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वक्फ संपत्तियों का उपयोग और दुरुपयोग : एक हकीकत

कुलसुम फातिमा : रायपुर 
वक्फ शब्द का शाब्दिक अर्थ दान है। मुसलमान धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए अपनी संपत्ति का एक हिस्सा दान करते हैं। प्रत्येक राज्य में वक्फ बोर्डं की स्थापना करने के साथ ही उनके पंजीकरण और उपयोग की निगरानी और विनियमन करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की गई।     
    वक्फ संपत्तियों का उपयोग मुस्लिमों के सार्वजनिक कल्याण के लिए कब्रिस्तान, मस्जिद, मदरसे, अनाथालय, अस्पताल, क्लीनिक और शैक्षणिक संस्थान बनाए जाते हैं। हालांकि, अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों सहित लगभग सभी धर्मार्थ संस्थान सभी धर्म के लोगों के उपयोग के लिए उपलब्ध हैं।
    अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने 2017 की शुरूआत में मीडिया से कहा था, "जब से वक्फ बोर्डं की स्थापना हुई है, खाली संपत्तियों का एक मुद्दा रहा है। कुछ लोगों ने उस पर अतिक्रमण किया है, जिसे मैं वक्फ माफिया कहता हूं।" उन्हाने आगे कहा कि उनके मंत्रालय ने मुसलमानों के लाभ के लिए इन खाली संपतियों पर मॉल, शैक्षणिक संस्थान, छात्रावास और कौशल केंद्र विकसित करने की योजना बनाई है। उत्तर प्रदेश का मामला लें, तो सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड राज्य में 1.5 लाख से अधिक संपत्तियों का मालिक है, जबकि शिया वक्फ बोर्ड 12,000 से अधिक संपत्तियों का मालिक है (सितंबर 2022 तक)। 
    यूपी वक्फ संपत्तियों के कुप्रबंधन के बारे में सीडब्ल्यूसी को उत्तर प्रदेश से कई शिकायतें मिलने के बाद, उत्तर प्रदेश और झारखंड वक्फ बोर्ड के प्रभारी सैयद एजाज अब्बास नकवी ने तथ्यों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया। जैसा कि एक समाचार पत्र ने रिपोर्ट किया है। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में विस्तार से बताया कि कैसे एक मंत्री के रूप में आजम खान ने कथित तौर पर बोर्ड के तहत संपत्ति हासिल करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया। यह दावा किया गया था कि खान ने मौलाना जौहर अली एजुकेशन ट्रस्ट की स्थापना की और वक्फ संपत्तियों से धन हस्तांतरित किया। रिपोर्ट में वक्फ संपत्तियों पर किराया संग्रह रिकॉर्ड के रखरखाव में विसंगतियों पर प्रकाश डाला गया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने नवंबर 2020 में दो मामलों को अपने हाथ में लिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों को अवैध रूप से बेचा, खरीदा और स्थानांतरित किया।
    दरगाह बाबा कपूर की वक्फ संपत्ति उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर 550 गांवों में फैली हुई है। हालाँकि, धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए धन की बहाली के लिए लड़ने के लिए लोगों द्वारा बार-बार याद दिलाने के बावजूद वक्फ बोर्ड को एक पैसा नहीं जाता है। वक्फ बोर्ड के संचालन के तरीके से लोग असंतुष्ट हैं। कुछ मामलों में, उत्तर प्रदेश में, वक्फ बोर्ड ने एक मॉल के लिए स्थानीय राजनेताओं को कब्रिस्तान की जमीन बेच दी, जिससे मुसलमानों में आक्रोश फैल गया। बिक्री की आय पूरी तरह से बोर्ड के सदस्यों के पास चली गई, जैसा कि एक समाचार पत्र ने रिपोर्ट किया था। रॉयटर्स के अनुसार, "कई राज्य के बोर्डों पर हाल के वर्षों में वक़्फ भूमि को डेवलपर्स और निजी खरीदारों को कम दरों पर बेचने का आरोप लगाया गया है, क्योंकि भूमि की मांग में वृद्धि हुई है।" एक रिपोर्ट के अनुसार "अली जैदी ने ठाकुरगंज में मोती मस्जिद, महानगर में श्मशान घाट, लाल बाग में इमामबाड़ा और प्रयागराज में छोटा कर्बला सहित छह प्रमुख वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे के बारे में शिकायत दर्ज कराई थी। यह भी दावा किया कि प्रयागराज में गुलाम हैदर इमामबाड़ा का एक बड़ा हिस्सा अवैध रूप से भू-माफियाओं को बेच दिया गया था और कुछ क्षेत्रों को किराए पर दे दिया गया था।
    2005 में सरकार ने "भारत के मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति" पर एक रिपोर्ट दर्ज करने के लिए न्यायमूर्ति राजिंदर सच्चर की एक सात सदस्यीय पैनल की स्थापना की। पैनल ने 2006 में अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसमें सिफारिश की गई कि वक्फ बोर्डों की मरम्मत की जाए। समिति ने अपनी रिपोर्ट में राज्य वक्फ बोर्डों द्वारा शासित संपत्तियों की कड़ी निगरानी का भी अनुरोध किया है। रिपोर्ट में दी गई किसी भी सिफारिश को अभी तक लागू नहीं किया गया है। वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम आॅफ इंडिया (डब्ल्यूएएमएसआई) पोर्टल की शुरूआत ही एकमात्र ऐसी चीज है जिसने चीजों को आगे बढ़ाया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने वक्फ संपत्तियों पर डेटा एकत्र करने के लिए पोर्टल बनाया। फरवरी 2023 तक, सिस्टम में 8.69 लाख से अधिक अचल संपत्तियों का डेटा दर्ज किया गया था।
    राजनेताओं, पुलिस, नौकरशाहों और भू-माफियाओं ने लंबे समय से वक्फ भूमि की मांग की है, जिसे  बेचा या बदला नहीं जा सकता है। अधिकारियों की जेब भरने के लिए पैसे के बदले इन्हें लीज पर दिया जाता है। इसलिए वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है कि वक्फ संपत्तियों के मसले को राजनीतिक नजरिए से नहीं बल्कि निष्पक्ष नजरिए से देखा जाए। इससे लंबे समय में वक्फ बोर्डों और गरीब मुसलमानों को फायदा होगा। मुस्लिमो के लिए कब्रगाह, स्कूल और कॉलेज के लिए अधिक भूमि उपलब्ध होगी और वक्फ बोर्डों की कमाई बढ़ेगी, जिसका उपयोग मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए किया जा सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

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