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गांव के वाहिद हिंदू शख़्स बलबीर के अंतिम संस्कार मुस्लमानों ने अंजाम दिए

10 रमजान-उल मुबारक, 1444 हिजरी
इतवार, 1 अपै्रल, 2023
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कोलगाम : आईएनएस, इंडिया 
जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान नवाज दहश्तगर्द हमेशा माहौल को खराब करने का काम करते हैं, लेकिन इसके बाद भी वो हिन्दुस्तानी रिवायत, हिन्दुस्तानी सकाफ़्त और हिंदूस्तानियों के बाहमी भाईचारे को तोड़ने में नाकाम रहे हैं। 
गांव के वाहिद हिंदू शख़्स बलबीर के अंतिम संस्कार मुस्लमानों ने अंजाम दिए
    ऐसा ही एक नजारा जुनूबी कश्मीर के जिÞला कोलगाम इलाके किरकिन में देखने को मिला। यहां मुस्लमान पड़ोसियों ने एक हिंदू की आखिरी रसूमात में मदद की। मुकामी मुस्लमानों ने अर्थी को को कंधा दिया और तदफीन के लिए लकड़ी का बंद-ओ-बस्त किया। एक मुकामी शख़्स अब्दुल जब्बार ने कहा कि वो हम में से एक था। हमने उसे कभी राजपूत हिंदू के तौर पर नहीं देखा। हमने आखिरी रसूमात के लिए हर चीज का इंतिजाम किया। 


    जानकारी के मुताबिक मुतवफ़्फी बलबीर सिंह (55) सीआईएसएफ का मुलाजिम था। उनका खानदान जुनूबी कश्मीर के कोलगाम के कारकुन में रहने वाला वाहिद हिंदू खानदान है। वो छुट्टी पर अपने घर आया था जहां जुमेरात 30 मार्च को दिल का दौरा पड़ने से उनका इंतिकाल हो गया। जब मुकामी मुस्लमानों को इस वाकिया का इल्म हुआ तो उन्होंने आखिरी रसूमात में मदद की। पिछले साल दहश्तगरदों ने मुतवफ़्फी के भाई सतीश कुमार सिंह को गोली मार कर हलाक कर दिया था। सीआईएसएफ की मुकामी यूनिट के कमांडेंट विक्रम सिंह के मुताबिक मुतवफ़्फी बलबीर सिंह अमृतसर में तायिनात था। वो अपने भाई की बरसी पर छुट्टी लेकर घर आया था और यहीं इंतिकाल कर गया। 
    बलबीर सिंह की आखिरी रसूमात में आखिरी सलामी देने के लिए उनकी यूनिट भी पहुंची थी। दहश्तगरदों ने 13 अप्रैल 2022 को सतीश कुमार सिंह को गोली मार कर हलाक कर दिया था। दहश्तगरदों ने इससे कबल वादी में कुछ पोस्टर लगाए थे जिसमें गैर कश्मीरियों और गैर मुस्लिमों को वादी छोड़ने का मश्वरा दिया था।


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