11 शव्वाल 1444 हिजरी
मंगल, 2 मई, 2023
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मोहम्मद जाकिर हुसैन : भिलाईइस्पात नगरी (भिलाई) में पले-बढ़े नौजवान सॉफ्टवेयर इंजीनियर शारिक रिजवी के खाते में काबिल-ए-जिक्र कामयाबी दर्ज हुई है। आईआईटी बॉम्बे ने उनकी शराकत को देखते हुए अपने एक सेमिनार हॉल को उनके नाम पर कर दिया है।
आईआईटी बॉम्बे ने अपने इस इरादे का ऐलान अपनी वेबसाइट पर भी कर दिया है। वहां के सेंटर फॉर मशीन इंटेलिजेंस एंड डाटा साइंस (सीएमइंड्स) की शुरूआत 28 अप्रैल को हुई है जिसके कयाम में शारिक ने काबिल-ए-जिक्र किरदार अदा किया है।
आईआईटी बॉम्बे ने अपनी वेबसाइट पर जारी ऐलान में इस जुमरे में कहा है कि शारिक रिजवी इस मर्कज के कयाम के लिए आईआईटी बॉम्बे के बड़े अतिया दहंदगान (प्रमुख दानदाताओं) में से एक हैं। रिजवी की तरफ से दी गई रकम से इस नए मर्कज में ‘शारिक रिजवी सेमिनार हॉल’ कायम किया गया है। शारिक ने इस ऐजाज पर खुशी जताते हुए कहा कि आईआईटी बॉम्बे का साबिक तलबा होने के नाते उनके लिए यह बड़ा एजाज है।
गौरतलब है कि शारिक रिजवी ने दिल्ली पब्लिक स्कूल भिलाई से स्कूली ताअलीम पूरी की। 1999 में आईआईटी-जेईई इम्तेहान में आल इंडिया लेवल पर शारिक 5 वें मुकाम पर थे। इसके बाद उन्हें आईआईटी बॉम्बे में दाखिला मिला। जहां 2003 में उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के बर्कले में वाके कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और 2005 में कंप्यूटर साइंस में डिग्री ली।
गौरतलब है कि शारिक रिजवी ने दिल्ली पब्लिक स्कूल भिलाई से स्कूली ताअलीम पूरी की। 1999 में आईआईटी-जेईई इम्तेहान में आल इंडिया लेवल पर शारिक 5 वें मुकाम पर थे। इसके बाद उन्हें आईआईटी बॉम्बे में दाखिला मिला। जहां 2003 में उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के बर्कले में वाके कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और 2005 में कंप्यूटर साइंस में डिग्री ली।