज ये भी याद रखना चाहिए कि इस्लाम ही वो वाहिद मजहब है, जिसमें छुआ-छूत, ऊंच-नीच का कोई कांसेप्ट नहीं है। सोफिया फारूकी वली (आईएएस) ने भी अपने ख़्यालात का इजहार करते हुए तालीम की बात कही। खुसूसन उन्होंने खवातीन-ओ-लड़कीयों की तालीम पर ज्यादा जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब लड़कीयां तालीमयाफता होंगी तो ही मआशरा तालीमयाफता बनेगा। इसकी वजह यह है कि औरत ही बच्चों की परवरिश में नुमायां किरदार अदा करती है जिसका असर बच्चों में मुंतकिल होता है।
    तकरीब को भंते शाक्य पत्र सागर थेरो और शहर काजी सय्यद मुश्ताक अली नदवी ने भी मुखातिब किया। काजी साहिब ने बहुत ही मुख़्तसर मगर जामा अलफाज में नसीहत फरमाई। उन्होंने कहा, रब के फरमान में दो बातें काबिल-ए-जिÞक्र है, एक ये कि अपने रब का नाम लेकर पढ़ और दूसरा ये कि इन्सान को ये बात हमेशा जहन नशीं होनी चाहिए कि इंसान की तख्लीक करने वाला खुदा है। इन्सान कुछ भी नहीं था, खुदा ने उसे अशरफ-उल-मखलूक बनाया। 
    एएमयू ओल्ड ब्वॉयज एसोसीएशन के सदर आजम अली खान ने मेहमानों के तंई इजहार-ए-तशक्कुर करते हुए अपने खिताब में तालीम पर जोर दिया। आलमी शोहरतयाफता शायर, मंजर भोपाली ने खूबसूरत कलाम पेश किया। इनके अलावा मौलाना डाक्टर रजी उल हसन हैदरी, डाक्टर महताब आलम, एमडब्लयू अंसारी वगैरा ने भी तकरीब से खिताब किया। निजामत के फराइज तसनीम हबीब ने अंजाम दिए। एएमयू के तराने और राष्ट्रगान जन-गण-मन के साथ तकरीब का इख्तेताम हुआ। 

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