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ज्ञानवापी : इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुस्लिम फरीक को झटका, मुस्तकिल पूजा के लिए चलेगा केस

13 जीअकादा 1444 हिजरी
सनीचर, 3 जून 2023
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अकवाले जरीं
जब तीन लोग सफर पर रवाना हों तो वो अपने में से किसी एक को अपना अमीर बना ले। 
- अबु दाऊद
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ज्ञानवापी : इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुस्लिम फरीक को झटका, मुस्तकिल पूजा के लिए चलेगा केस

इलाहाबाद : आईएनएस, इंडिया 
वाराणसी के ज्ञानवापी-शृंगार गौरी केस में बुध के रोज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया। अदालत ने अंजुमन इंतिजामीया मस्जिद कमेटी की तरफ से दाखिल उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें हिंदू खवातीन के जरीया शृंगार गौरी की मुस्तकिल पूजा की इजाजत देने का मुतालिबा किए जाने की मुखालिफत की गई थी। 
    दरअसल ज्ञानवापी मस्जिद अहाता के अंदर शृंगार गौरी की मुस्तकिल पूजा का मुतालिबा करते हुए कुछ खवातीन के जरीया अर्जी दाखिल की गई थी, उसी पर मस्जिद कमेटी ने एतराज जाहिर किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहस मुकम्मल होने के बाद 23 दिसंबर 2022 को फैसला महफूज रख लिया था। 31 मई को इस मुआमले में अदालत ने फैसला सुनाया जो हिंदू खवातीन के हक में गया है। यानी मस्जिद अहाता में शृंगार गौरी की मुस्तकिल पूजा से मुताल्लिक केस पर समाअत जारी रहेगी। इससे कब्ल जिÞला जज वाराणसी ने भी यही फैसला सुनाया था, जिसे अंजुमन इंतिजामीया मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चैलेंज किया था। 
    वाजेह रहे कि शृंगार गौरी केस में हिंदू फरीक राखी सिंह और दीगर 9 के जरीया वाराणसी की अदालत में सिविल सूट दाखिल किया गया था। इस मुकद्दमे में वाराणसी के जिÞला जज की अदालत ने 12 सितंबर को फैसला सुनाया था जो मस्जिद इंतिजामीया कमेटी के खिलाफ गया था। अदालत में अर्जी दाखिल करने वाली 5 खवातीन समेत 10 लोगों को फरीक बनाया गया था। वाराणसी के जिÞला जज की अदालत ने मुस्लिम फरीक के जरीया दाखिल करदा एतराज को खारिज कर दिया था। 
    अदालत में मुस्लिम फरीक ने दलील दी थी कि 1991 के 'प्लेसेज आफ वार्शिप एक्ट और 1995 के सेंटर्ल वक़्फ एक्ट’ के तहत सिविल सूट काबिल-ए-कबूल नहीं है। लेकिन जिÞला जज ने फैसला हिंदू फरीक के हक में सुनाया था। उसी फैसले को मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चैलेंज किया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

ज्ञान वापी मस्जिद तनाजा : सात मुकद्दमात की एक साथ होगी समाअत

वाराणसी : वाराणसी की अदालत ने ज्ञान वापी तनाजा (विवाद) से मुताल्लिक सात मुकद्दमात की एक साथ समाअत करने का फैसला किया है। डिस्ट्रिक्ट जज डाक्टर अजय कृष्णा ने ये हुकम 22 मई को दिया। 
    हिंदू फरीक ने 7 मुकद्दमात की एक साथ समाअत के लिए दरखास्त दायर की थी। केस की अगली समाअत 7 जुलाई को होगी। वकील ने कहा कि सात केस एक ही नौईयत (प्रकृति, नेचर) के हैं। सुभाष चतुवेर्दी, हिंदू फरीक के वकील ने कहा, फैसला हमारे हक में आया है। तमाम मुकद्दमात की नौईयत एक जैसी है। राखी सिंह के केस को सरकरदा केस के तौर पर सुना जाएगा। इस केस के तहत तमाम मुकद्दमात की समाअत की जाएगी। मस्जिद कमेटी ने इस मुआमले में एतराजात उठाए थे। राखी सिंह की जानिब से एडवोकेट शिवम गौड़, एडवोकेट रमेश उपाध्याय, शंकराचार्य स्वामी ईवी मुक़्तेश़्वरानंद की जानिब से, रईस अहमद, अंजुमन इंतिफाजा मस्जिद कमेटी की जानिब से, ने दलील दी कि समाअत नहीं होनी चाहिए। चार खवातीन मुद््दईआन के वकील, सुभाष नंदन चतुवेर्दी और सुधीर त्रिपाठी ने कहा था कि सातों मुकद्दमात एक जैसी नौईयत के हैं। वक़्त की बचत और अदालत की सहूलत को मद्द-ए-नजर रखते हुए तमाम 7 मुकद्दमात को एक साथ सुनने का जवाज है। ये अर्जी गुजिश्ता ज्ञान वापी से मुताल्लिक श्रृंगार गौरी केस की खवातीन फरीकैन (राखी सिंह, रेखा, सीता, मंजू, लक्ष्मी) ने गुजिश्ता साल दिसंबर में डिस्ट्रिक्ट जज की अदालत में दरखास्त दायर की थी, जिसमें 7 मुकद्दमात की समाअत हुई थी। 
    इसमें 6 सिविल जज सीनीयर और 1 केस करन सिंह की फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा था। इस मुआमले पर जिÞला जज की अदालत ने 17 अप्रैल को हुक्म दिया था कि तमाम 7 मुकद्दमात की फाइलें उनकी अदालत में रखी जाएं। उसके बाद 17 अप्रैल को अदालत के हुक्म के बाद पहली बार 6 सिविल अदालतों और एक फास्ट ट्रैक कोर्ट की तमाम 7 दरखास्तों को एक साथ जिÞला जज के सामने रखा गया। अदालत ने समाअत के लिए 12 मई की नई तारीख दे दी। 12 मई को समाअत ना हो सकी तो 16 मई, 19 मई और फिर 22 मई की तारीखें दी गईं।


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