29 रमजान-उल मुबारक, 1444 हिजरी
जुमा, 21 अपै्रल, 2023
घरों और मस्जिदों में इफ्तार के बाद से सुबह तक जारी रहा इबादात का सिलसिला
नई तहरीक : भिलाई
रमजान उल मुबारक के आखिरी अशरे में रोजादार शौक-ओ-जौक के साथ रोजा रखने के साथ इबादत में मशगूल हैं। मंगल को 27 वीं शब के मौके पर मस्जिदों और घरों में खासी रौनक रही। रोजादारों ने इफ्तार के बाद से सुबह तक अल्लाह को राजी करने खूब इबादात की। शहर की तमाम मस्जिदों में रोजादारों के लिए सहरी का खुसूसी इंतजाम किया गया गया।
इस मौके पर कौम से खिताब करते हुए आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, शाखा भिलाई के काजी-ए-शहर भिलाई-दुर्ग, मुफ्ती मोहम्मद सोहेल और रिटायर्ड बीएसपी मुलाजिम डा. सैयद इस्माईल ने शब्र-ए-कद्र फजीलत, रहमत व बरकतों पर गुफ़तगू की। हजरत अनस रदि अल्लाओ अन्हो से एक हदीस मुबारका रवायत फरमाते हुए उन्होंने कहा, एक मर्तबा रमजान उल मुबारक का महीना आने पर पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि वस्सलम ने फरमाया कि तुम्हारे ऊपर एक महीना आया है, जिसमें एक रात ऐसी है, जो हजार महीनों से अफजल है। जो शख्स इस रात से महरूम रह गया, गोया सारी खैर से महरूम रह गया।
उन्होंने कहा कि इस रात इबादत करने वालों को 83 बरस इबादत का सवाब मिलेगा। अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि लैलतुल कद्र पिछली उम्मतों को नहीं दी गई। ये खास मेरी उम्मत को अल्लाह के तरफ से दी गई है। इसकी एक वजह बयान करते हुए शेखुल हदीस, हजरत मौलाना जकरिया रहमतुल्लाह ने अपने रिसाले रमजान मुबारक के फजाइल में जिक्र किया है कि पिछली उम्मत के लोगों की उम्र ज्यादा थी। वे 800 बरस तक अल्लाह की इबादत में मशगूल रहे जिससे अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को रंज हुआ कि मेरी उम्मत की उम्र कम है, जिस पर ये रात दी गई। अगर कोई शख्स जिंदगी में 10 रातें भी पा कर उसे इबादत में गुजार ले तो गोया उसने 830 बरस इबादत करने का सवाब हासिल कर लिया। इस रात अल्लाह की रहमत बरसती है। बंदों के गुनाह माफ किए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि इस रात इबादत करने वालों को 83 बरस इबादत का सवाब मिलेगा। अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि लैलतुल कद्र पिछली उम्मतों को नहीं दी गई। ये खास मेरी उम्मत को अल्लाह के तरफ से दी गई है। इसकी एक वजह बयान करते हुए शेखुल हदीस, हजरत मौलाना जकरिया रहमतुल्लाह ने अपने रिसाले रमजान मुबारक के फजाइल में जिक्र किया है कि पिछली उम्मत के लोगों की उम्र ज्यादा थी। वे 800 बरस तक अल्लाह की इबादत में मशगूल रहे जिससे अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम को रंज हुआ कि मेरी उम्मत की उम्र कम है, जिस पर ये रात दी गई। अगर कोई शख्स जिंदगी में 10 रातें भी पा कर उसे इबादत में गुजार ले तो गोया उसने 830 बरस इबादत करने का सवाब हासिल कर लिया। इस रात अल्लाह की रहमत बरसती है। बंदों के गुनाह माफ किए जाते हैं।