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कुतुब मीनार, मुगल मस्जिद नमाज पर पाबंदी मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने किया जवाब तलब

 8 मुहर्रम-उल-हराम 1445 हिजरी
जुमेरात, 27 जुलाई, 2023
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अकवाले जरीं
‘हसन और हुसैन (रदिअल्लाहो अन्हो) मेरे बेटे और मेरी बेटी फातिमा (रदिअल्लाहो अन्हो) के बेटे हैं, मैं इन दोनों से मोहब्बत करता हूं, तू भी इन दोनों से मोहब्बत फरमा और इन दोनों से मोहब्बत करने वालों से भी मोहब्बत फरमा।’
- बुखारी शरीफ
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Delhi High Court summons reply in case of ban on Qutub Minar, Mughal Masjid Namaz
- Image google

नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
कुतुब मीनार अहाता में वाके मुगल मस्जिद मामले में दिल्ली वक़्फ बोर्ड की इंतिजामी कमेटी की अर्जी पर समाअत करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आर्कियोलाजी सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) से 1914 के उस नोटीफिकेशन से मुताल्लिक रिकार्ड तलब किया, जिसके तहत इस मस्जिद को महफूज इमारत करार दिया गया है। 
    वक़्फ बोर्ड के जरीये तशकील दी गई मस्जिद की इंतिजामी कमेटी की उस अर्जी में मुगल मस्जिद में नमाज पढ़ने पर आइद की गई पाबंदी के फैसले को चैलेंज किया गया है। ख़्याल रहे कि मुगल मस्जिद को महफूज इमारत करार देते हुए गुजिश्ता साल मई में नमाज पढ़ने पर पाबंदी आइद की गई थी। इंतिजामी कमेटी की तरफ से पेश होते हुए एडवोकेट एम सूफियान सिद्दीकी ने दलायल देते हुए कहा कि मस्जिद के कियाम से लेकर गुजिश्ता साल 13 मई को हुक्काम के मुदाखिलत करने तक नमाज अदा की जा रही थी। मुआमला की समाअत करने वाले जस्टिस प्रतीक जालान ने कहा कि अदालत को इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि क्या मस्जिद 1914 के नोटीफिकेशन में बयान करदा महफूज इमारत के तहत आती है और उसका मस्जिद में इबादत की इजाजत पर क्या असर पड़ सकता है। 
    अदालत ने तमाम फरीकैन को हिदायत की कि वो अपने दलायल तीन हफ़्तों में तहरीरी तौर पर जमा कराएं। मआमले की अगली समाअत (सुनवाई) 13 अक्तूबर को मुकर्रर है। वहीं, बोर्ड की इंतिजामी कमेटी का इस्तिदलाल है कि अगरचे मस्जिद एक महफूज यादगार है, ताहम कदीम (पुरानी) यादगारों और आसारे-ए-कदीमा के मुकामात और बाकियात एक्ट, 1958 के सेक्शन 16, ये हुक्म देता है कि हुक्काम को मस्जिद की मजहबी नौईयत और तकद्दुस को बरकरार रखना चाहिए और नमाजियों के नमाज पढ़ने के हक का तहफ़्फुज करना चाहिए। पिटीशन के मुताबिक मुस्लमानों को मस्जिद में नमाज पढ़ने का मौका देने से इनकार एक जबर पर मबनी नुक़्ता-ए-नजर की नुमाइंदगी करता है जो कि आईन में दर्ज लिबरल इकदार और आम लोगों की रोजमर्रा जिंदगी में नजर आने वाले लिबरालाइजेशन के मुनाफी है।


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