✒ दोहा, नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
खलीजी मुल्क कतर में गुजिश्ता जुमेरात, 26 अक्तूबर को 8 साबिक नेवी अफिसरों को मौत की सजा सुनाई गई। इन पर मुबय्यना (कथित) तौर पर इसराईल के लिए जासूसी करने का इल्जाम है। आठ माह कब्ल कतर में हिन्दुस्तानी बहरीया (•ाारतीय नौसेना) के इन 8 साबिक (पूर्व) आफिसरान को जासूसी के इल्जाम में गुजिश्ता साल सितंबर में गिरफ़्तार किया गया था। मुआमले में हिन्दुस्तानी वजारत-ए-खारजा (विदेश मंत्रालय) ने अपने बयान में कहा है कि सजा-ए-मौत के फैसले से हम हैरान हैं। वजारत-ए-खारजा ने कहा कि हम खानदान के अरकान और कानूनी टीम के साथ राबते में हैं और तमाम कानूनी आॅप्शन्ज को देख रहे हैं।वजारते खारजा ने कहा कि हम मुआमले में गहरी नजर रखे हुए हैं और मुतास्सिरान को तमाम काउंसलर और कानूनी मदद फराहम करते रहेंगे। वजारत ने कहा कि मुआमले में खुफ़ीया नौईयत की वजह से इस वक़्त मजीद कोई तबसरा करना मुनासिब नहीं होगा। ये तमाम आफिसरान हिन्दुस्तानी बहरीया में मुख़्तलिफ ओहदों पर काम कर चुके हैं जिन पर इसराईल के लिए जासूसी का इल्जाम है।
इन अफराद में नामवर आफिसरान •ाी शामिल हैं जो एक बार हिन्दोस्तान के बड़े जंगी जहाजों की कमांड कर चुके हैं। फिलहाल ये स•ाी एक निजी कंपनी के लिए काम कर रहे थे जो कतर की मुसल्लह अफ़्वाज (हथियारबंद फौज) को तर्बीयत (प्रशिक्षण) और मुताल्लिका खिदमात फराहम करती है। इन तमाम को जासूसी के इल्जाम में पूछगछ के लिए उनकी मुकामी रिहायश गाह से गिरफ़्तार किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक इन 8 हिंदूस्तानियों की जमानत की दरखास्तें मुतअद्दिद (कई) बार मुस्तर्द (रद्द) हो चुकी हैं। कतरी हुक्काम ने उनकी तहवील में तौसीअ कर दी थी।