हिजाब के तौहीन आमेज कानून को मंसूख करे ईरान : अकवाम-ए-मुत्तहिदा
✒ न्यूयार्क : आईएनएस, इंडिया
अकवाम-ए-मुत्तहिदा (संयुक्त राष्टÑ) की एक रिपोर्ट में ड्रेस कोड की पाबंदी ना करने वाली ईरानी खवातीन पर कैद की सजाओं में इजाफे और भारी जुर्माने आइद करने के नए कानून से खबरदार किया गया है। अकवाम-ए-मुत्तहिदा ने ईरानी हुक्काम से उस कानून को मंसूख (रद्द) करने का मुतालिबा कर दिया जो सख़्त इस्लामी लिबास के जाबतों की खिलाफवरजी करने वाली खवातीन के लिए सजाओं को नुमायां तौर पर सख़्त करता है।अकवाम-ए-मुत्तहिदा ने उसे जालिमाना और तौहीन आमेज करार दिया है। अकवाम-ए-मुत्तहिदा के इन्सानी हुकूक के दफ़्तर ने कहा कि उसे नाम निहाद इफ़्फत (पाकीजगी) और हिजाब बिल की मंजूरी पर गहरा अफसोस है। इस कानून के तहत लिबास के जाबते की मामूली खिलाफवरजी करने वाली खातून को 10 साल कैद हो सकती है। दफ़्तर की तर्जुमान रवीना शमदासानी ने जिनेवा में सहाफीयों (पत्रकारों) को बताया कि ये कानून जेल की सजाओं में नुमायां इजाफा करता है और उन खवातीन और लड़कियों पर भारी जुर्माने आइद करता है जो लाजिÞमी लिबास कोड की पाबंदी नहीं करती हैं। तवील कैद की सजा और भारी जुर्माने के अलावा, कानून की खिलाफवरजी करने वाली खवातीन को कोड़े मारे जा सकते हैं और उन्हें सफरी पाबंदीयों का सामना करना पड़ सकता है।
समिदा सानी ने मजीद कहा कि अकवाम-ए-मुत्तहिदा के हाई कमिशनर बराए इन्सानी हुकूक ने इस बात का भी इआदा किया है कि ये सख़्त मुसव्वदा कानून बैन-उल-अकवामी कानून के सरीहन मुतसादिम (स्पष्ट रूप से विरोधाभाषी) है। और उसे रोक दिया जाना चाहिए। हिजाब ना करने पर गिरफ़्तारी के बाद पुलिस की हिरासत में महसा अम्मीनी की पुर असरार मौत के एक साल बाद ईरान में पाबंदियों को सख़्त करने के लिए दबाव के बाद पाबंदियां सख़्त की जा रही हैं।