11 शव्वाल 1444 हिजरी
मंगल, 2 मई, 2023
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दुबई : आईएनएस, इंडिया
ये कोई शानदार हवेली नहीं न लग्झरी पेंंट हाऊस या डिजाइनर अपार्टमेंट है बल्कि ये दुबई के एक इन्सानी साखता (मानव निर्मित) जजीरे पर रेत का एक ढेर है जो 19 अप्रैल को साढ़े 12 करोड़ दिरहम (तीन करोड़ चालीस लाख डालर) में बिका। रेत के इस टीले ने एक ऐसे मार्केट में रिकार्ड कायम किया जो गैरमुल्की दौलत की आमद से फायदा उठा रही है।
साढ़े 24 हजार मुरब्बा फिट पर मुहीत ये खाली टुकड़ा समुंद्री घोड़े की शक्ल का जमीन का एक टुकड़ा है जहां दुबई से पुल के जरीये पहुंचा जा सकता है। ये 5000 दिरहम फी मुरब्बा (प्रति वर्ग फुट) से ज्यादा के हिसाब से फरोखत हुआ है। ब्रोकरेज, नाइट फ्रैंक के मुताबिक अब तक ये इस मस्नूई जजीरे (नकली जजीरे) में सबसे ज्यादा कीमत है। इसका खरीदार मुत्तहदा अरब अमीरात में नहीं रहता है मगर वो इस जायदाद पर एक खानदानी घर तामीर करने का मन्सूबा बना रहा है। उसकी शिनाख़्त जाहिर नहीं की गई।
दुबई लैंड डिपार्टमेंट के मुताबिक ये प्रॉपर्टी दो साल कब्ल तीन करोड़ 65 लाख दिरहम में खरीदी गई थी जिससे फरोखत करने वाले को आठ करोड़ 85 लाख दिरहम का मुनाफा हुआ है। वाजेह हो कि तेल की बुलंद कीमतों, दुनिया के अमीरों की जानिब से जायदाद में दौलत मुर्तकिज करने की खाहिश और ये एहसास कि कम टैक्स, कम जराइम वाला दुबई वबाई अमराज और जंग के दौर में एक महफूज पनाह-गाह है, इसकी वजह से दुबई को रियल स्टेट मार्केट बनने की दौड़ में इजाफा हुआ है। दुबई में रूसी शहरी जायदादें खरीद कर रहे हैं, जबकि नए, तवील मुद्दती रिहायशी 'गोल्डन वीजे' दौलतमंद अफराद को भी दुबई रियल स्टेट में सरमायाकारी की तरफ रागिब कर रहे हैं।
कभी हद से ज्यादा तामीर की वजह से मुतास्सिर होने वाले इस शहर में कुछ दलालों का कहना है कि खासतौर पर ऊंची इमारतों में अब मुश्किल से जायदाद मिल रही है।
कहां गायब हो गई कर्नल कजाफी की अरबों की दौतल तेरहबुल्स : लीबिया के साबिक मक़्तूल सदर कर्नल मुअम्मर कजाफी की मिल्कियत की अरबों की दौलत का मुआमला इस वक़्त मुल्क की मौजूदा हुकूमत की तवज्जा का मर्कज बनी हुई है। उनकी अंदरून और बैरून-ए-मुल्क मौजूद जायदाद और असासों, बैरून-ए-मुल्क बैंकों में रखी दौलत का पता लगाने के लिए हुकूमत कोशां है। अब्दुल हमीद अलदबीबा की हुकूमत को अब भी रियास्ती असासों में से दसियों अरब डालर की वसूली के लिए वाशिंगटन की मदद की अशद जरूरत है जो कजाफी और इसके अंदरूनी हल्के ने मुबय्यना तौर पर पूरी दुनिया में छिपा रखे थे। ट्रांसपेरैंसी इंटरनेशनल की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक इस रकम का तखमीना तकरीबन 120 बिलीयन डालर है, जो लीबिया की रियासत और उसके असासों से बैरून-ए-मुल्क लाए गए थे। वाल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक अकवाम-ए-मुत्तहिदा की एक एजेंसी लीबिया को सिर्फ 54 बिलीयन डालर मालियत के असासों का सुराग लगाने और शिनाख़्त करने में मदद करने में कामयाब रही, जिसमें बैंकों में मौजूद सोना, हीरे, जहाज और बहरी जहाजों के जखाइर शामिल हैं। इस सिलसिले में इन असासों की बाजयाबी के इंचार्ज लीबिया के अहलकार मुहम्मद रमजान मंसली ने वजाहत की कि उन्होंने वाशिंगटन में अमरीकी हुक्काम से मुलाकात की अपील की है। इसके अलावा उन्होंने इशारा किया कि कुछ हुकूमतों को इस बारे में तहफ़्फुजात हैं कि क्या लीबिया की हुकूमत इस रकम का इंतिजाम करने के काबिल है भी या नहीं। ताहम उन्होंने वाजिह किया कि कोई भी बरामदशुदा फंड्ज इन ममालिक को यकीन दिलाने के लिए मखसूस मन्सूबों जैसे स्कूलों और अस्पतालों की तामीर के लिए अकसात में वापिस किए जाने से पहले बैरून-ए-मुल्क महफूज जगह पर रहेंगे। इस रकम को अकसात की शक्ल में अदा किया जा सकता है। मंसली ने कहा कि साबिक सदर कर्नल कजाफी के दौर में अमरीका को आठ तय्यारों की रकम अदा कर दी गई थी मगर वो लीबिया के हवाले नहीं किए गए। काबिल-ए-जिÞक्र है कि लीबिया में दो हुकूमतों का वजूद और सियासी ओहदेदारों की अब तक आईनी पारलीमानी और सदारती इंतिखाबात के इनइकाद में नाकामी कजाफी की दौलत की बहाली के लिए की जाने वाली कानूनी कोशिशों में रुकावट है। आॅफिस आफ ईस्ट रीकवरी के अंदर सदारत पर तनाजा ने रियासत मुत्तहदा अमरीका में इससे कब्ल भी असासों की बाजयाबी की कुछ कोशिशों को मुतास्सिर किया था।
तेरहबुल्स : लीबिया के साबिक मक़्तूल सदर कर्नल मुअम्मर कजाफी की मिल्कियत की अरबों की दौलत का मुआमला इस वक़्त मुल्क की मौजूदा हुकूमत की तवज्जा का मर्कज बनी हुई है। उनकी अंदरून और बैरून-ए-मुल्क मौजूद जायदाद और असासों, बैरून-ए-मुल्क बैंकों में रखी दौलत का पता लगाने के लिए हुकूमत कोशां है।
अब्दुल हमीद अलदबीबा की हुकूमत को अब भी रियास्ती असासों में से दसियों अरब डालर की वसूली के लिए वाशिंगटन की मदद की अशद जरूरत है जो कजाफी और इसके अंदरूनी हल्के ने मुबय्यना तौर पर पूरी दुनिया में छिपा रखे थे। ट्रांसपेरैंसी इंटरनेशनल की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक इस रकम का तखमीना तकरीबन 120 बिलीयन डालर है, जो लीबिया की रियासत और उसके असासों से बैरून-ए-मुल्क लाए गए थे। वाल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक अकवाम-ए-मुत्तहिदा की एक एजेंसी लीबिया को सिर्फ 54 बिलीयन डालर मालियत के असासों का सुराग लगाने और शिनाख़्त करने में मदद करने में कामयाब रही, जिसमें बैंकों में मौजूद सोना, हीरे, जहाज और बहरी जहाजों के जखाइर शामिल हैं। इस सिलसिले में इन असासों की बाजयाबी के इंचार्ज लीबिया के अहलकार मुहम्मद रमजान मंसली ने वजाहत की कि उन्होंने वाशिंगटन में अमरीकी हुक्काम से मुलाकात की अपील की है।
इसके अलावा उन्होंने इशारा किया कि कुछ हुकूमतों को इस बारे में तहफ़्फुजात हैं कि क्या लीबिया की हुकूमत इस रकम का इंतिजाम करने के काबिल है भी या नहीं। ताहम उन्होंने वाजिह किया कि कोई भी बरामदशुदा फंड्ज इन ममालिक को यकीन दिलाने के लिए मखसूस मन्सूबों जैसे स्कूलों और अस्पतालों की तामीर के लिए अकसात में वापिस किए जाने से पहले बैरून-ए-मुल्क महफूज जगह पर रहेंगे। इस रकम को अकसात की शक्ल में अदा किया जा सकता है। मंसली ने कहा कि साबिक सदर कर्नल कजाफी के दौर में अमरीका को आठ तय्यारों की रकम अदा कर दी गई थी मगर वो लीबिया के हवाले नहीं किए गए। काबिल-ए-जिÞक्र है कि लीबिया में दो हुकूमतों का वजूद और सियासी ओहदेदारों की अब तक आईनी पारलीमानी और सदारती इंतिखाबात के इनइकाद में नाकामी कजाफी की दौलत की बहाली के लिए की जाने वाली कानूनी कोशिशों में रुकावट है। आॅफिस आफ ईस्ट रीकवरी के अंदर सदारत पर तनाजा ने रियासत मुत्तहदा अमरीका में इससे कब्ल भी असासों की बाजयाबी की कुछ कोशिशों को मुतास्सिर किया था।