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खंदक की खुदाई के दौरान आप (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने यहां अदा की थी नमाज

11 शव्वाल 1444 हिजरी
मंगल, 2 मई, 2023
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मदीना मुनव्वरा : पैगंबर-ए-इस्लाम के दौर की मस्जिद ‘बनी हराम’ की
 तजईन और अराईश जारी
खंदक की खुदाई के दौरान आप (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने यहां अदा की थी नमाज
file photo

रियाद : आईएनएस, इंडिया
मदीना मुनव्वरा में रसूल अल्लाह सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम के दौर की मस्जिद ' मस्जिद बनी हराम' की भी तजईन-ओ-आराइश (रेनेवेशन) की जा रही है। मस्जिद नबवी सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम से 1.68 किलोमीटर की मुसाफत (दूरी) पर वाके इस मस्जिद को तारीखी मसाजिद की बहाली के मंसूबे के दूसरे मरहले में शामिल किया गया है। इस तारीखी मस्जिद को 14 सदी कब्ल उसकी फितरी शक्ल के करीब की तस्वीर पर बहाल करने के लिए काम शुरू किया जाएगा। इस दौरान इसमें रुनुमा होने वाली तब्दीलियों और इजाफे को भी दूर किया जाएगा। मस्जिद को बहाल करने का मकसद अपनी तारीख में काबिल-ए-फखर और कीमती इस्लामी और समाजी मीरास जो इन्सानी, सकाफ़्ती और फिकरी माहौल से तशकील पाती है, को सामने लाना है। 

    गालिबन रसूल अल्लाह सल्ल्ल्लाह अलैहि वसल्लम की तरफ मंसूब है कि खंदक खोदते वक़्त आप सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम ने इस जगह पर नमाज पढ़ी थी। खजरज बनी सलमा से बनी हराम वापस जाते हुए ये वाकिया पेश आया था। शहजादा मुहम्मद बिन सलमान का तारीखी मसाजिद की तरक़्की का मन्सूबा के जिÞमन में मदीना के रिवायती अंदाज में तामीर मस्जिद बनी हराम की तजदीद की जाएगी। मस्जिद का रकबा 226.42 मुरब्बा मीटर से बढ़ा कर 236.42 मुरब्बा मीटर कर दिया जाएगा। उसकी गुंजाइश 10 मुरब्बा मीटर तक बरकरार रहेगी। इस मंसूबे को मिट्टी, पत्थरों और दरख़्तों की लकड़ी के कुदरती मवाद का इस्तिमाल करते हुए दुबारा तामीर किया जाएगा। मस्जिद की तामीर की खुसूसीयत ये है कि इसका फन्ने तामीर रोज ब रोज तरक़्की कर रहा है। ये तर्ज तामीर मौसमी और कुदरती तबदीलियों के मुताबिक खुद को ढालने की सलाहीयत रखता है। इसमें कटे हुए पत्थर अपनी मुख़्तलिफ शक्लों और साइज में इस्तिमाल होते हैं। इसे मिट्टी के मार्टर से बनाया जाता है। छतों की तामीर में खजूर के हिस्सों को इस्तिमाल किया जाता है। ये छत बोझ बर्दाश्त करने वाली होगी। मस्जिद के आगे के हिस्से में पत्थर का इस्तिमाल किया जाएगा।
    तारीखी मसाजिद की तरक़्की के लिए शहजादा मुहम्मद बिन सलमान का मन्सूबा कदीम (पुरानी) और जदीद (नई, आधुनिक) तामीराती मेयारात के दरमयान तवाजुन कायम करते हुए पूरा करना है। इस तरीका-ए-कार से मसाजिद के अजजा को मुनासिब हद तक पाएदारी मिलती है। ये मन्सूबा तरक़्की के असरात को विरसे के साथ मरबूत कर देता है। इन मसाजिद की तारीखी खसुसीआत बरकरार रखी जा रही है। उन्हें तैयार करने का अमल वो सऊदी कंपनियां अंजाम दे रही हैं, जो विरसा की इमारतों की तामीर में महारत रखती हैं। याद रहे, तारीखी मसाजिद की बहाली के मंसूबे के दूसरे मरहले में सऊदी अरब के 13 खितों से 30 मसाजिद की तजईन-ओ-आराइश और ताअमीर-ए-नौ की जा रही है। इस मंसूबे के पहले मरहले (चरण) में भी 30 तारीखी मसाजिद को बहाल किया जा चुका है

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