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चिकन या अंडे ज्यादा कीमत पर बेचा तो 2 लाख दिरहम तक देना पड़ सकता है जुर्माना

25 रमजान-उल मुबारक, 1444 हिजरी
पीर, 17 अपै्रल, 2023
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दुबई : आईएनएस, इंडिया 
मुत्तहदा अरब अमीरात की वजारत इकतिसाद (फायनांस मिनिस्ट्री) ने पोल्ट्री मसनूआत (मुर्गी, अंडे) की तयशुदा कीमत की पाबंदी ना करने वाले ताजिरों (व्यापारियों) के खिलाफ सख़्त कार्रवाई का इंतिबाह (वार्न) किया है। अंडों और मुर्गियों की कीमतों में इजाफे पर कम अज कम दस हजार दिरहम का जुर्माना आइद किया जाएगा। 
चिकन या अंडे ज्यादा कीमत पर बेचा तो 2 लाख दिरहम तक देना पड़ सकता है जुर्माना

    अल अमीरातुल यौम के मुताबिक वजारत इकतिसाद ने बयान में कहा कि कीमत की दुबारा खिलाफवरजी पर जुर्माना दो लाख दिरहम तक किया जा सकता है। वजारत खिलाफ वरजीयों और जुर्मानों की तफसीलात मीडीया के जरीये जारी करेगी। वजारत का कहना है कि पूरे मुल्क में अंडों और मुर्गियों के कीमतों की पाबंदी कराने के लिए तफतीशी मुहिम चलाई जाएगी। रमजान के दौरान और ईद के बाद 300 तफतीशी कार्यवाईयों का प्रोग्राम है। बयान के मुताबिक तिजारती मराकज, कोआपरेटिव सोसाइटियों, मुर्गियों और अंडों के डीलरों पर छापे मारे जा चुके हैं। ताजिरों से कहा गया कि वो पोल्ट्री मसनूआत मुकर्ररा कीमतों से ज्यादा पर फरोखत ना करें। 13 फीसद इजाफे की इजाजत है, लेकिन इससे ज्यादा कीमत नहीं बढ़ा सकते। खिलाफवरजी पर जुर्माना देना होगा। 

जबीहा की पाबंदी के साथ ही चला सकते हैं बूचड़खाने : गुजरात हाईकोर्ट

अहमदाबाद : गुजरात हाईकोर्ट ने मुशाहिदा किया कि फूड सेफ़्टी कवानीन पर अमल किए बगैर मजहबी मौके पर गोश्त फरोखत करने, बूचड़खाने चलाने की कोई गैर महदूद आजादी नहीं है। 

    बेंच ने ये भी कहा कि बगैर लाईसेंस के बूचड़खानों को चलाने और इजाजत नामों के बगैर गोश्त की फरोखत को इस्टेक होल्डरज के काबिल इतलाक कवानीन की तामील किए बगैर इजाजत नहीं दी जा सकती। इस सिलसिले में दायर दरखास्तों में सरकारी हुक्काम की जानिब से फूड सेफ़्टी कवानीन की अदम तामील, गैर सेहतमंद हालात या बगैर लाईसेंस दुकानों के जरीये गोश्त फरोखत करने पर उनके इदारों और दुकानों को बंद करने को चैलेंज किया गया है। अदालत ने कहा कि तमाम गोश्त की दुकानें और स्लॉटर हाउस जिन्हें हुक्काम ने लाईसेंसिंग और रेगूलेटरी उसूलों, खुराक और हिफाजत के मेयारात, आलूदगी पर काबू पाने के तकाजों और सफाई की अदम तामील समेत दीगर कानूनी वजूहात की बिना पर बंद कर दिया है। ऐसे बूचड़खानों और गोश्त बेचने वालों की दुकानों को दुबारा खोलने की इजाजत तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि वो इस तरह के उसूलों और जवाबत की मुकम्मल तामील नहीं करते। अपने हुक्म में, हाईकोर्ट ने ये भी मुशाहिदा किया कि गोश्त और गोश्त की मसनूआत समेत किसी भी खाने के सारिफीन को महफूज खुराक का हक हासिल है और ये कि हिफ़्जान-ए-सेहत के खाने का हक भी आईन आर्टीकल 21 में दर्ज है। मजीद, अदालत ने मुशाहिदा किया कि तमाम गोश्त की दुकानें और स्लॉटर हाउसज जिन्हें हुक्काम ने बंद कर दिया है, वो लाईसेंसिंग और रैगूलेटरी उसूलों, खुराक और हिफाजत के मयारात, आलूदगी पर काबू पाने की जरूरीयात और इस तरह के किसी दूसरे कानूनी जवाबत की तामील करने में नाकाम रहे हैं। 



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