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जात-पात : कैलीफोर्निया सीनेट के फैसले से हिंदुत्व तन्जीमों को लगा धचका

12 शव्वाल 1444 हिजरी
बुध, 3 मई, 2023
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कैलीफोर्निया : आईएनएस, इंडिया
कैलिफोर्निया की सीनेट ज्यूडशरी कमेटी की जात-पात की बुनियाद पर तफरीक (भेदभाव) के खिलाफ बिल की मुत्तफिका ताईद (एक राय से समर्थन) के बाद उसका कानून शक्ल इखतियार करना तय है। हिंदुत्व तन्जीमों के लिए इसे बड़ा धचका कहा जा रहा है क्योंकि वो उसकी शदीद मुखालिफत कर रही थीं। 
    अमरीका की मगरिबी रियासत कैलिफोर्निया की सीनेट ज्यूडशरी कमेटी ने जात-पात की बुनियाद पर तफरीक के मुताल्लिक बिल की मंगल के रोज इत्तिफाक राय से तौसीक (मान्य) कर दी। कैलिफोर्निया की पहली मुस्लिम और अफ़्गान सीनेटर आईशा वहाब ने ये बिल पेश किया और कमेटी के तमाम आठों अराकीन ने इस की हिमायत में वोट दिया। इस बिल को हिंदुत्व की अलमबरदार तन्जीमों के लिए एक बड़ा धचका करार दिया जा रहा है क्योंकि कई इंतिहाई बा-असर अमरीकी हिंदू तंजीमें इस बिल की मुखालिफत कर रही थीं। ताहम (हालांकि) अमरीका में जात-पात की वजह से ज्यादतियों का शिकार होने वाले अफराद इसे अपनी फतह करार दे रहे हैं।
    नेपाल में पैदा हुए समाजी कारकुन प्रेम प्रकाश को वो वाकिया याद है, जब कैलिफोर्निया के एक एरिया में पहली मर्तबा उन्हें उनकी जात याद दिलाई गई। वो बताते हैं कि दूसरे लोगों की तरह मैं भी हाथ में प्लेट और चम्मच लिए टेबल की तरफ बढ़ रहा था लेकिन जब खाना लेने की मेरी बारी आई तो मेजबान ने कहा, प्रेम क्या तुम रुकोगे, मैं तुम्हारे लिए खाना लाता हूँ। मैंने कहा ठीक है, मैं आपका खाना गंदा नहीं करुंगा। 
    जुनूबी एशिया में जात पात पर मबनी (आधारित) समाजी ढांचा हजारों साल पुराना है। इसमें सफाई सुथराई और गंदगी से मुताल्लिक जाबते (नियम) भी हैं और उनकी बुनियाद पर कुछ तबकात को ''अछूत'' करार दे दिया गया। ये लोग खुद को इस ढाँचे की सबसे निचली सीढ़ी पर देखते हैं। जात-पात पर मबनी इन ग्रुपों को बाअज (कुछ) दीगर ग्रुपों के साथ मिलाकर दलित कहा जाता है। खाना भी जात पर मबनी पाकी-ओ-सफाई के पैमानों में से एक है और इस हवाले से हजारों बरसों से चले आ रहे जाबतों के मुताबिक दलित जिस खाने को छू ले, वो गंदा हो जाता है। यानी गैर दलित उसे नहीं खा सकते। सन 2015 में कैलिफोर्निया आने पर पेरियार को यहां भी इसका तजुर्बा हुआ। पेरियार डैमोक्रेटिक सीनेटर आईशा वहाब की हिमायत करते हैं, जो कैलिफोर्निया में जात पर मबनी तफरीक को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं। मार्च में वहाब ने एक बिल पेश किया, जिसे मंगल के रोज सीनेट की ज्यूडीशरी कमेटी ने पास कर दिया। इस बिल के कानूनी शक्ल इखतियार कर लेने के बाद कैलिफोर्निया में जात-पात की बुनियाद पर तफरीक का खातमा हो जाएगा। 
    सियाटेल और कैलिफोर्निया टैक्नोलोजी का मर्कज हैं, जहां बड़ी तादाद में जुनूब एशियाई अफराद बड़ी टेक कंपनियों में मुलाजमत करते हैं। उन्हीं में से एक सिसको पर एक केस चला, जब उसके एक मुलाजिम ने अपने दो सुपरवाइजरों पर जात की बुनियाद पर तफरीक करने का इल्जाम लगाया। इस मुकद्दमे ने अमरीका में जात पात की बुनियाद पर मबनी तजुर्बात पर एक बहस छेड़ दी और इक्वॉलिटी लैब नामी एक समाजी तंजीम ने उसे अपना मौजू बनाया। सन 2018 में इक्वॉलिटी लैब ने अमरीका में जात-पात की बुनियाद पर एक तहकीकाती रिपोर्ट शाइआ की। 1500 अफराद से इंटरव्यू पर मबनी इस रिपोर्ट में हिस्सा लेने 60 फीसद अफराद का कहना था कि दलितों को जात-पात की बुनियाद पर तौहीन आमेज मजाक और तंज बर्दाश्त करने पड़ते हैं। सन 2021 में कार्नेगी इंडोमेंट फार इंटरनेशनल पीस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि तकरीबन नसफ (आधे) भारती अमरीकी हिंदू किसी जात के साथ अपनी शिनाख़्त जोड़ते हैं।

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