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50 पंचायतों ने मुस्लिम ताजिरों के लिए गांव में ‘नो एंट्री’ का जारी किया फरमान

23 मुहर्रम-उल-हराम 1445 हिजरी
जुमा, 11 अगस्त, 2023
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अकवाले जरीं
‘मेरी उम्मत में से सबसे पहले मेरे पास हौजे कौसर पर आने वाले वो होंगे जो मु्र­ासे और मेरे अहले बैत से मोहब्बत करने वाले हैं।’
- जामाह उल हदीस

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हरियाणा में लहलहाने लगी नफरत की खेती 

नूह मेवात : आईएनएस, इंडिया 

    हरियाणा के नूह में भड़काए गए तशद्दुद के बाद अब हालात धीरे धीरे मामूल पर जरूर आ रहे हैं, लेकिन मुस्लमानों के लिए मसाइल कम होते नजर नहीं आ रहे हैं। ताजा खबरों के मुताबिक हरियाणा की दर्जनों पंचायतों ने एक ऐसा आमिराना फरमान जारी किया है जो सरतापा तशवीशनाक (चिंताजनक) है। 
    दरअसल तीन जिलों रेवाड़ी, महिन्द्रगढ़ और झज्जर के 50 से जाइद पंचायतों ने मुस्लिम ताजिरों (व्यापारियों) के गांव में दाखिले पर रोक लगाने से मुताल्लिक खत जारी किया है। सरपंचों के दस्तखतशुदा इन खुतूत में ये भी कहा गया है कि गांव में रहने वाले मुस्लमानों को पुलिस के पास अपनी शिनाख़्त से मुताल्लिक दस्तावेजात जमा करने होंगे। हैरानकुन बात ये है कि बेशतर गांव में अकलीयती तबका का कोई भी बाशिंदा नहीं है। चंद एक कुनबे हैं, जो तीन से चार नसलों से यहां मुकीम हैं। खत में कहा गया है कि हमारा इरादा किसी मजहबी जजबात को ठेस पहुंचाने का नहीं है। 

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    नारनौल (महिन्द्रगढ़) के सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट मनोज कुमार ने एक अखबार को बताया कि उन्हें खुतूत की कापी हाथ नहीं लगी है, लेकिन सोशल मीडीया पर खत जरूर देखा है और ब्लॉक दफ़्तर से सभी पंचायतों को वजह बताओ नोटिस भेजने को कहा गया है। उनका कहना है कि ऐसे खत जारी करना कानून के खिलाफ है। हालाँकि हमें पंचायतों की तरफ से ऐसा कोई खत नहीं मिला है। मुझे उनके बारे में मीडीया और सोशल मीडीया के जरीया पता चला। इन गांवों में अकलीयती तबका की आबादी 2 फीसद भी नहीं है। हर कोई खैर सगाली के साथ रहता है। खत क्यों जारी किया गया, ये पूछने पर महिन्द्र गढ़ के सैय्यद पुर के सरपंच विकास ने कहा कि नूह तशद्दुद ताजा ट्रीगर था, लेकिन गांव में गुजिश्ता महीने जुलाई में चोरी के कई मुआमले दर्ज किए गए थे। विकास का कहना है कि सभी अफसोसनाक वाकियात तभी पेश आने शुरू हुए, जब बाहरी लोग हमारे गांव में दाखिल होने लगे। 
    नूह तशद्दुद के ठीक बाद हमने एक अगस्त को पंचायत की और अमन बनाए रखने के लिए उन्हें अपने गांव के अंदर नहीं आने देने का फैसला किया है। उन्होंने मजीद कहा कि जब उनके कानूनी मुशीर (सलाहकार) ने उन्हें बताया कि मजहब की बुनियाद पर किसी तबका को अलग करना कानून के खिलाफ है, तो उन्होंने खत वापिस ले लिया। वो कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि ये खत सोशल मीडीया पर कैसे फैलने लगा। हमने उसे वापिस ले लिया है। विकास के मुताबिक सैय्यद पूर खत जारी करने वाला पहला गांव था और दीगर लोगों ने उसकी पैरवी की। उन्होंने कहा कि महिन्द्र गढ़ के अटाली ब्लॉक से तकरीबन 35 खत जारी किए गए थे। बाकी झज्जर और रेवाड़ी से जारी किए गए थे। पड़ोसी गांव ताजपूर के एक बाशिंदा ने खत जारी करने के लिए नूह तशद्दुद की खबर और बड़े लोगों के उकसावे का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि हमें यहां कोई मसला नहीं है। लेकिन बड़े लोगों से फोन आए और मुलाकातें हुईं, जिसकी वजह से ये मुआमला सामने आ सकता है। मजमूई तौर पर तकरीबन 750 घरों वाले इस गांव में अकलीयती तबका का कोई भी कुनबा नहीं है। मुकामी लोगों ने भी कहा कि उन्हें ऐसी कोई फिक्र नहीं है।

रूहानी इलाज
बच्चे की पैदाईश के फौरन बाद अव्वल-आखिर एक-एक बार दरुद पाक के साथ 7 बार ‘या बर्रु’ पढ़कर बच्चे पर दम कर दें। इन्शा अल्लाह बालिग होने तक बच्चा आफतों से हिफाजत में रहेगा। 
- मदनी पंजसूरह


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